Thursday, April 25, 2024
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Monthly Archives: May, 2020

ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउण्डेशन, अमेरिका व शिवना प्रकाशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा

चूँकि इस वर्ष यह आयोजन किया जाना किसी भी प्रकार से संभव नहीं है इसलिए सम्मानित रचनाकारों को इस वर्ष यह सम्मान एक ऑनालाइन कार्यक्रम में प्रदान किए जाएँगे। अगले वर्ष

लोकेन्द्र सिंह, मनोज पटेल और गजेन्द्र सिंह अवास्या की फिल्म बनी विजेता

इस कठिन समय में आरएसएस के स्वयंसेवकों ने जिस तरह कोरोना के खतरे की चिंता न करते हुए गरीबों एवं जरूरतमंदों की सहायता की है, उससे यह फिल्म बनाने का विचार आया। ताकि

विनायक सावरकर : स्वर्णिम अध्याय का नाम

तुमने गीता के स्थितप्रज्ञ को साकार कर दिया है मदन" न जाने ऐसे कितने ही जीवन है जो सावरकर से प्रेरणा प्राप्त कर मातृभूमि के लिए हस्ते हस्ते बलिदान हो गए. अपने महापुरुषों का

जिन्होंने कथा को धंधा बनाया वो अब बचाव की मुद्रा में

मेरा तो निवेदन है कि हिन्दू समाज इन अरबों खरबों के मालिकों की बजाय उन सन्तों से कथा करवाए जिन्होंने अपना पूरा जीवन और पुरा शरीर सनातन के लिए समर्पित कर दिया है भृष्ट तो

राजभाषा विभाग में बैठे अंग्रेजी के मानस पुत्रों, हम अंग्रेजी न जानने वालों पर कुछ तो कृपा कीजिए

क्या आपका विभाग अपने सांविधिक कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए इस आपात्काल में आम जनता के लिए कोई राहत नहीं दे सकता है, क्या हम सब केवल अंग्रेजी की लाठी खाकर मरने के लिए

खलील अहमद को क्रिकेट के प्रति अपनी दीवानगी को छुपाना पड़ा था

क्रिकेट के प्रति अहमद की दीवानगी और सभी तरह की मुश्किलों को पार करते हुए अपना सफ़र जारी से जुडे अन्य दिलचस्प किस्सों के बारे में जानने के लिए स्पाइसी पिच का

ज्योति की प्रशंसा करने वाले नकारा नेताओँ, उसने तुम्हारे मुँह पर तमाचा मारा है

सही पूछा जाए तो ज्योति कुमारी के साहस के प्रति सम्मान को सत्ता प्रतिष्ठानों की इस ईर्ष्या के रूप में भी लिया जा सकता है कि हमारी कृपा के बिना ही तुमने ऐसा कैसे कर लिया ! यह दृष्टिकोण वैसा ही तो है कि

महात्मा गांधी की दृष्टि में स्वातंत्र्यवीर सावरकर भारत माता के निष्ठावान पुत्र

आज जो दुष्ट बुद्धि के लोग वीर सावरकर की अप्रतिम छवि को मलिन करने का दुष्प्रयास करते हैं, उन्हें महात्मा गांधी की यह टिप्पणी इसलिए भी पढऩी चाहिए क्योंकि इसमें गांधीजी ने भारत की

भारत को शक्तिशाली बनाकर उभारना होगा

प्रकृति एवं पर्यावरण ही नहीं, जीवन में गिरावट एवं अवमूल्यन के अनेक स्तर हैं। समस्याएं भी अनेक मुखरित हैं पर राष्ट्रीय चरित्र को विघटित करने वाले कुछ प्रमुख बिन्दु हैं- साम्प्रदायिक संकीर्णता,

स्वातंत्र्यवीर सावरकर: जिनका रोम रोम भारत के कण कण को समर्पित था

विनायक दामोदर सावरकर यानी स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर एक विचारधारा विशेष के लोग आरोप लगाते रहे हैं|
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