Friday, March 29, 2024
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Monthly Archives: June, 2022

इस्लामी बारुदी सुरंग महाशय राजपाल से लेकर नुपुर शर्मा तक…

वैसे नुपूर शर्मा की बात करें तो उन्होंने जो भी जिक्र किया है वह सभी बाते अधिकृत साहित्य से हैं, लेकिन यहाँ बात वर्चस्ववादी मानसिकता की है जो मानती है कि अन्य धर्मी की जगह उसके जूती के नोंक के नीचे ही रहनी चाहिए।

पुनर्जन्म! वह मरा नहीं, आईएएस बन गया…

बहरहाल, अब रिंकू स्वयं आईएस अधिकारी हैं। अपने आदर्शों और सपनों को क्रियान्वित करें, प्रशासन को ईमानदार ही नहीं, संवेदनशील बनाने में भी जो भूमिका निभा सकते हैं, निभाएँ। तंत्र और व्यवस्था के भीतर व्यक्तिगत प्रभाव की सीमाएँ होती हैं। लेकिन व्यक्तिगत प्रयत्न भी महत्व रखते हैं, इसमें संदेह नहीं।

महाराणा प्रताप जयंती पर बाल,युवा एवं साहित्य पुरस्कार से सम्मानित

मुख्य वक्ता किशन लाल वर्मा ने राजस्थानी भाषा की अपनी पुस्तक "किका रो पर ताप " के दोहों से प्रताप के बचपन,जीवन संघर्ष और हल्दीघाटी युद्ध की ओजस्वी वाणी में जानकारी दी। समारोह अध्यक्ष भीलवाड़ा की लेखिका श्रीमती शिखा अग्रवाल, महाराणा वंशज शेखर सिंह सिसोदिया, से. नि. उप.मुख्य अभियंता, कोटा थर्मल बिगुल जैन

अनुवाद से हिंदी साहित्य को मिलेगी नई पहचान

वैश्वीकरण के इस दौर में अनुवादक की महिमा और उसके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। मोटे तौर पर यह अनुवादक ही है जो दो संस्कृतियों, राज्यों, देशों एवं विचारधाराओं के बीच ‘सेतु’ का काम करता है।

एनसाइक्लोपीडिया बनी “टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा” पुस्तक

राजस्थान के भीलवाड़ा शहर ने भारत में टेक्सटाइल सिटी के रूप में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है। भारत के वस्त्र उद्योग में भीलवाड़ा ने नया इतिहास रच दिया और देश में " टेक्सटाइल सिटी" के नाम से मशहूर हो कर "भारत का मैनचेस्टर" कहा जाने लगा।

रचना का प्रतिपक्ष नहीं है आलोचना: प्रो. द्विवेदी

इस अवसर पर डॉ. मृत्युंजय पांडेय ने कहा कि हमें वर्तमान में आलोचना के नए मानदंडों को स्थापित करना होगा। इसके लिए आलोचकों का विषय को गंभीरता से समझना समय की मांग है। पुराना जो कुछ भी है, उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है,

अक्षय कुमार ने कहा, हमें हमारा ही इतिहास गलत पढ़ाया गया

पृथ्वीराज चौहान को लेकर उन्होंने कहा कि हमारी इतिहास की किताबों में उनके बारे में दो से तीन लाइनें ही हैं। आंक्रांताओं पर किताबें लिखी गई है, लेकिन हमारे अपने राजाओं पर दो से तीन लाइनें ही हैं। यही नहीं इस दौरान उन्होंने खुद के सोमनाथ और काशी विश्वनाथ जाने के सवाल पर भी जवाब दिया।

पंजाब माता विद्यावती देवी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन…

इस प्रकार एक सार्थक और सुदीर्घ जीवन जीकर माताजी ने दिल्ली के एक अस्पताल में 1 जून, 1975 को 96 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. उस समय उनके मन में यह सुखद अनुभूति थी कि अब भगत सिंह से उनके बिछोह की अवधि सदा के लिये समाप्त हो रही है ।

शैव मठ का तीर्थ प्राचीन उज्जैन और मालवा

गुना क्षेत्र के ही रणोद नाम स्थान पर लगभग 10-11वीं शताब्दी का एक शैव मठ निर्मित है। यह मठ स्थानीय जनता में खोखई नाम से जाना जाता है। प्रस्तरों द्वारा निर्मित इस दो-मंजिलें शैव मठ से प्राप्त लेख से ज्ञात होता है कि इस मठ का निर्माण मत्तमयूर सम्प्रदाय के व्योमकेश शैवाचार्य द्वारा किया गया था।

भुवनेश्वर राजभवन में दो दिवसीय आर्टिस्ट्स शिविर आयोजित

उन्होंने बताया कि ओडिशा महाप्रभु जगन्नाथ भगवान का देश कहलाता है जिसे उत्कृष्ट कलाओं का प्रदेश कहते हैं । ओडिशा की जितनी भी कलाएं हैं चाहे वह हस्तकला हो, शिल्प कला हो ,मूर्तिकला हो ,चाहें वास्तुकला हों,सभी का संबंध महाप्रभु जगन्नाथ से है।उनकी श्रीवृद्धि से है। इसीलिए ओडिशा की कला विश्व विख्यात हैं ।
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