Saturday, April 20, 2024
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Monthly Archives: August, 2020

रिश्वत के मामले उजागर होने पर सरकार सख्त, रिश्वत लेने के नए तरीके काम में लेने का सुझाव

सरकार को रिश्वत लेने के ऐसे सनसनीखेज और गोपनीय तरीकों की जानकारी लगातार मिल रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि एक ही सर्कुलर से उत्साहवर्ध्दक फीडबैक सामने आए हैं।

पाकिस्तान के कब्जे में स्थित शारदा पीठ पर पहली बार चढ़े फूल

बयान में कहा गया, ‘‘बोर्ड की इस पहल से महामारी के कारण यात्रा नहीं कर पाए श्रद्धालुओं तक प्रसाद पहुंचाने में बड़ी मदद होगी।’’ ना लाभ,ना

भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देकर भी देश की अर्थव्यवस्था को दी जा सकती है गति

हर देश की अपनी विशेष संस्कृति है और हर देश को इसे मूर्त रूप देने एवं इसे आगे बढ़ाने के लिए अलग अलग रणनीति की आवश्यकता होगी। विकसित देशों ने अपनी संस्कृति की अर्थव्यवस्था को मूर्त

महान् दार्शनिक पं. गंगा प्रसाद उपाध्याय

अध्यापक बनने पर आपने अपना ज्ञान बढ़ाना बंद नहीं किया अपितु इसे ज्ञानार्जन का एक साधन बनाते हुए आपने अपने स्वाध्याय के क्रम को टूटने के स्थान पर और भी बढ़ा दिया|

बताइए सरकार, क्या जरूरी है, परीक्षा या जिंदगी?

देश में हर रोज मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार लगातार चेतावनी दे रही है। जब सब ठप है, एक शहर से दूसरे शहर जाना मुश्किल है। तो, लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए),

आप अपने मित्र बदल सकते हैं, पर दुर्भाग्य से पड़ोसी नहीं

भारत के पडोसी देश पाकिस्तान व चीन कभी अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहे है और न आने वाले है | भारत को अपने इन पड़ोसी मुल्कों की नापाक हरकतों का मुकाबला करने के लिए तो हर वक्त चौकस रहना ही होगा|

इलेक्ट्रानिक मीडिया:सुरक्षित रहते हुए सुरक्षित रखने की चुनौती विषय पर वेब संगोष्ठी

अपने प्रस्तुतीकरण के दूसरे चरण में उन्होंने बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति में पत्रकारिता की आचार संहिता की चर्चा की. उन्होंने कहा कि ऐसी आपदा की स्थितियों में हमें अत्यंत सावधानी और संतुलन की आवश्यकता होती है.

इस देश में सब मुद्दे मर गए ,बस सुशांत सिंह ही जिंदा है !

फिल्म अभिनेता तो लोगों का केवल मनोरंजन करता है जबकि मजदूर देश का निर्माण करता है और किसान लोगों के लिए अनाज उगा कर भूख का इन्तजाम बांधता है।

इन 8 हजार कब्रों का इतिहास जानकर चौंक जाएँगे आप!

इस पूरी लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका सबसे खतरनाक थी क्योंकि पाकिस्तान की वजह से ही 3 साल लंबा युद्ध चला हजारों मुसलमानों का नरसंहार हुआ लेकिन बोस्निया के मुसलमानों को तब अकल आई जब उनका सब कुछ खत्म हो चुका था।

पचास साल पहले की कल्पना, २०२७ की सुबह कैसी होगी…!

क्या हम आज इस परिस्थिति में कोई सुधार नहीं ला सकते हैं? जी नहीं, अब कोई रास्ता नहीं बचा है ऐसा. हां, यदि आज से पचास साल पहले यानी 1978 में कुछ निर्णय लेते तो आज सन 2027
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