Thursday, April 25, 2024
spot_img

Monthly Archives: April, 2018

डॉ. अच्युत सामंताः हजार हाथों वाला आधुनिक देवता

वे बता रहे थे और श्रोता भावविभोर होकर सुनते जा रहे थे। महज चार साल की उम्र में उनके सर से पिता का साया उठ गया. वे ओडिशा के कटक जैसे बेहद पिछड़े जिले के दूरदराज के एक गांव में जन्मे थे. परिवार चलाने के लिए वे सब्जी बेचकर विधवा मां का सहारा बने और पढ़ाई भी करते रहे। परिवार में गरीबी इतनी थी कि सात भाई बहनों को कई बार माँग कर खाना पड़ता था। उन्होंने अपने परिवार की गरीबी का उल्लेख करते हुए कहा, मेरी बहन की शादी होना थी लेकिन मेरी माँ के पास पहनने को दूसरी साड़ी तक नहीं थी, वो पूरे गाँव में 80 घरों में दूसरी साड़ी माँगने के लिए

दादा साहब फाल्के के शब्दों मेंः जब उन्होंने पहली बार फिल्म देखी

रोज शाम को चार पांच घंटे सिनेमा देखना और शेष समय में मानसिक विचार और प्रयोग. विशेषतः परिवार के लालन-पालन की जिम्मेदारी के साथ-साथ रिश्तेदारों द्वारा व्यंग-तिरस्कार, असफलता का भय आदि के कारण मेरी दोनों आंखें सूज गई थीं. मैं बिलकुल अंधा हो गया. लेकिन डॉक्टर प्रभाकर के सामयिक उपचार के कारण मेरा दृश्य-जगत मुझे वापस मिल गया. तीन-चार चश्मों की सहायता से मैं फि

गूगल ने याद किया दादा साहब फाल्के को

सर्च इंजन गुगल ने आज अपना डुडल भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहेब फाल्के को उनके 148वीं जयंती पर समर्पित किया है। दादा साहेब फाल्के का पूरा नाम धुंडीराज गोविन्द फाल्के था। वह भारतीय सिनेमा के निदेर्शक, निमार्ता और स्क्रीन राइटर थे। वर्ष 1912 में आयी उनकी पहली फिल्म राजा हरिशचंद्र भारतीय सिनेमा के इतिहास की पहली फिल्म मानी जाती है। उनकी फिल्मों में मोहिनी भस्मासुर, सत्यवान सावित्री, लंका दहन, श्रीकृष्ण जन्म, बुद्धदेव, सेतू बंधन और गंगावतारम शामिल है। उन्होंने अपने 19 सालों के फिल्मी सफर में 95 फिल्में बनाईं।

पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षण का सुनहरा अवसर

प्रिंट, रेडियो, टीवी समेत विभिन्न संचार माध्यमों में अपना करियर बनाने के इच्छुक छात्र देश प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन यानी कि IIMC में पढ़ाई कर सकते हैं। दरअसल ने संस्थान ने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्सेज के लिए योग्य आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। वर्ष 2018-19 के लिए सभी

आसाराम को सींखचों में पहुंंचाने वाले वकील का दर्द कुछ यूं छलका

" 15 मिनट में जज ने अपना फैसला सुना दिया था. वो 15 मिनट मेरी जिंदगी के सबसे भारी 15 मिनट थे. एक-एक पल जैसे पहाड़ की तरह बीत रहा था. पूरे समय मेरी आंखों के सामने पीड़िता और उसके पिता का चेहरा घूमता रहा.जज जब फैसला सुनाकर उठे तो लोग मुझे बधाइयां देने लगे. मेरा गला रुंध गया था. मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. मैं वकील हूं, मुकदमे लड़ना, कोर्ट में पेश होना मेरा पेशा है. लेकिन जिंदगी में आखिर कितने ऐसे मौके आते हैं, जब आपको लगे कि आपके होने का कोई अर्थ है. उस क्षण मुझे लगा था कि मेरे होने का कुछ अर्थ है. मेरा जीवन सार्थ

अब बिल्डिंगों और सोसायटियों में लगेगी संघ की शाखाएँ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अब महानगरों और मेट्रो शहरों की ऊंची-ऊंची इमारतों में अपना प्रभाव बढ़ाने की योजना बना रहा है। इसके लिए संघ इन हाईराइज बिल्डिंग्स में शाखाएं आयोजित करने पर विचार कर रहा है। संघ विचारकों का मानना है कि जिस तरह से देश के शहरों में हाईराइज बिल्डिंग्स का कल्चर बढ़ रहा है, ऐसे में आरएसएस का प्रभाव बढ़ाने के लिए इन हाईराइज बिल्डिंग्स में शाखाएं आयोजित कराना जरुरी संघ की भविष्य की योजनाओं का हिस्सा है। बता दें कि अभी तक आरएसएस का प्रभाव कॉलोनियों, कस्बों और गांवों तक ही सीमित है, अब संघ अपार्टमेंट्स में भी अपनी पैठ बढ़ाना चाहता है।

रायटर्स का एजेंडा मोदी सरकार के खिलाफ या पत्रकारों के हित में

‘रॉयटर्स’ दुनिया भर में मीडिया की बड़ी मशहूर एजेंसी है, मीडिया के हलकों में बड़ा रुतबा है। इसलिए आसानी से कोई उसकी रिपोर्ट पर भरोसा भी कर लेता है। लेकिन जब कोई रिपोर्ट इंडियन मीडिया से जुड़ी हो और साफ साफ एकतरफा लगे तो सवाल बनता है। रॉयटर्स की तरफ से ये रिपोर्ट लिखी है राजू गोपालकृष्णन ने, रिपोर्ट की हैडलाइन का लब्बोलुआब है- भारतीय पत्र

चार होनहारों की प्रेरक कहानी

देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन मानी जाने वाली सिविल सर्विसेज परीक्षा, 2017 (UPSC) का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया गया है। शुक्रवार देर शाम घोषित परिणाम के अनुसार हैदराबाद में रहने वाले अनुदीप डुरीशेट्टी ने टॉप किया है। वहीं, हरियाणा की अनु कुमारी दूसरे और तीसरे नंबर पर सिरसा के सचिन गुप्ता हैं। बिहार के अतुल ने चौथा स्थान हासिल किया है। आपको बताते हैं कैसा रहा इन चारों टॉपर्स का सफर।

रूमानियत और मधुर प्रेम की जो दुनियाः अभी तुम इश्क़ में हो

"अकाल में उत्सव" "ये वो सहर तो नहीं" जैसे सामाजिक सरोकारों पर आधारित उपन्यास लिखने वाले पंकज सुबीर जी "कितने घायल कितने बिस्मिल" "रेपिश्क" जैसी देह के इस पार और उस पार गहरे अहसासों को खंगालती कहानियाँ लिखने वाले पंकज सुबीर "कसाब एट द रेट ऑफ यरवदा डॉट को डॉट इन" जैसी आतंकवाद की जड़ों को ढूंढती कहानी लिखने वाले पंकज सुबीर जब एक नई किताब लेकर आते हैं जिसका नाम हो "अभी तुम इश्क. में हो" तो हैरानी और जिज्ञासा एक साथ होती है,कि क्या लिखा होगा ? ज्यादा आश्चर्य जब होता है जब बुक हाथ में लेने पर मालूम होता है कि
- Advertisment -
Google search engine

Most Read