Wednesday, April 24, 2024
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Monthly Archives: August, 2016

ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को श्री प्रभु एक करोड़ देंगे

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल मंत्रालय की ओर से रियो ओलंपिक में शमिल हुए खिलाडि़यों को गोल्ड मेडल जीतने पर एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की है।

एक झटके में बन जाईये टीवी पर बहस करने वाले विशेषज्ञ

इन दिनों टीवी पर अलग-अलग विषय पर बोलने वाले विशेषज्ञों की भारी मांग है। हर चैनल को हर विषय पर बोलने के लिए कुछ ऐसे लोग चाहिए जो उस विषय को छोड़कर किसी भी विषय पर धाराप्रवाह बोल सके और इतना बोले कि दूसरे को बोलने का मौका ही नहीं दे।

पश्चिम रेलवे के गार्ड एसोसिएशन द्वारा जीआरपी इंस्पेक्टर सम्मानित

पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल मंडल के गार्ड एसोसिएशन द्वारा मुंबई सेंट्रल स्थित रेल निकुंज हॉल में जीआरपी के एसआई श्री सुरेश रामचंद्र शिंदे के निष्ठावान एवं प्रशंसनीय प्रयासों हेतु एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया गया

राखी के धागों से जुड़ी है मानवीय संवेदनाएं

रक्षाबंधन यानी सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता एवं एकसूत्रता का सांस्कृतिक पर्व। प्यार के धागों का एक ऐसा पर्व जो घर-घर मानवीय रिश्तों में नवीन ऊर्जा का संचार करता है।

समय के साथ कदमताल न कर पाने से बिगड़ा याहू का हाल

वेराइजन याहू के इंटरनेट परिचालन और उसकी अचल संपत्ति को 4.8 अरब डॉलर में खरीदने के लिए तैयार हो गई। इस लेनदेन के बाद याहू के पास केवल अलीबाबा में किया गया निवेश ही रह जाएगा।

विश्वास की रक्षा ही रक्षाबंधन

भारतीय परम्परा में विश्वास का बंधन ही मूल है। रक्षाबंधन इसी विश्वास का बंधन है। यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बांधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता, वरन प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बांधने का भी वचन देता है।

सांसद हुकुम सिंह ने कहा, गाय को पूजने वालों का दर्द तो समझिए

गौरक्षकों को लेकर चल रहे विवाद के बीच कैराणा से सांसद हुकुम सिंह ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि गौरक्षकों के खिलाफ आवाज उठाना छद्म धर्मनिरपेक्ष लोगों के लिए फैशन बन गया है।

मोदीजी के किसान चैनल का भट्टा बिठा दिया भ्रष्ट अफसरशाही ने

अगर किसी अच्छी खासी चलती हुई चीजों का भट्टा बैठाना हो तो उसे सरकारी लोगों के हाथों में सौंप देना चाहिए। नाम न छापने की शर्त पर प्रसार भारती के अधिकारी जब यह कहते हैं तो पहली बार में यह बात अतिश्योक्ति लग सकती है लेकिन जब प्रसार भारती की हालत पर गौर करें तो इस वाक्य‍ का एक-एक शब्द‍ ठीक लगने लगता है।

एक कविता ऐसी भी…ॐ म‌हाम‌हिम, म‌हम‌हो उल्लू के प‌ट्ठे

नागार्जुन की लंबी कविता *मन्त्र* का आख़िरी हिस्सा

अब तो सवाल पत्रकारों पर भी उठने लगे हैं

किले दरक रहे हैं। तनाव बढ़ रहा है। पहले तनाव टीवी की रिपोर्टों तक सीमित रहता था।
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