Monthly Archives: June, 2017
पश्चिमी सोच ने हमको भटकायाः श्री अरुण कुमार
नई दिल्ली। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित नारद जयंती समारोह में पत्रकारों के सम्मान समारोह मे कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-सम्पर्क प्रमुख अरुण कुमार ने कहा कि आत्म विस्मृति को दूर भगाकर राष्ट्र की सोयी हुई आत्मा को जगाना होगा।
क्या कर्ज माफी समाधान है किसानों की समस्याओं का
अवधेश कुमार - 0
इस समय देश भर में किसानों का जो आंदोलन हमें दिख रहा है उसमें यद्यपि कृषि से जुड़ी अनेक समस्याओं की गूंज है, लेकिन इसमें मुख्य स्वर कर्ज माफी का है। आप देखेंगे कि जहां भी किसान सड़कों पर हैं या सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे रहे हैं उसमें कर्ज माफी की मांग पहले स्थान पर है।
कोविंद गढ़ सकेंगे पद के नये मानक
इन दिनों की कुछ घटनाएं पूरे राष्ट्र के मानस पटल पर छाई रही हैं। जिनमेें बिहार के राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद की जिस तरह से नरेन्द्र मोदी ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में घोषणा की, वह आश्चर्यकारी एवं अद्भुत घटना है।
राष्ट्रपति की इफ्तार पार्टी में नहीं गए भाजपा ने नेता और मंत्री
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार (23 जून) को राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी दी। अगले महीने प्रणब का कार्यकाल खत्म हो जाएगा और उनकी तरफ से दी जाने वाली यह आखिरी इफ्तार पार्टी थी।
अपराधी प्रिय भारतीय न्याय-व्यवस्था का शुद्धिकरण कैसे हो
जब अधिक माइलेज देने वाली हीरोहौंडा मोटरसाइकिल भारत में आई थी तब विज्ञापन में कहा जाता था – फिल इट, शट इट एंड फॉरगेट इट। ऐसा ही कुछ भारतीय न्यायपालिका के विषय में कहा जाता है – फाइल एंड फॉरगेट यानी दावा दायर करो और भूल जाओ।
माननीयों का महाचुनाव….!!
देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद यानी राष्ट्पति के बारे में मुझेे पहली जानकारी स्कूली जीवन में मिली , जब किसी पूर्व राषट्रपति के निधन के चलते मेरे स्कूल में छुट्टी हो गई थी। तब में प्राथमिक कक्षा का छात्र था। मन ही मन तमाम सवालों से जूझता हुआ मैं घर लौट आया था।
सजग पत्रकार की दृष्टि में मोदी-युग
पुस्तक ‘मोदी युग’ का शीर्षक देखकर प्रथम दृष्टया लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्तुति में धड़ाधड़ प्रकाशित हो रही पुस्तकों में एक कड़ी और जुड़ गई। अल्पजीवी पत्र-पत्रिकाओं के लेखों के साथ ही एक के बाद एक सामने आ रही पुस्तकों में मोदी सरकार की जो अखंड वंदना चल रही है, वो अब उबाऊ लगने लगी है।
इंसानियत का पैगाम देता एक निराला संत
धरती पर कुछ ऐसे व्यक्तित्व होते हैं जो असाधारण, दिव्य और विलक्षण होते हंै। हर कोई उनसे प्रभावित होता है। ऐसे व्यक्तित्व अपने जीवन में प्रायः स्वस्थ, संतुष्ट और प्रसन्न रहते हैं। उनमें चुनौतियों को झेलने का माद्दा होता है।
पुलिस प्रशासन निष्क्रिय-चोर सक्रिय
निर्मल रानी - 0
वैसे तो किसी भी प्रकार की सामाजिक अच्छाई अथवा बुराई के आंकड़ों का सीधा संबंध बढ़ती हुई जनसंख्या की दर से है। जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि होती जा रही है उसी के अनुसार समाज में जहां अच्छाईयां बढ़ रही हैं वहीं बुराईयां भी उससे अधिक तेज़ अनुपात से बढ़ती जा रही हैं।
बेटे की लिखी किताबों से पिता को हुई करोड़ों की कमाई
ब्रिटेन के कारोबारी बाप-बेटी इन दिनों चर्चा में हैं. इसकी वजह उनके द्वारा शुरू किया गया किताबों का बिजनेस. सालभर में उनकी किताब 'बिहाइंड मैजिक डोअर' की बिक्री में 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. 46 साल के रिचर्ड वार्नियर ने दो साल पहले नौकरी को अलविदा कह दिया था.