Saturday, April 20, 2024
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Monthly Archives: September, 2022

स्वामी दयानंद की गुरु-दक्षिणा

मथुरा में विराज रहे दण्डी स्वामी विरजानन्द जी की ख्याति उन दिनों लोक में प्रसिद्धि पा रही थी। दयानन्द उनकी विद्वत्ता से परिचित थे। सन् 1855 में उनका सामीप्य उन्हें प्राप्त हो चुका था। उन्होंने तुरन्त मथुरा की राह पकड़ ली।

ऋषि दयानन्द की दृष्टि में शिक्षक/अध्यापक/आचार्य की योग्यता व गुण

-जो श्रेष्ठ आचार को ग्रहण कराके सब विद्याओं को पढ़ा देवे, उसको आचार्य कहते हैं। - आर्योद्देश्यरत्नमाला। -जो सांगोपांग वेद विद्याओं का अध्यापक, सत्याचार का ग्रहण और मिथ्याचार का त्याग करावे वह आचार्य कहता है। - स्वमन्तन्यामन्तव्यप्रकाश।

हिंदी को अभिलाषा से जोड़ना होगा

हिंदी-दिवस हर वर्ष १४ सितंबर को मनाया जाता है। .सरकारी कार्यालयों में,शिक्षण-संस्थाओं में,हिंदी-सेवी संस्थाओं आदि में हिंदी को लेकर भावपूर्ण भाषण व व्याख्यान,निबन्ध-प्रतियोगिताएं,कवि-गोष्ठियां पुरस्कार-वितरण आदि समारोह धडल्ले से होते है।

श्री अमित शाह मुंबई में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अपनी एकदिवसीय मुंबई यात्रा के दौरान ए. एम. नाइक स्कूल का उद्घाटन किया।

पाकिस्तान अनवर शेख के खून का प्यासा क्यों था?

२१ अक्टूबर १९९५ के दिन लाहौर (पाकिस्तान) से प्रकाशित दैनिक वर्तमानपत्र “सदाकत” की हेड-लाईन थी, "All Pakistani clergy demand extradition of the accursed renegade Anwar Shaikh from Britain to hang him publicly."

योग का मूल भी वेद ही है

प्रायः हर विदेशी लेखक संस्कृत से अनभिज्ञ होता है, इसलिए वह विदेशी अन्य लेखकों द्वारा अंग्रेजी में लिखित पुस्तकों पर निर्भर होता है। इन पुस्तकों के अधकचरे विवरण प्रायः सत्य से दूर होते हैं और खास करके आज के नवबौद्ध इनके बहुत ढोल पीटते हैं।

जादवपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ के दिल्ली चैप्टर ने छात्रो को पाठ्य सामग्री वितरित की

नई दिल्ली। एलुमनी एसोसिएशन नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन बंगाल एवं जादवपुर विश्वविद्यालय (एएएनसीईबीजेयू) के दिल्ली चैप्टर ने दक्षिण दिल्ली के चित्तरंजन पार्क में गरीब एवं जरूरतमंद छात्रों को पाठ्यपुस्तक, कॉपी एवं पेन आदि का वितरण किया।

भारतीय शिक्षा जगत को नयी दिशा देने वाले – डॉ. राधाकृष्णन

डॉ राधाकृष्णन निष्काम कर्मयोगी,करूण हृदयी,धैर्यवान, विवेकशील तथा विनम्र थे। उनका आदर्श जीवन भारतीयों के लिये ही नहीं अपितु सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।

कश्मीरी हुिंदुओं के घाव पर नमकः सर्वोच्च न्यायालय की बेरुखी

कश्मीरी पंडित नेता अग्निशेखर ने सर्वोच्च न्यायालय की इस उदासीनता पर गहरा दुःख जताया है और कहा है कि हमारा शान्ति-प्रिय कश्मीरी-पंडित-समुदाय अब जाय तो कहाँ जाय?

भारतीय दर्शन की आज पूरे विश्व को आवश्यकता है

भारत वर्ष 2047 में, लगभग 1000 वर्ष के लम्बे संघर्ष में बाद, परतंत्रता की बेढ़ियां काटने में सफल हुआ है। इस बीच भारत के सनातन हिंदू संस्कृति पर बहुत आघात किए गए और अरब आक्रांताओं एवं अंग्रेजों द्वारा इसे समाप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई थी।
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