Monthly Archives: June, 2017
पर्यावरण बचाने के लिए पेड़ों को लाभ का सौदा बनाने की जरूरत
पिछले पखवाड़े मैं उत्तर प्रदेश में बिलासपुर के आसपास गई थी। वहां दूर-दूर तक पोप्लर के पेड़ों की कतारें दिख रही थीं। किसानों ने बताया कि पेड़ों की इस फसल का बाजार चौपट होने से इसके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा है।
झूठे विज्ञापन देने में एअरटेल से लकेर कई कंपनियाँ आगे
टीवी, अखबारों या अन्य किसी माध्यम के जरिए जो विज्ञापन आप देखते हैं, क्या वे 100 प्रतिशत सही होते हैं? इस सवाल का जवाब तो विज्ञापनों पर नजर रखने वाली भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) की जारी की गई ताजा रिपोर्ट से मिल जाता है, कि कैसे कंपनियां आपको भ्रामक विज्ञापन दिखा कर धोखा दे रही हैं?
डॉ. भीमराव अम्बेडकर वि.वि. आगरा में पर्यावरण दिवस पर गोष्ठी का आयोजन
आगरा। डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी आगरा के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के पर्यावरण विज्ञान विभाग में सोमवार को विभाग के डॉ. बी. एस. शर्मा ने पर्यावरण दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन कराया। संगोष्ठी में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के सभी शिक्षकों, कर्मचारिओं और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद में 48 प्रतिशत पद रिक्त
शीर्ष राज्य योजना निदेशक , सह निदेशक ( प्रशासन) और सह निदेश ( गुणवत्ता ) तीनों पद रिक्त
तीन साल, राजनीति के दल-दल में गंगा बदहाल
अरुण तिवारी - 0
कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी जब बोलते हैं, तो उनकी बोली में संकल्प दिखाई देता है। गंगा को लेकर कहे उनके शब्दों को सामने रखें। स्वयं से सवाल पूछें कि गंगा को लेकर यह बात कितनी सत्य है ? गौर कीजिए कि मोदी जी ने इस संकल्प की पूर्ति के लिए जल मंत्रालय के साथ 'गंगा पुनर्जीवन' शब्द जोड़ा।
अनिल गलगली की शिकायत पर हरकत में आया सरकारी बाबू
सरकारी अधिकारी सरकारी योजना को नजरअंदाज कर आम लोगों को नचाने का काम करते हैं और एक ही काम के लिए रोजाना चक्कर मारने के लिए प्रेरित करते हैं।
होशपूर्वक चोरी भी करो तो ठीक है!
नागार्जुन से एक चोर ने पूछा था: आप कहते हैं होशपूर्वक जो भी करो, वह ठीक है। अगर मैं होशपूर्वक चोरी करूं तो?
पर्यावरण और विकास
अरुण तिवारी - 0
पर्यावरणीय समृद्धि की चाहत, जीवन का विकास करती है, विकास की चाहत, सभ्यताओं का। सभ्यता को अग्रणी बनाना है, तो विकास कीजिए। जीवन का विकास करना है, तो पर्यावरण को समृद्ध रखिए। स्पष्ट है कि पर्यावरण और विकास, एक-दूसरे का पूरक होकर ही इंसान की सहायता कर सकते हैं; बावजूद इस सच के आज पर्यावरण और विकास की चाहत रखने वालों ने एक-दूसरे को परस्पर विरोधी मान लिया है।
हे मूर्ख नेताओं, बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रही है अंग्रेजी!
अंग्रेजी की अनिवार्य पढ़ाई हमारे बच्चों को कैसे तबाह कर रही है, उसके दो उदाहरण अभी-अभी हमारे सामने आए हैं। पहला तो हमने अभी एक फिल्म देखी, ‘हिंदी मीडियम’ और दूसरा इंडियन एक्सप्रेस में आज दिव्या गोयल का एक लेख पढ़ा, जिसका शीर्षक था, ‘इंगलिश विंगलिश’ !
पेड़ों की पुकार सुनिए
कुछ दिन पहले मुझे दिल्ली की भागदौड़ से दूर उत्तराँचल के एक छोटे से हिल स्टेशन पर जाने का मौका मिला. रास्ते भर हरे भरे चीड और देवदार के पेड़ और सुहानी हवा आँखों और मन को शीतल कर रहे थे. हिल स्टेशन पहुँचते ही सुंदर फूलों की क्यारियों और आडू, आलूबुखारे, खुमानी, सेब और नाशपाती से लदे पेड़ों ने हमारा स्वागत किया. इतनी सुंदर और फलों -फूलों से भरपूर जगह मैंने पहली बार देखी थी.