Thursday, March 28, 2024
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Monthly Archives: January, 2019

विदेशी भाषा में पढ़कर हमारे बच्चे मौलिकता खो देते हैंः डॉ. वैदिक

मनाते हुए भारतीय भाषा परिषद सभागार में 'बौद्धिक समाज और भाषिक उदासीनता' विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया.

चीन ने इस्लाम को मानने के लिए नए कानून लागू किए

शी जिनपिंग के राष्ट्रपति के बनने के बाद कुछ खास इलाकों उइगर मुसलमानों के लिए काफी सख्ती कर दी गई है.

हवाई हिन्दुत्व से आगे की सोचें

कांग्रेस, कम्युनिस्ट, जनता दल, आदि की तुलना में भाजपा शासन किसी राष्ट्रीय मुद्दे पर मूलतः भिन्न रहा। अन्यथा भाजपा समर्थकों को सचेत हिन्दुओं से ऐसी दलील की जरूरत न होती कि ‘भाजपा की हार से क्या मिलेगा?

ज़िंदगी के रंग समेटे एक कविता संग्रह

विचार और संवेदनाएं अपनी सम्पूर्णता से अभिव्यक्त होती ही हैं. सिर्फ़ ज्वलंत अग्नि पर जमी हुई राख को हटाने मात्र का अवसर चाहिए होता है. तदुपरांत प्रसव पीड़ा के पश्चात जो अभिव्यक्ति का जन्म होता है.

“हनुमान हिन्दू? मुस्लिम या सेक्यूलर ?”

जो सुविधा/छूट सेक्युलरो बंधुओ को है वही राजनेताओं के लिए भी रखी गई है क्योकि सेक्युलरो को संविधान की केवल चिंता रहती है जबकि नेता तो संविधान की बाकायदा लिखित और मौखिक शपथ भी खाता है।

भाजपा को नये रास्ते बनाने होंगे

की जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ देना चाहिए। लेकिन यह तो भविष्य की रचनात्मक समृद्धि का सूचक नहीं है। वर्तमान को सही शैली में, सही सोच के साथ सब मिलजुलकर जी लें तो विभक्तियां विराम पा जाएंगी।

साहित्य और सिनेमा पर परिसंवाद आयोजित

चर्चा के दौरान यह भी तथ्य सामने आया कि हिंदी साहित्य की किताबों पर फ़िल्म बनाने वाले कुछ फ़िल्मकार कृति की संवेदना को पूरी तरह आत्मसात नहीं कर पाए इसलिए उनकी फ़िल्में संतोषजनक नहीं बन पाईं।

1 जनवरी को नववर्ष मनाकर हम गुलामी की लकीर पीटते हैं

बहुत हद तक वर्तमान भारत की भी मुझे यही दारुण स्थिति दिखाई देती है। बरसों पूर्व हमारे स्वतंत्रता संग्रामियों ने ‘Quit India- भारत छोड़ो’ के नारे लगाए।

2018 में प्रकाशित हिंदी की ये पाँच पुस्तकें ज़रुर पढ़ना चाहिए

आज के समय में बाज़ार मां-बाप से भी ज्यादा हमारे करीब हो गया है! यह पढ़ने-सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन गौर करेंगे तो पाएंगे कि हम जब भी पढ़ाई या नौकरी के लिए अपने मां-

ऐड़े पुलिस अफसरों को सामाजिक मान्यता दिलाती ‘सिम्बा’

भले ही उनकी फिल्मों का स्वाद एकरसता को नहीं तोड़ता और दर्शक जाने पहचाने किरदारों को बार बार देखने के लिये लालायित रहते है.
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