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पाकिस्तान के 90 फीसदी हिंदू छोड़ चुके हैं देश, 95 फीसदी मंदिर हुए नष्ट

पाकिस्तान दुनियाभर में एक मुस्लिम बहुल देश के तौर पर जाना जाता है। आज यहां करतारपुर कॉरिडोर का शिलान्यास समारोह आयोजित किया जा रहा है। इसे धर्म के मामले में पाकिस्तान की नरमी के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन इस देश में हिंदुओं की खराब स्थिति पर आए दिन खबरें आती रहती हैं। वर्तमान में यहां हिंदू धर्म का अनुसरण करने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का 1.6 फीसदी है। यानी 36 लाख। जहां भारत में अल्पसंख्यकों को आरक्षण के अलावा भी कई रियायतें दी जाती हैं, वहीं पाकिस्तान में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं जाता। यहां आए दिन हिंदुओं पर अत्याचार किए जाते हैं, उनके घरों को हड़पा जाता है। वहीं अगर उनके धार्मिक स्थलों की बात करें तो वह भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां कई हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले किए जाते हैं और जब शिकायतें दायर की जाती हैं, तो उनकी कोई सुनवाई नहीं होती।

90 फीसदी ने छोड़ा देश

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 फीसदी हिंदू देश छोड़ चुके हैं। धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं। हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं।

हाल ही में एक महिला प्रोफेसर ने वीडियो संदेश के जरिए आरोप लगाया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू बदइंतजामी, कुप्रबंधन और अराजकता का सामना कर रहे हैं। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में कहा है कि भू-माफियाओं ने सिंध के विभिन्न इलाकों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं और लाड़काना में हिंदुओं को उनकी संपत्ति से जबरन बेदखल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा है कि सिंध के भू-माफिया हिंदुओं की संपत्ति को छीनने के लिए झूठे ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ बनाकर उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। हिंदुओं के धनों पर कब्जा करके वो उन्हें चुप रहने की धमकियां दे रहे हैं। इससे परेशान लाड़काना के कई हिंदू अपनी संपत्तियों को बेचकर जाने के लिए तैयार बैठे हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो देश छोड़कर, अपनी संपत्तियों को छोड़कर जाना नहीं चाहते, लेकिन वो मजबूरी में रो-धोकर अपनी जमीनों को बेचकर दूसरे देशों में जा रहे हैं। सिंध के अधिकारी भी इसके खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं।

95 फीसदी हिंदू मंदिरों को नष्ट किया गया

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 के आंकड़ों में सामने आया है कि यहां 95 फीसदी हिंदू मंदिरों को नष्ट किया जा चुका है। आंकड़ों के अनुसार साल 1990 के बाद से अल्पसंख्यकों के 428 पूजा स्थलों में से 408 को नष्ट कर, वहां समाधि, शौचायल, टॉय स्टोर, रेस्टोरेंट, सरकारी ऑफिस और स्कूल आदि बनाए गए हैं। केवल 20 ही पूजा स्थल ऐसे हैं जहां पूजा की जा रही है। अगर कहीं कोई मंदिर बचे भी हैं तो उनतक पहुंचने के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। ताकि वहां कोई पूजा करने न जा सके।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार डेरा इस्माइल खान में स्थित काली बाड़ी हिंदू मंदिर को एक मुस्लिम को किराए पर दिया गया है। वो लोग उस मंदिर का एक ताज होटल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। एक और हैरान करने वाली बात ये है कि हिंदुओं में अगर किसी की मौत हो जाती है तो उन्हें मृतक को अंतिम संस्कार के लिए जलाने नहीं देते। उन्हें मृतक को दफनाने पर मजबूर किया जाता है।

1000 साल पुराने मंदिर को बनाया शौचालय

पाकिस्तान के कराची में स्थित वरुण मंदिर को अब शौचालय के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। यह मंदिर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पुराना और सबसे बड़ा हिंदू देवता को समर्पित मंदिर है।

यह मंदिर पाकिस्तान के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। डेली टाइम्स की साल 2008 में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर का एक हिस्सा शौचालय के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां साल 1950 में हिंदुओं ने आखिरी बार लाल साईं वरुण देव का त्योहार मनाया था। मंदिर की देखरेख करने वाले जीवरीज का कहना है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का यहां कोई सम्मान नहीं किया जाता। बाद में जब ये खबर दुनियाभर में फैली तो मंदिर की बहाली की खबरें सामने आईं।

कृष्ण द्वार मंदिर के स्थान पर समाधि बनी

किसी जमाने में पाकिस्तान के प्रांत खैबर पख्तूनख्वा जिले के कर्क में एक छोटे से गांव टेरी में कृष्ण द्वार नाम का मंदिर हुआ करता था। आज इस स्थान पर समाधि बन चुकी है। यहां मंदिर का कोई नामोनिशान नहीं बचा है। यह जगह चारों ओर से मकान से घिरी है और यहां पहुंचने के रास्ते भी बंद हैं।

