Monthly Archives: February, 2018
छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास पर तीन दिवसीय शोध संगोष्ठी 16 मार्च से
राज्य शासन के संस्कृति और पुरातत्व संचालनालय द्वारा ‘छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास’ विषयक तीन दिवसीय संगोष्ठी 16 मार्च से 18 मार्च तक आयोजित की जा रही है। यह संगोष्ठी महंत घासीदास संग्रहालय सिविल लाईन रायपुर में आयोजित होगी। संगोष्ठी में शामिल होने वाले व्यक्तियों से छत्तीसगढ़ के प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास संबंधी शोध पत्र की संक्षेपिका 10 मार्च 2018 तक प्रेषित करने का अनुरोध किया गया है।
रायपुर : वनौषधि छत्तीसगढ़ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन : छह हर्बल कम्पनियों से हुआ अनुबंध
विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ को प्रकृति का विशेष वरदान मिला है। इसके गर्भ में जहां बहुमूल्य रत्न और खनिज संपदा भरी पड़ी है, वहीं धरती के ऊपर बेशकीमती वन आवरण से लदा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ आदिवासी और वन बहुल राज्य है। वनों में हजारों प्रकार की जड़ी-बूटियां और वनौषधियां विद्यमान हैं। इनका उपयोग करके आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर किया जा सकता है। श्री अग्रवाल ने ‘‘वनौषधि 2018 छत्तीसगढ़’’ पर यहां विज्ञान महाविद्यालय परिसर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागृह में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।
रायपुर : मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना से अब तक 2.10 लाख तीर्थयात्री लाभान्वित
राज्य शासन की मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना से अब तक 2।10 लाख तीर्थयात्री लाभान्वित हुए है ।समाज कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 15 जनवरी 2013 को इस योजना का शुभारम्भ किया गया और पहली यात्रा शिरडी,शनि सिंगनापुर और त्र्यम्बकेश्वर भेजी गयी थी। वर्ष 2014 से४ निःशक्तजनों को भी इस योजना का लाभ दिलाया जा रहा है और अब तक 06 यात्राओं के माध्यम निःशक्तजनों को तीर्थ यात्रा पर भेजा गया है ।
धर्मगुरुओं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से मुक्ति मिले
आज धर्म एवं धर्मगरुओं का व्यवहार एवं जीवनशैली न केवल विवादास्पद बल्कि धर्म के सिद्धान्तों के विपरीत हो गयी है। नैतिक एवं चरित्रसम्पन्न समाज बनाने का नारा देकर तथाकथित धर्मगुुुरुओं ने अपने भौतिक एवं आर्थिक साम्राज्य के विस्तार के लिये अशांति, अपवित्रता, असन्तलन एवं अंधकार को फैलाया है। राजनीति की ओर उनकी रवानगी, उनका व्यवसायी हो जाना, उनके सैक्स स्कैंडल का उछलना, उनके द्वारा महिलाओं का शोषण किया जाना गहरी सामाजिक बहस की मांग करता है। हाल में हमारे देश में ऐसे ही अनेक धर्मगुरुओं का उभार हुआ है। उनके प्रशंसकों की संख्या अब करोड़ों में है, उनका करोडों-अरबों का साम्राज्य है। इन तथाकथित बाबाओं एवं धर्मगुरुओं की अंध-भक्ति और अंध-आस्था कहर बरपाती रही है और उनसे जन-जीवन आहत है। इन विडम्बनापूर्ण स्थितियों ने अनेक प्रश्न खड़े किये हैं, मुख्य प्रश्न है कि कब तक इन धर्मगुरुओं एवं बाबाओं के स्वार्थों के चलते जनजीवन गुमराह होता रहेगा? कब तक इनकी विकृतियां से राष्ट्रीय अस्मिता घायल होती रहेगी? कब तक सरकारें इनके सामने नतमस्तक बनी रहेगी? कब तक कानून को ये अंगूठा दिखाते रहेंगे? कब तक जनता सही-गलत का विवेक खोती रहेगी?
शायर-साहित्यकार हमारे नायक क्यों नहीं?
