Wednesday, April 24, 2024
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Monthly Archives: December, 2015

मोदीजी के राज में हिन्दी की हर कदम पर बेइज्जती

भारत सरकार वास्तव में भारत सरकार नहीं अंग्रेजी राज है, जो अंग्रेजी का गुलाम है। हर दिन हर पल मंत्रियों की मौजूदगी में राजभाषा कानून की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं।

कौन चाहता है बन जाए राममंदिर?

राममंदिर के लिए फिर से अयोध्या में पत्थरों की ढलाई का काम शुरू हो गया है। नेताओं की बयानबाजियां शुरू हो गयी हैं। उप्र पुलिस भी अर्लट हो गयी है। कहा जा रहा है कि पत्थरों की यह ढलाई राममंदिर की दूसरी मंजिल के लिए हो रही है।

सिक्ख भाईयों पर व्यंग करने से पहले जरा सोचें उनके त्याग और योगदान के बारे में

दोस्तों ! कुछ नादान लोग सिक्ख भाइयों को अपनी ओर से शायद व्यंग करते हुए कहते हैं कि सरदारजी बारह बज गए। वे शायद नहीं जानते कि बारह बजे क्या होता था ?? शायद मेरे सभी सिक्ख भाई भी पूरी जानकारी नहीं रखते हैं। उन सभी लोगों के लिए वास्तविक जानकारी प्रस्तुत है जो इसका मतलब नहीं जानते हैं। इतिहास गवाह है कि सिक्खों ने असहाय और कमजोरों की मदद के लिए कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं की।

भारतीय समाज का यथार्थ : ‘भूतों का इलाज’

‘भूतों का इलाज’ देवेन्द्र कुमार मिश्रा द्वारा लिखा गया एक रोचक एवं पठनीय कहानी संग्रह है. इस कहानी संग्रह में समाज के छुए-अनछुए पहलुओं पर बड़ी ही गहनता और मार्मिक रूप से लिखा गया है. संवाद शैली ऐसी है कि कहानी को एक बार पढना शुरू किया जाए तो पूरी पढ़े बिना नहीं रहा जाता. समाज के विभिन्न पहलुओं पर लिखी गयी कहानियां दिल को छू जाती हैं और यह सोचने को मजबूर कर देती हैं कि इतने समृद्ध कहे जाने वाले समाज में कुछ चीजें आज भी ज्यों की त्यों हैं.

एक सांसद. क्रिकेटर और सैनिक का फर्क देखिये

जहां डेढ लाख सैलरी हर महीना पाने वाले सांसदो की सैलरी आयकर नहीं देना पड़ता... और 24 घंटे मौत की छांव मे रहने वाले सिपाही को बीस हजार की तनख्वाह पर भी आयकर देना पडता है.... सांसदो को परिवार के साथ रहते हुए भी हर साल पचास हजार फोन काल फ्री घर से हजारो किमी. दूर बैठे सैनिक को एक काल भी फ्री नहीं

हर दुख एक चिट्ठी है और हर पीड़ा एक संदेश

अभी के दौर में आर्थिक शब्दावली कुछ ज्यादा ही चलन में है, लिहाजा जीवन मूल्यों को भी आयात-निर्यात की नजर से देखा जाने लगा है। लेकिन भारत ने अपने मूल्य न तो अभी तक किसी पर थोपे हैं, न ही उनका निर्यात किया है। इनमें से जो भी दुनिया को अपने काम का लगता है, उसे वह ग्रहण करती है, ठीक वैसे ही, जैसे अन्य समाजों से हम ग्रहण करते हैं। जिस दौर में दुनिया अहिंसा को एक भारतीय मूल्य के रूप में अनुकरणीय मानती थी, भारत की धरती पर उस दौर में संसार का सबसे बड़ा साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन अहिंसा के सिद्धांत पर ही संचालित हो रहा था।

रेल मंत्री श्री प्रभु की पहलः अब यात्रियों के सुझाव से बनेगा रेल बजट

ट्विटर पर गुहार के जरिये यात्रियों की मदद करने वाला भारतीय रेल मंत्रालय अब अपने वार्षिक बजट बनाने में भी आम जनता के ज्यादा से ज्यादा सुझाव को शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ गया है। उसने अगले रेल बजट के लिए लोगों से सुझाव मांगा है। यदि आप रेल सेवा में कोई बदलाव चाहते हैं या फिर रेल के बुनियादी ढांचे, परिचालन आदि को लेकर आपके पास कोई सुझाव है तो इसे मंत्रालय तक पहुंचा सकते हैं। संभव है कि आपकी मांग व सुझाव पर अमल हो जाए। इसके लिए आपके पास 15 जनवरी तक का समय है।

इण्डिया नहीं है भारत की गौरव-गाथा के लिए कार्य करें : आचार्य श्री विद्यासागर जी

रहली (ज़िला-सागर मध्यप्रदेश) में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिवस पर गजरथ यात्रा के बाद चारों दिशाओं से भक्तिवश पधारे लगभग एक लाख जैन-अजैन श्रद्धालुओं को उदबोधन देते हुए योगीश्वर कन्नडभाषी संत दिगंबर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने धर्म-देशना की अपेक्षा राष्ट्र और समाज में आए भटकाव का स्मरण कराते हुए कहा कि आज जवान पीढ़ी का ख़ून सोया हुआ है। कविता ऐसी लिखो कि रक्त में संचार आ जाय। उसका इरादा 'इण्डिया' नहीं 'भारत' के लिये बदल जाय। वह पहले भारत को याद रखें। भारत याद रहेगा, तो धर्म-परम्परा याद रहेगी। पूर्वजों ने भारत के भविष्य के लिये क्या सोचा होगा?

यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन द्वारा 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिता

पत्र लेखन विधा को प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में इस बार भी 3 जनवरी, 2016 (रविवार ) को प्रात: 10.00 बजे से 11.00 बजे के दौरान उक्त प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाक विभाग द्वारा जोधपुर एवं जैसलमेर जिलों मे अध्ययनरत स्कूली विद्यार्थियों के लिए 45वी यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र-लेखन प्रतियोगिता-2016 का आयोजन जोधपुर में किया जायेगा।

नरेंद्र मोदी का नाम बदनाम कर रहे हैं उनके ही ‘अंग्रेज अधिकारी’

कृपया 21 - 12 - 2015 के निम्नलिखित ईमेल का सन्दर्भ ग्रहण करें जो "माईगव" वेबसाइट से मिला है पिछड़े एक साल में इस तरह के दर्जनों ईमेल भारत की आम जनता को भारत सरकार की ओर से प्राप्त हो रहे हैं। राजभाषा अधिनियम १९६३ एवं राजभाषा नियम १९७६ के अनुसार इस तरह का पत्राचार अनिवार्य रूप से द्विभाषी रूप में भेजा जाना चाहिए क्योंकि भारत की राजभाषा हिंदी है पर प्रधानमन्त्री कार्यालय एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने ऐसे ईमेल भेजने के लिए जिस 'जनसंपर्क' एजेंसी को ठेका दिया है, उसमें शर्त रखी है कि ईमेल सिर्फ अंग्रेजी में भेजे जाएँ।
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