Saturday, April 20, 2024
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15 पूर्व आईएएस व आईपीएस अधिकारियों ने मोदी की तारीफ की

जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग पीएम नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के एक दिन बाद बीते शनिवार को 10 पूर्व डीजीपी समेत 15 सेवानिवृत्त आईपीएस अफसरों ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में रिटायर्ड अफसरों ने जम्मू कश्मीर के मुद्दों को हल करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा उठाए गए कदमों की खुले मन से सराहना की है। पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे गए इस खत में जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग पीएम मोदी की इस मुलाकात और बातचीत का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यह जम्मू कश्मीर की समस्याओं को दूर करने का सबसे बेहतरीन कदम और रणनीति है। बैठक में पीएम मोदी द्वारा जिक्र किये गये ‘दिल की दूरी’ और ‘दिल्ली की दूरी’ का भी उल्लेख अफसरों ने अपने खत में किया है। रिटायर्ड अफसरों ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि जम्मू कश्मीर के नेताओं से पीएम मोदी द्वारा कही गई बात से विश्वास बढ़ेगा और यह जम्मू-कश्मीर पर नीति बनाने का सबसे बेहतरीन तरीका है। Track The Truth’ नाम के एक ग्रुप में एसपी वैद और के राजेंद्र कुमार भी जुड़े हुए हैं। बता दें कि दोनों ही अफसरों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस में डीजी पद पर अपनी सेवा दी है। इस ग्रुप में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और पूर्व सीबीआई डायरेक्टर प्रकाश मिश्रा भी हैं। जिन 15 रिटायर्ड अफसरों द्वारा हस्ताक्षरित खत पीएम मोदी को भेजा गया है, उनमें आईपीएस अफसर के सिंह, बद्री प्रसाद सिंह, गीता जोहरी, के अरविंद राव, के राजेंद्र कुमार, केबी सिंह, नागेश्वरा राव, पीपी पांडे, आरकेएस राठौड़, शिवानंद झा, एसके राउत और विवेक दुबे शामिल हैं।

पत्र में अधिकारियों ने लिखा है कि प्रिय प्रधानमंत्री जी, पिछले सात वर्षों में हमने गंभीर कश्मीर समस्या को सुलझाने के प्रयास में आपकी सरकार के श्रमसाध्य, साहसी और निर्णायक प्रयासों को देखा है। यह राष्ट्रीय गौरव की बात है कि इन वर्षों में केंद्र सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव कोशिश की है। अनुच्छेद 35ए को रद्द करना और अनुच्छेद 370 को निरस्त करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है। भारत के संघ के साथ कश्मीर का पूर्ण एकीकरण एक लंबे समय से लंबित अधूरा कार्य था, क्योंकि भारत ने 1950 में भारत के संविधान को अपनाया था। लेकिन अब कश्मीर का एक नागरिक गर्व से खुद को भारतीय कह सकता है और वह सभी लाभ प्राप्त कर सकता है, जो एक भारतीय संविधान देता है। पत्र में लिखा है कि यह एक बड़े संतोष की बात है कि सरकार को भविष्य देखने की क्षमता है। जिस तरह से सरकार ने पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय निकायों जैसे बाहरी दबावों के प्रबंधन की एक त्रुटिहीन प्रणाली का आयोजन किया है, वह सराहनीय है। क्योंकि यह ताकते कई दशकों से कश्मीर के संबंध में भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही थी। पत्र में सर्वदलीय बैठक का जिक्र करते हुए लिखा है कि राजनीतिक हितधारकों तक पहुंचने और विश्वास बढ़ाने के लिए “दिल की दूरी” और “दिल्ली की दूरी” के जुड़वां तत्वों का मुकाबला करने के लिए केंद्र सरकार की सबसे हालिया पहल अनुकरणीय है, जो नीति-निर्माण के लिए एक गतिशील दृष्टिकोण को दर्शाती है। पत्र में आगे लिखा है कि पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर पर आपकी कुछ उत्कृष्ट उपलब्धियां अनुबंध में सूचीबद्ध हैं। यह उन लोगों के लिए है, जो सरकार के हर काम से हमेशा नाखुश रहते हैं। रियायर्ड अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की प्रशंसा की है और इसे बेहतरीन उपलब्धि करार दिया है।