कई हिंदू मंदिरों पर हमला

पाकिस्तान में केवल हिंदू मंदिरों को नष्ट कर उनके स्थान पर कारोबारी और अन्य तरह की गतिविधियां ही नहीं बढ़ाई जा रहीं बल्कि उनपर हमले भी हो रहे हैं। आए दिन इन मंदिरों पर हमले किए जाते हैं। जिसका शिकार भी हिंदू ही बनते हैं। ऐसा ही एक मामला 28 मार्च, साल 2014 का है। उस दिन पाकिस्तान के हैदराबाद के एक कारोबारी इलाके फतेह चौक के प्रसिद्ध हिंदू मंदिर में तीन नकाबपोशों ने हमला किया था। इस इलाके के आसपास बड़ी तादाद में हिंदू रहते हैं। इस मंदिर में पेट्रोल फेंककर आग लगाई गई थी।

इसके अलावा सिंध में भी एक हिंदू मंदिर पर हमला हुआ था लेकिन वह घटना दो व्यक्तियों की निजी रंजिश का नतीजा बताई गई। इन घटनाओं के बाद हिंदुओं ने विरोध प्रदर्शन भी किए।

1400 से अधिक पवित्र स्थानों तक कोई पहुंच नहीं

पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के अनुसार इस समय देशभर में सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के ऐसे 1400 से अधिक पवित्र स्थान हैं, जिन तक उनकी पहुंच नहीं है। या फिर इन्हें समाप्त कर दुकानें, खाद्य गोदाम और पशु बाड़ों में बदला जा चुका है।

गुरुद्वारे को बनाया कपड़ों की दुकान

एबटाबाद में गुरुद्वारा गली कभी सिखों के लिए तीर्थ स्थल हुआ करती थी। लेकिन अब यहां कपड़ों की दुकानें खुल गई हैं। वहीं पेशावर में स्थित ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को अब स्कूल में बदल दिया गया है। इस्लामाबाद में स्थित राम कुंड मंदिर को पिकनिट स्पॉट बनाया गया है। अगर किसी मंदिर में हिंदू पूजा करने जाते भी हैं तो वहां मुस्लिम लोग अपने सामान को रखने की जगह बना लेते हैं, वहां वह अपने जानवरों को खुला छोड़ देते हैं। शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती।

सरहद बंटने से इतिहास नहीं बदलता, ये बात साबित होती है पाकिस्तान में बचे कुछ हिंदू मंदिरों से। यहां बेहद कम हिंदू मंदिर बचे हैं, जहां पूजा की जा रही है। कराची में 1500 साल पुराना पंचमुखी हनुमान मंदिर है। यहां आज भी लोग पूजा करने जाते हैं। पाकिस्तान में इकलौता राम मंदिर बचा है नागरपारकर के इस्लामकोठ में।

बलूचिसतान प्रांत के दूरदराज इलाके में स्थित मां दुर्गा का हिंगलाज मंदिर है। यहां बड़ी मेहनत से ही लोग दर्शन करने पहुंच पाते हैं। सिंध के दलित हिंदुओं का प्रमुख धर्म स्थल है रामा पीर मंदिर, क्योंकि यहां मुस्लिम भी आते हैं, इसलिए इसकी भव्यता बरकरार है।

30 हजार पाकिस्तानियों को लंबी अवधि वीजा

17 जुलाई, 2018 की दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार पैन, आधार कार्ड हासिल करने के साथ भारत में संपत्ति खरीदने के लिए वर्ष 2011 से अब तक लगभग 30,000 पाकिस्तानी नागरिकों को लंबी अवधि का वीजा दिया जा चुका है। इनमें से अधिकतर हिंदू हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार के पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की सहायता के लिए चलाई जा रही योजना के तहत साल 2018 में अब तक लगभग 6092 पाकिस्तानी लोगों को लंबी अवधि का वीजा दिया जा चुका है। फिलहाल 1500 आवेदनों पर विचार हो रहा है।

वर्ष 2011 से 2014 तक वीजा के लिए ऑफलाइन प्रक्रिया का इस्तेमाल होता था। इस दौरान कुल 14,726 पाकिस्तानी लोगों को वीजा दिया गया था। वहीं साल 2015 से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई। जिसके बाद साल 2015 में जहां 2,142, साल 2016 में 2,298 और साल 2017 में 4,712 पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा दिया गया।

96,856 को मिला मेडिकल वीजा

क्योरा वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार भारत में मेडिकल टूरिजम के अंतर्गत बहुत से लोगों को मेडिकल वीजा दिया गया। साल 2016 में 96,856 लोगों को मेडिकल वीजा दिया गया। इसमें से 70,535 लोग चिकित्सा परिचर के तौर पर आए हैं। वहीं इलाज कराने के लिए आने वाले अधिकतर लोगों में पाकिस्तानी शामिल हैं।

भारतीयों के लिए मुश्किल है पाकिस्तानी वीजा पाना

अगर कोई भारतीय पाकिस्तान जाना चाहे तो उसे वीजा मिलने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पहली बात तो वीजा मिलने में ही महीनों लग जाते हैं और अगर वहां के लिए वीजा मिल भी जाए तो उनकी सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। वहीं अगर पाकिस्तानियों की बात करें जो भारतीय वीजा पाने में अगर मुश्किलों का सामना करते हैं, तो वह भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीटर पर अपनी मुश्किलें बतातें हैं, जिसके बाद उन्हें वीजा मिलने में आने वाली दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं। क्योंकि भारत अपनी छवी को दुनिया की नजर में खराब नहीं करना चाहता और अगर भारत में इलाज कराके किसी की जान बचे तो उसमें कोई बुराई भी नहीं है।

साभार- https://www.amarujala.com से