Thursday, April 25, 2024
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Monthly Archives: November, 2015

हिन्दी-कन्नड़ अनुवाद पुरस्कार-2016 के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित

कमला गोइन्का फाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का ने बताया कि इस पुरस्कार के अंतर्गत हिन्दी साहित्य के कन्नड़ में अनुवाद या कन्नड़ साहित्य के हिन्दी में अनुवाद की गयी सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक कृति (गद्य या पद्य दोनों में से किसी भी विधा में) के लिए इक्कीस हजार राशि का "पिताश्री गोपीराम गोइन्का हिन्दी-कन्नड़ अनुवाद पुरस्कार" हर दो वर्ष में एक बार दिया जाता है।

कब तक ठगाते रहेंगे जम्मू कश्मीर के लोग

जम्मू कश्मीर का आम निबासी तो अंग्रेज के भारत से जाने और शक्सी राज खत्म होने के करीब ७ दशक बाद भी कई प्रकार की यातनाएं और राजनीतिक प्रताड़ना झेल रहा है . जम्मू कश्मीर के शीर्ष नेता कहते हैं इस राज्य के पास कोई विशेष दर्जा है और बे इस को इस राज्य के आम जन के हित में दिखाते हुए उसी आमजन को हर रोज एक नई उलझन में डाल देते हैं.

श्री संजीव मित्तल पश्चिम रेलवे के नये मुख्य संरक्षा अधिकारी

भारतीय रेल इंजीनियरी सेवा के 1982 बैच के वरिष्ठ अधिकारी श्री संजीव मित्तल ने पश्चिम रेलवे के मुख्य संरक्षा अधिकारी का पदभार पिछले दिनों ग्रहण किया। आपने वर्ष 1981 में रुड़की विश्वविद्यालय (वर्तमान में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी, रुड़की) से सिविल इंजीनियरी में स्नातक उपाधि और उसके बाद स्नातकोत्तर उपाधि भी प्राप्त की। इस दौरान आपने कुलपति पदक सहित तीन स्वर्ण पदक हासिल किये।

किताब के पन्ने पर समोसा खाने पर पुरस्कार वापस लौटाने की धमकी

दिल्ली. “केन्द्रीय राजधानी दिल्ली के बाराखंबा रोड इलाके से चौंकानेवाली खबर आई है, 30 वर्ष पूर्व अपनी कानपुरी रचना “मैँ तेरो कटप्पो” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मशहूर कवि/लेखक श्री “जलील कमीनपुरी” ने अपना पुरस्कार लौटा देने की खुली धमकी दी। वारदात कुछ ऐसी रही कि लेखक “जलील कमीनपुरी” एक ढ़ाबे पर बैठे चाय और बड़ी गोल्डफ्लेक का अवशोषण कर रहे थे, तभी उनकी नजर पास की बेंच पर बैठे दो लड़कों पर गई, जो समोसा कचौड़ी खा रहे थे।

दोपहिया वाहनों के ‘हीरो’ का जाना

दोपहिया वाहन उद्योग के सिरमौर कहे जाने वाले 92 वर्षीय बृजमोहन लाल मुंजाल का निधन रविवार शाम हो गया। मुंजाल ने दुनिया की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन कंपनी हीरो मोटोकॉर्प की स्थापना की थी। मुंजाल के तीन बेटे हैं सुमन कांत, पवन कांत और सुनील कांत। मुंजाल के छोटे भाई ओ पी मुंजाल का निधन भी इस साल अगस्त में हो गया था।

पत्रकारिता छोड़ी, चावल की खेती से मुनाफा कमाया

इन दिनों जब तेलंगाना और आंध्रप्रदेश गंभीर कृषि संकट से जूझ रहे हैं और यहां के कई किसान आत्‍महत्‍या तक कर चुके हैं, वहीं हाल ही में कलम छोड़कर खेती को अपनाने वाले एक पत्रकार ने सफलता की नई इबारत लिखी है। उसने दोनों राज्‍यों के लोगों को समृद्धि का एक रास्‍ता भी दिखाया है और चावल की एक नई किस्‍म डायबिटीज राइस उगाई है।

इमामी क्रीम गोरा नहीं कर पाई, 15 लाख का जुर्माना

चार हफ्तों में त्वचा को गोरा बनाने का दावा करना एक नामी फेयरनेस क्रीम कंपनी को भारी पड़ा। युवक ने कोर्ट केस किया और तीन साल की कानूनी लड़ाई के बाद अब कंपनी पर 15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

मरीन ड्राइव की क्वीन नेकलेस एलईडी लैंप का मेंटेनेंस कौन करेगा?

मुंबई के मरीन ड्राइव की क्वीन नेकलेस एलईडी लैंप बिठाने को लेकर हुआ विवाद न्यायालय तक पहुंचा और नीले के बजाय पीले लैंप बिठाने का भले ही शुरु है लेकिन इन एलईडी लैंप का मेंटेनेंस कौन करेगा? इसको लेकर बेस्ट प्रशासन ने किए हुए पत्र को जबाब देने के बजाय मनपा प्रशासन द्वारा मौन रखने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध हुए दस्तावेजों से सामने आ रही हैं।

पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारियों के सम्मेलन में संरक्षा निष्पादन की समीक्षा

पश्चिम रेलवे, प्रधान कार्यालय, चर्चगेट में हाल ही में पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारियों का सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों के संरक्षा निष्पादन की समीक्षा की गई। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री जी. सी. अग्रवाल ने सम्मेलन में अपने सम्बोधन के दौरान विभिन्न स्तरों पर और अधिक संरक्षा सुनिश्चित करने हेतु हरसम्भव प्रयास करने की ज़रूरत पर बल दिया।

कालिख तो जो इरफान हबीब है ने भी पोती है …

भारत के हम लोग पिछले 68 सालों में कैसी जाहिल-काहिल इतिहास रचना में जीए हैं इसका प्रमाण कथित इतिहासकार इरफान हबीब हैं! इरफान हबीब उन सब चेहरों की असलियत है जिन्होंने असहिष्णुता का हल्ला किया हुआ है। इरफान हबीब ने अपनी जुबा से जो नफरत उगली है उसके बाद भारत के उन सब लोगों को अपने नाक, कान, आंख उन लोगों के प्रति बंद कर देने चाहिए जो बेचारे लग रहे थे। जिन पर यह दया हो रही थी कि ये बेचारे जब इतने फड़फड़ा रहे हैं, पुरस्कार लौटा रहे हैं, रोना-धोना कर रहे हैं तो इनके दर्द को समझना चाहिए।
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