पत्र में 2015 का जिक्र करते हुए लिखा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्म-कश्मीर के विकास की दिशा में पहला प्रयास तब किया था, जब सत्तारूढ़ भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन किया था। उसी वर्ष नवंबर में प्रधानमंत्री ने सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जम्मू-कश्मीर के संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए एक विकास पैकेज की घोषणा की थी। तब से 20 बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं लगभग 60 फीसदी के साथ पूरे हो चुके हैं। किरू में 624 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाओं, पकलदुल में 1000 मेगावाट और रैटल में 850 मेगावाट की तीन जलविद्युत परियोजनाओं पर खर्च की गई धनराशि आवंटित की गई और काम शुरू किया गया था। वहीं पीएमजीएसवाई के तहत 214 परियोजनाएं पूरी हुईं, 148 बसावटों को जोड़ा गया, 1,326 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। जम्मू-कश्मीर भी लगभग 10 लाख लाभार्थियों के साथ पीएम किसान योजना के कार्यान्वयन में अग्रणी था। वहीं स्वच्छ भारत मिशन के तहत, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश 100% खुले में शौच मुक्त हो गया और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत घरों में 369% की वृद्धि हुई है।

एक साल बाद सितंबर 2016 में, भारतीय सेना ने घाटी में घुसपैठ करने या किसी भी सीमा कार्रवाई को अंजाम देने की योजना बना रहे आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए नियंत्रण रेखा के पार आतंकी शिविरों / लॉन्च पैड पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ शुरू की थी। यह उरी (बारामूला) में सेना के एक ब्रिगेड पर आतंकवादी हमले के जवाब में किया गया था जिसमें 17 जवान शहीद हो गए थे। वहीं 2017 में पाकिस्तान और आतंकवाद के साथ अलगाववादियों की सांठगांठ का पता लगाने के लिए दृढ़ कार्रवाई की गई, कई नेताओं पर एनआईए द्वारा आतंक के वित्तपोषण और ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के लिए मुकदमा चलाया गया था। इस सिलसिले में मसरत आलम, आसिया अंद्राबी, अल्ताफ अहमद शाह और शब्बीर शाह सहित प्रमुख अलगाववादियों को गिरफ्तार किया गया था।

जम्मू-कश्मीर की प्रगति के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की प्रशंसा के अलावा रिटायर्ड अफसरों ने स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उठाए गए कदमों को लेकर भी पीएम नरेंद्र मोदी की सराहना की है। नवंबर 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार ने पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों के लिए बिना किसी घटना के चुनाव कराया था, जिसमें 74 फीसदी 5.8 मिलियन मतदाता थे, जिससे 3650 सरपंच और 24 हजार पंच सदस्यों का चुनाव हुआ था। इसी तरह फरवरी 2019 में पुलवामा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के मारे जाने के जवाब में सरकार ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला करके जबाव दिया था।

पत्र में सरकार की बड़ी उपलब्धि के जिक्र में लिखा है कि अगस्त 2019 में सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित किया और भारत संघ के साथ जम्मू-कश्मीर राज्य क्षेत्र को पूरी तरह से एकीकृत कर दिया। इस निर्णय ने कई समूहों को प्रतिनिधित्व और निवास के अधिकार दिए हैं, जिनमें पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी और पहाड़ी, दलित समेत अन्य शामिल थे। इन्हें अब तक कल्याण और चुनावी प्रक्रियाओं के अधिकारों से वंचित रखा गया था। नतीजतन पश्चिमी पाकिस्तान, गोरखाओं और गैर-जम्मू-कश्मीर निवासियों से विवाहित महिलाओं के 20,000 से अधिक शरणार्थी भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने और नौकरी पाने के लिए वैध बन गए हैं। वहीं 2020 में जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन किया गया है। पहली बार राज्य में जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव हुआ है। दिसंबर 2020 में हुए चुनाव में 52% मतदान हुआ था, जिसमें 20 डीडीसी के लिए 278 सदस्यों का चुनाव हुआ था। इसके अलावा 2 नगर निगमों, 6 नगर परिषदों और 70 नगर समितियों सहित 78 शहरी स्थानीय निकायों के लिए सफलतापूर्वक चुनाव हुए हैं।

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