Friday, March 29, 2024
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11 वर्ष का वेद पंडित बना सबकी आँखों का तारा

गाजीपुर। ऋषि मुनियों की तपस्वली के रूप में विख्यात उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में मेधाओं, प्रतिभाओं की आज भी कोई कमी नहीं है। ज्ञानियों और वीरों की इस धरती पर एक बालक ने 11 वर्ष की छोटी आयु में ही संस्कृत भाषा और वेद ज्ञान में महारत हासिल की है। गाजीपुर के जखनियां स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ में छात्र के रूप में अध्यनरत आशुतोष दुबे कम आयु में ही संस्कृत विषय मे प्रवीणता प्राप्त कर ली है। उन्हें 11 वर्ष की आयु में ही यजुर्वेद पूरी तरह कंठस्थ है। उनकी इस मेधा, प्रतिभा से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी प्रभावित है।सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनसे भेंट कर सम्मानित भी किया है।

गाजीपुर के हथियाराम मठ के गुरुकुल में शिक्षा ले रहे करंडा ब्लाक के ब्राह्मणपुरा निवासी 11 वर्षीय आशुतोष दुबे सबसे होनहार शिष्य हैं। 11 वर्ष के अल्य आयु में बहुतों को शुद्ध हिंदी का भी ज्ञान नहीं होता है, लेकिन आशुतोष ना सिर्फ फर्राटे से संस्कृत बोलते हैं बल्कि यजुर्वेद के ज्ञाता भी हैं।

आशुतोष ने बताया कि वह इसी तरह अध्ययन करते हुए आचार्य की उपाधि प्राप्त करना चाहता है। सीएम योगी से लगभग 1 साल पूर्व हुई मुलाकात की चर्चा करते हुए आशुतोष ने बताया कि मुलाकात के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ में पुराण की कुछ सूक्तियां पढ़ने को कहा था। जिसे मेरे द्वारा सुनाते ही उन्होंने शाबाशी दी और अंगवस्त्रम द्वारा सम्मानित किया।

आशुतोष के ज्ञान से सीएम योगी भी हैं प्रभावित
इनके वेदमंत्र से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रभावित हैं। 18 जून 2019 को अपने आवास पर उन्होंने अंगवस्त्र देकर सम्मानित कर ज्ञान की मुक्तकंठ से सराहना की थी। आशुतोष दुबे माता-पिता व मामा का हथियाराम मठ से काफी लगाव है। इनके बड़े पिता परमानंद द्विवेदी एलएलबी के साथ ही कर्मकांड के भी अच्छे जानकार हैं। उनकी संगत में रहकर आशुतोष को भी संस्कृति से लगाव सा हो गया। इसे देखते हुए आशुतोष के मामा चंद्रमणी पांडेय 2018 में इनको गुरुकुल भेज दिए। तब से आशुतोष पूरी तन्मयता से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

सिद्धपीठ हथियाराम मठ के गुरुकुल में मिलती है शिक्षा
एक वर्ष में ही आशुतोष को संस्कृत व वेदमंत्र की अच्छी जानकारी हो गई। मठ के महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज आशुतोष के गुरु हैं। संस्कृत और व्याकरण की शिक्षा इनको गुरुकुल के गुरु सोमनाथ पोखरैल देते हैं। पिता ब्रह्मानंद द्विवेदी एक निजी स्कूल में कर्मी हैं। इनके गुरुकुल में कुल 20 बच्चे में जिसमें आशुतोष सबसे कुशल हैं।

साभार- दैनिक भास्कर से

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