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थिएटर ऑफ़ रेलेवंस” का 25 वाँ नाट्योत्सव 15 से 17 नवम्बर तक

काल को चिंतन से गढ़ा और रचा जाता है.चिंतन आपके भीतर से सृजित होकर वैश्विक क्षितिज को पार कर विश्व में जीता है.कला मनुष्य को मनुष्य बनाती है. कलात्मक चिन्तन ही मनुष्य के विष को पीने की क्षमता रखता है.1990 के बाद का समय दुनिया के लिए ‘अर्थहीन’ होने का दौर है.ये एकाधिकार और वर्चस्ववाद का दौर है.विज्ञान के सिद्धांतों का तकनीक तक सीमित होने का दौर है. आज खरीदने और बेचने का दौर है. मीडिया का जनता की बजाए सत्ता की वफ़ादारी का दौर है.ऐसे समय में ‘जनता’ को अपने मुद्दों के लिए ‘चिंतन’ और सरोकारों के एक मंच की जरूरत है. ‘थिएटर ऑफ़ रेलेवंस’ रंग सिद्धांत 12 अगस्त,1992 से जनता के सरोकारों का ‘चिंतन मंच’ बनकर कर उभरा है और 12 अगस्त,2017 को अपने ‘रंग दर्शन’ होने के 25 वर्ष पूर्ण कियें है. इन 25 वर्षों में ‘थिएटर ऑफ़ रेलेवंस’ ने गली, चौराहों, गावों, आदिवासियों, कस्बों और महानगरों से होते हुए अपनी वैश्विक उड़ान भरी है और वैश्विक स्वीकार्यता हासिल की है.

थिएटर ऑफ़ रेलेवंस के सिद्धांत
1. ऐसा रंगकर्म जिसकी सृजनशीलता विश्व को मानवीय और बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हो ।
2. कला , कला के लिए ना होकर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे । लोगों के जीवन का हिस्सा बने ।
3. जो मानवीय जरूरतों को पूरा करे और अपने आप को अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में उपलब्ध कराये ।
4. जो अपने आप को बदलाव के माध्यम के रूप में ढूंढे । अपने आप को खोजे और रचनात्मक बदलाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाये ।
5. ऐसा रंगकर्म जो मनोरंजन की सीमाएँ तोड़कर जीवन जीने का ज़रिया या पद्धति बने ।
(“थिएटर ऑफ रेलेवेंस” नाट्य सिद्धांत का सूत्रपात सुप्रसिद्ध रंगचिंतक, “मंजुल भारद्वाज” ने 12 अगस्त 1992 में किया और तब से उसका अभ्यास और क्रियान्वयन भारत और वैश्विक स्तर पर हो रहा है।)

आज विकास या विकास के नाम पर प्रकृति के विनाश के दौर में मनुष्य का मनुष्य बने रहना एक चुनौती है. नाटक “गर्भ”, “अनहद नाद – Unheard Sounds of universe” और “न्याय के भंवर में भंवरी” के माध्यम से आपको अपने अंदर के इंसान की आवाज़ सुनाने के लिए “मुंबई” में 15,16 और 17 नवम्बर, 2017 को 3 दिवसीय ‘थिएटर ऑफ़ रेलेवंस – नाट्य उत्सव’ का आयोजन हो रहा है. आपकी सार्थक और रचनात्मक सहभागिता की अपेक्षा. क्योंकि ‘थिएटर ऑफ़ रेलेवंस’ रंग सिद्दांत के अनुसार ‘दर्शक’ पहला और सशक्त ‘रंगकर्मी’ है !

मंजुल भारद्वाज लिखित एवम् निर्देशित और अश्विनी नांदेडकर, योगिनी चौक, सायली पावसकर,कोमल खामकर,तुषार म्हस्के अभिनीत प्रसिद्ध नाटक “गर्भ” और “अनहद नाद –अनहर्ड साउंड्स ऑफ़ युनिवर्स” और जानी मानी रंग अभिनेत्री बबली रावत अभिनीत नाटक “न्याय के भंवर में भंवरी” का मंचन क्रमशः 15,16 और 17 नवम्बर , 2017 को सुबह 11 बजे शिवाजी मन्दिर ,दादर (पश्चिम) मुंबई में होगा !
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संपर्क : 9820391859 / [email protected]