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एक मंत्री जो लोगों की मजबूरी समझता है

इन दिनों देश के हर नेता, मंत्री, मुख्य मंत्री, प्रधान मंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक सब सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। लेकिन हमारा अनुभव यह है कि आप किसी भी मंत्री, नेता, प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति या मुख्य मंत्री को कुछ भी संदेश दो वो ट्वीटर पर रद्दी की टोकरी में चला जाता है। आज तक कभी किसी ने सोशल मीडिया पर किसी आम आदमी के संदेश का जवाब नहीं दिया। हाँ, हमारे मंत्री किसी विदेशी के ट्विटर संदेश का तत्काल जवाब देते हैं,लेकिन अगर कोई भारतीय हो और बेचारा हिन्दी लिख दे तो उसका लिखा हुआ हर नेता, मंत्री से लेकर प्रधान मंत्री तक के यहाँ रद्दी की टोकरी में जाता है।
इस मामले में रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने अपनी सक्रियता, जिम्मेदारी और विनम्रता से करोड़ों रेल यात्रियों में एक आस्था और विश्वास तो कायम किया ही है, रेल यात्रियों की शिकायतों को हवा में उड़ाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की सुस्तीभी उड़ा दी है। पिछले एक सप्ताह में अलग-अलग क्षेत्रों से जो खबरें आई है उससे लगता है कि आम लोगों की सुनवाई सरकार में होती है। रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु को ट्वीट करते ही किसी मरीज के लिए रेल अधिकारी और कर्मचारी आधी रात को व्हील चेअर लेकर पहुँच जाते हैं तो किसी अकेली महिला की शिकायत मिलते ही अगले स्टेशन पर आरपीएफ के जवान उसकी सुरक्षा के लिए पहुँच जाते हैं। भूखे स्कूली बच्चे खाने की माँग करते हैं तो अगले ही स्टेशन पर उनके लिए खाना पहुँच जाता है।
जाहिर है रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु रात-दिन 24 घंटे तो ट्वीटर पर सक्रिय नहीं रहते होंगे और न हर समय यात्रियों द्वारा किए जाने वाले ट्वीट देख पाते होंगे, लेकिन आम यात्रियों की समस्याओं को लेकर अपनी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का परिचयदतेते हुए उन्होंने निश्चित ही एक ऐसा तंत्र तैयार किया है जो किसी यात्री की छोटी से छोटी समस्या को भी नंजर अंदाज़ नहीं कर सकता। वो भी एक समय था कि अगर आप चलती गाड़ी में टीटीई से लेकर किसी भी रेल अधिकारी से कोई शिकायत करते तो उसका जवाब यही होता था कि पूरे देश का ढचरा बिगड़ा हुआ है, और आपको कोई मदद नहीं मिलती थी। आज श्री सुरेश प्रभु ने अपनी सक्रियता और संवेदनशीलता से लोगों में विश्वास पैदा किया है, काश देश के अन्य नेता, मंत्री और मुख्य मंत्री श्री सुरेश प्रभु से कुछ सीख लें कि वे अपनी जनता के प्रति कैसे जिम्मेदार बनें। और साथ ही आम रेल यात्रियों को भी चाहिए किवे श्री सुरेश प्रभु की भलमनसाहत का गलत फायदा न उठाएँ और उनका ध्यान उन्हीं मुद्दों पर आकर्षित करें जो किसी गंभीर समस्या से जुड़े हों।
बीते दिनों की ये दो घटनाएँ इस बात का प्रमाण है कि रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु यात्रियों के प्रति कितने संवेदनशील हैं।

जब ट्रेन में सफर करते हुए माता-पिता का मोबाइल स्विच ऑफ हो गया, तो एक ट्वीट के जरिए उन्‍होंने ट्रेन में सफर करने के दौरान बेटे से बात की। यह ट्वीट बेटे ने सीधे रेल मंत्री सुरेश प्रभु को किया था, जिसके बाद उन्‍होंने खुद इस मामले में दखल दिया. यह मामला कोडरमा स्टेशन का है। दरअसल, बेंगलुरु में कार्यरत आनंद अभय के पिता अभय कुमार सिंह और माता मधु सिंह आठ दिसंबर को दिल्ली से बोकारो के लिए नीलांचल एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 2876 डाउन ) में सवार हो कर घर को जा रहे थे. कोहरे के कारण ट्रेन काफी लेट हो गई. आनंद के माता-पिता का फोन स्विच ऑफ था. बेचैन पुत्र ने ट्रेन के बहुत देर होने पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु को ट्वीट किया।

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रेल मंत्री ने तुरंत इस पर संज्ञान लिया और पूरा मंत्रालय हरकत में आ गया. इस पूरी कवायद के बीच ट्रेन कोडरमा स्टेशन पहुंचने वाली थी. कोडरमा के स्टेशन प्रबंधक को आनंद के माता-पिता से बात कराने का आदेश मिला. वे खुद बर्थ तक गए और अपने मोबाइल से माता-पिता की बात बेटे से कराई।

दूसरा समाचार यह है कि गाड़ी सं. 12581 मण्डुवाडीह नई दिल्ली सुपरफास्ट एक्सप्रेस से सत्येन्द्र यादव परिवार के साथ एस 7 कोच में यात्रा कर रहे थे। यादव ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु को ट्वीट करके बताया ट्रेन काफी लेट है, मेरे 18 महीने के बेटे को दूध चाहिए। इसके उत्तर में रेलमंत्री ने यात्री का फोन नम्बर मांगा और आवश्यक व्यवस्था का आश्वासन दिया। यादव ने ट्रेन में सवार अपने भाई का मोबाइल नम्बर दिया। ट्विट के महज 10 मिनट में दूध उस बच्चे के पास पहुंच गया जो भूखा था।

इलाहाबाद के मण्डलीय रेल प्रबन्धक वी के त्रिपाठी ने बताया कि सफर के समय गाड़ी उत्‍तर मध्‍य रेलवे के इलाहाबाद मण्‍डल से गुजर रही थी। रेल मंत्रालय ने महाप्रबन्‍धक एनडब्लूआर प्रबन्‍धक इलाहाबाद मण्‍डल को रेलयात्री की समस्या निदान करने का निर्देश दिया। इसके बाद रेल प्रशासन हरकत में आया और गाड़ी की पोजीशन चेक करने के बाद यात्री को ट्वीट करके कानपुर में आवश्‍यक व्‍यवस्‍था किये जाने की सूचना दी गई।
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रेलगाड़ी जिसमें पीड़ित सवार था उसका फतेहपुर पर नियमित स्टॉपेज नहीं है, लेकिन फिर भी फतेहपुर रेलवे स्‍टेशन पर 2 मिनट का अतिरिक्‍त स्टॉपेज दिया गया। रेल अधिकारियों ने यात्रियों को अटैंड किया और बच्‍चे के लिए दूध उपलब्ध कराया गया। इसके बाद कानपुर स्टेशन पर भी गाड़ी पहुंचने पर यात्रियों को अटैंड किया गया और बच्‍चे को दूध दिया गया।