राणा यशवंत - 0
हम एक अजीब से शोर में रहते हैं। कभी आवाज इधर से उठती-सी लगती है, कभी उधर से। जब कुछ साफ-साफ समझ में आने को होता है, तभी कहीं और से कोई शोर उठ जाता है। इस शोर में हमें रखा जाता है और शोर हमें एक सुरंग में धकेलता जाता है, जहां सिर्फ अंधेरा होता है- अपना चेहरा भी खुद को नजर नहीं आता। यह शोर कई तरह का होता है, लेकिन उसकी मंशा एक ही होती है- हम
उप चुनाव बताएंगे हवा का रुख़
फ़िरदौस ख़ान - 0
उत्तर प्रदेश और बिहार में लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा और बिहार की अररिया लोकसभा सीटों के लिए 11 मार्च को मतदान होना है। इसी दिन बिहार की जहानाबाद और भभुआ विधानसभा सीटों के लिए भी वोट डाले जाएंगे। चुनाव नतीजे 14 मार्च को आएंगे। सियासी दलों ने इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कमर कस ली है। ये उप चुनाव जहां प्रतिष्ठा का सवाल बने हुए हैं, वहीं अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिहाज़ से भी अहम माने जा रहे हैं। सियासी दलों का मानना है कि ये चुनाव साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का रुख़ तय करेंगे।
श्रीदेवी की खबरों क लेकर रेणुका शहाणे ने मीडिया को लगाई लताड़
श्रीदेवी की मौत के बाद मीडिया ने जिश गटिया तरीके से खबरें चलाई उसको लेकर फिल्म अभिनेत्री रेणुका शहाणे फेसबुक पर मीडिया के घटियापन को जमकर लताड़ लगाई है रेणुका ने लिखा है- प्यारे न्यूज चैनलों, कृपया श्रीदेवी जी की रूह को तो चैन लेने दो। कृपया उनके परिवार, दोस्तों और फैन्स को चैन से उनके गम में रो लेने दो। कल्पना करो कि यदि वह तुम्हारे परिवार की कोई सदस्य होतीं तो? क्या तुम अपने किसी चहेते के लिए भी इसी तरह की चर्चा और बहस पसंद करते। प्लीज उसके प्रति तो थोड़ा सम्मान का भाव दिखाओ जो अब इस दुनिया में नहीं रहा है।
बापू बाजार में बच्चों को मिला होली का उपहार
जौनपुर। राम किशुन सिंह महाविद्यालय सिद्दीकपुर समीप पंचायत भवन में महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक सेविकाओं द्वारा बापू बाज़ार लगाया गया। बापू बाजार में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर मनोज मिश्र ने कहा कि बापू बाजार के माध्यम से ग्रामीणों की सच्ची सम्मान सहित सहायता की जा रही है। इस बाजार की श्रृंखला को अनवरत जारी रखना होगा। जो विद्यार्थी पठन पाठन के साथ सामाजिक सेवा के कार्यों में जुड़े रहते हैं उनके व्यक्तित्व का विकास अलग तरीके से होता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ राजा राम यादव ने सभी महाविद्यालयों से बापू बाजार के माध्यम से समाज की सेवा करने की अपेक्षा की है।
पूरा मोहल्ला शामिल होता था धर्मवीर भारती जी की होली में
प्रेम की बात हो तो कैसे एक और प्रेमी युगल की बात याद न आए, जो काल और समय की सीमाएं तोड़ चुका है। 83 वर्षीय पुष्पा भारती जी आज भी साहित्य सहवास में शाकुंतलम के अपने घर में उसी तरह रहती हैं जैसे 68-69 से रहती आई हैं धर्मवीर भारती जी के साथ। भारती जी ने देह भले ही त्याग दी, पर उन्होंने ना पुष्पा जी को छोड़ा है ना पुष्पा जी ने उन्हें। इसलिए आज भी भरपूर सुहाग का मान उनके सौम्य, गौर, सुंदर मुख पर झलकता है। उनकी हर बात में, हर सांस में परिलक्षित होता है। चाहे दरवाजे के बाहर लगी धर्मवीर भारती, पुष्पा भारती की नेम प्लेट्स हों, चाहे पूरे घर में खासकर अध्ययन कक्ष में जगह-जगह लगी उनकी तस्वीरों, फाइलों और यादों का अहसास- उस घर में भारती जी आपको घूमते, ठहाके लगाते, त्रिभंगी छवि में खड़े मुस्कुराते, किस्से-कहानियां सुनाते नजर आयेंगे। ‘प्रेम गली अति सांकरी, या में दुइ न समाएं’ को चरितार्थ करते हुए वे पुष्पा जी में समा गये हैं। उन्हीं की सांसों में स्पंदित होते हैं, उन्हीं के होठों से बोलते हैं।
प्रणव मुखर्जी का नरेन्द्र मोदी से मोह भंग
राष्ट्रपति रहने के दौरान प्रणव मुखर्जी ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार का समर्थन किया था। मगर, अब बतौर पूर्व राष्ट्रपति उन्होंने इसके खिलाफ खिलाफ बोला है। प्रणव मुखर्जी के मुताबिक केंद्र और राज्यों की सरकारों का एक साथ चुनाव व्यावहारिक नहीं हैं। कुछ परिस्थितियों में इससे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन भी होगा। सरकार गिरने की स्थिति में शासन में जनता अपने प्रतिनिधित्व से वंचित होगी।