Friday, March 29, 2024
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Monthly Archives: October, 2022

छठ की छठा से जगमगा उठा भुवनेश्वर

गौरतलब है छठ पूजा का प्रचलन जो बिहार प्रांत से आरंभ हुआ आज ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर समेत पूरे भारत और विश्व के अनेक देशों में भी देखा जा रहा है जिसमें पूरी आस्था और श्रद्धा है ।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक कला, संस्कृति और पर्यटन को प्रचारित करने का प्रयास……

हिंदी साहित्य समिति, बूंदी द्वारा 22 अक्टूबर 2022 को पर्यटन लेखक के रूप में साहित्य रत्न और समाज रत्न अलंकरण सम्मान से सम्मानित किया गया।

डॉ. शेषन को श्रद्धांजलि

खतौली। 'साहित्य मंथन' के तत्वावधान में तमिल भाषी विद्वान और भारतीय हिंदी आंदोलन के समर्थ कार्यकर्ता डॉ. एम. शेषन के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक आयोजन संपन्न हुआ।

आज विश्व में कई देश भारतीय मूल के नागरिक उच्च पदों छाए हुए हैं

आज पूरे विश्व में 3.2 करोड़ से अधिक अप्रवासी भारतीय निवास कर रहे हैं। करीब 25 लाख भारतीय प्रतिवर्ष भारत से अन्य देशों में प्रवास के लिए चले जाते हैं।

कविता संग्रह ‘कितना मुश्किल कबीर होना’ का विमोचन एवं चर्चा मंगलवार को

रचनाकार नीलम तोलानी 'नीर' ने कहा कि 'उनकी पुस्तक में समाज की कुरीतियों के साथ कबीर संबंधित कविताओं का समावेश किया है, जो पाठक मन तक ध्यानाकर्षित करती हैं।'

महान इतिहासकार पंडित भगवद्दत्त

उन्हीं दिनों उनका संपर्क स्वामी लक्ष्मणानंद से हुआ, जिन्होंने ऋषि दयानंद से योग-विधि सीखी थी। उनकी ‘ध्यान योग’ नामक पुस्तक भी उन दिनों बहुत प्रसिद्ध थी

ब्रिटिश राज में किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि

लालाजी के इस भाषण से बड़ा जोश फैल गया। लालाजी के बैठते ही बाँकेदयाल ने स्वरचित प्रसिद्ध गीत 'पगड़ी संभाल जट्टा" गाया और जनता से गवाया।

ईसाई स्कूल शैक्षिक विद्यालय नहीं,मतांतरण के अड्डे हैं

ईसाईयों के स्कूलों में वैदिक(हिन्दू) धर्म के बारे में (वैदिक)हिन्दू बच्चों के मन में धीरे-धीरे नफरत के बीज बोये जाते हैं।

आर्यसमाज का तप और ऐतिहासिक घटनाएँ

आर्यसमाज के भयंकर राजद्रोही होने का विचार विदेशी सरकार तक कैसे पहुंचा? यह हम आर्यसमाज के लौहपुरुष अमर शहीद स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज के शब्दों में ही यहां पर उद्धृत कर रहे हैं–

छठ क्यों मनाते हैं?

महाभारत काल में कुंती ने मनाया था।छठ के चारों दिवस हरप्रकार से पवित्रता के संदेश देते हैं तथा मानव-प्रकृति के शाश्वत संबंधों को -"तेरा तूझको अर्पण को" चरितार्थ करते हैं।
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