Monthly Archives: August, 2022
विपश्यना:स्त्री संघर्ष, सशक्तीकरण और त्रासदी की कथा…
स्त्री सशक्तिकरण का यह ताना-बाना परिवार से बाहर नहीं परिवार के साथ उसको लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करने से बनता है। संबंधों में मां,पिता,पति, बच्चों, मित्र और परिवेश से भरे पूरे समाज से निर्मित होता है।
रक्षा बंधन मात्र भाई बहन के स्नेह का ही नहींं समाज को जोड़ने का त्यौहार भी है
रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे भारत वर्ष में अपार उत्साह के साथ मनाया जाता है। परंतु, विभिन्न प्रदेशों में इसे अलग अलग नामों से पुकारा जाता है। जैसे उत्तरांचल में इसे श्रावणी कहते हैं। इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपकर्म होता है। उत्सर्जन, स्नान-विधि, ॠषि-तर्पणादि करके नवीन यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। ब्राह्मणों का यह सर्वोपरि त्यौहार माना जाता है।
पश्चिम रेलवे के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित
स्वतंत्रता दिवस, 2022 के अवसर पर भारत के माननीया राष्ट्रपति ने आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएम) और सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक (पीएम) से सम्मानित किया।
क्रांति दिवस पर कादंबिनी मासिक का पाइकविद्रोह विशेषांक का लोकार्पण
भुवनेश्वर। 9 अगस्त, क्रांति दिवस के अवसर पर तथा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर कीट कंवेंशन सेंटर पर ओड़िया मासिक पत्रिका कादंबिनी का पाइक विद्रोह विशेषांक आंध्रप्रदेश के मान्यवर राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन द्वारा लोकार्पित हुआ।
75 मासूमों ने दिलाई आजादी के सेनानियों की याद
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर ने कहा, ‘इस कार्यक्रम का मकसद हमारे देश के महान क्रांतिकारियों को और उनके योगदान का याद करने का है, साथ ही समाज के स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने का है।’
गुलामी की भाषा में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने में लगा संस्कृति मंत्रालय
यदि यह प्रमाण पत्र हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में भी जारी किया जाता तो कितना अच्छा होता। अपनी भाषा के माध्यम से हर भारतीय को गर्व और गौरव होता। स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी इस तरह की भाषाई परतंत्रता दुखी करती है। जबकि तकनीकी रूप से ऐसा करना आजकल बहुत आसान है।
अमृतकाल और युवा भारत की चुनौतियां
मनोज कुमार - 0
आज क्या हो गया है? दरअसल, मिशनरी पत्रकारिता ने व्यवसाय को ध्येय बना लिया है और जब अखबारों में यह सूचना दी जाती है कि उसके प्रकाशन का लाभ-हानि का आंकड़ा यह रहा तो बची-खुची उम्मीद भी तिरोहित हो जाती है. यह अमृतकाल के हिन्दुस्तान का सच है. यह सच एक चुनौती बनकर हमारे सामने खड़ा है.
2030 तक 500 गीगावॉट लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ओपन एक्सेस की है आवश्यकता
राहुल शर्मा - 0
हाल ही में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि भारत 2030 की समय सीमा से पहले 50 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा हिस्सेदारी और 500 गीगावॉट के लक्ष्य तक पहुंच जाएगा। हालांकि कई लोग यह कहते हैं कि यह मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि सोलर में ज्यादा निवेश की जरूरत है।