Thursday, March 28, 2024
spot_img
Homeआपकी बातविश्व हिंदू परिषद के नाम एक सार्वजनिक पत्र

विश्व हिंदू परिषद के नाम एक सार्वजनिक पत्र

मेरी उम्र 35 साल है और विश्व हिंदू परिषद के जिन नेताओं को ये पत्र मिलेगा उनकी उम्र 60 से 80 साल के बीच होगी । ये सभी नेता बहुत वरिष्ठ हैं और इन सभी ने देश और हिंदू धर्म के लिए जो योगदान दिया है उसकी कोई तुलना नहीं हो सकती है । हमारा इतना भी योगदान नहीं कि हम इन नेताओं के बराबर खड़े होकर कुछ कह सकें… हम तो सिर्फ अनुज होने के नाते प्रार्थना ही कर सकते हैं और प्रार्थना ही करेंगे

जैसे एक लीडर को बनाने के लिए कम से कम 10 साल लगते हैं जैसे एक लीडर को खड़ा करने के लिए हजारों लोग अपनी जवानी बलिदान कर देते हैं अपना खून पसीना बहा देते हैं ठीक वैसे ही एक संगठन को खड़ा करने में भी कई दशक लगते हैं और हजारों लाखों लोगों का पीढ़ियों से चला आ रहा बलिदान ही संगठन को खड़ा करता है

अगर आज हम सब मिलकर कोई नया संगठन खड़ा करना चाहें तो शायद 10 साल लग जाए और हजारों लोगों को अपना खून पसीना एक करना पड़े । आज हिंदुओं के पास दुनिया का एक सबसे बड़ा संगठन है जिसका नाम है विश्व हिंदू परिषद । इसके नाम के पहले विश्व लगा हुआ है और जहां तक मुझे जानकारी है इस संगठन के पदों के पहले अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष… जैसे शब्द लगते हैं… और ये लगना भी चाहिए क्योंकि विश्व हिंदू परिषद की शाखाएं पूरी दुनिया के तमाम देशों में फैली हुई मानी जाती है

आज जिस भव्य श्री राम मंदिर को दुनिया के 120 करोड़ हिंदू अपनी आंखों के सामने बनता हुआ देख रहे हैं वो विश्वहिंदू परिषद के लाखों कार्यकर्ताओं के निस्वार्थ समर्पण और बलिदान का प्रतीक है… लेकिन बहुत निराशा के साथ ये कहना पड़ रहा है कि अब विश्व हिंदू परिषद ने निष्क्रियता का आवरण ओढ़ लिया है

हिंदू स्वार्थ में डूबा हुआ है और वो किसी के आह्वान पर संगठित होकर सड़कों पर उतरने वाला नहीं है… ये बात हमें भी पता है लेकिन विश्व हिंदू परिषद आज भी एक ऐसी संस्था है जिसकी प्रेस वार्ताएं अखबारों और टीवी न्यूज चैनलों में कवर की जाती हैं

वसीम रिजवी का प्रकरण आप सभी को याद है…. उन्होंने एक किताब मोहम्मद लिखी है और उस किताब के माध्यम से इस्लामी किताबों के हवाले से ही ये साबित कर दिया है कि इस्लाम इंसानियत का घोर शत्रु है औऱ गैरमुसलमानों के लिए जान-माल का एक बहुत बड़ा संकट है

वसीम रिजवी जो कि एक मुसलमान थे उन्होंने अपने डेथ वारंट पर साइन करके पैगंबर का सच लोगों के सामने रखा है… लेकिन सवाल ये है कि हिंदू समाज की जिम्मेदारी क्या है ? क्या विश्व हिंदू परिषद को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दुनिया के तमाम इस्लामिक विद्वानों उलमाओं और आलिमाओं से स्पष्टीकरण नहीं मांगना चाहिए कि उनकी किताब गैरमुसलमानों के खिलाफ मुसलमानों को क्यों भड़काती है ?

जब वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में 26 आयतें बैन करने के लिए अर्जी लगाई थी उस वक्त भी विश्व हिंदू परिषद को स्वयं ही आगे आकर क्या एक प्रेस वार्ता के माध्यम से ही ये बात नहीं कहनी चाहिए थी कि सुप्रीम कोर्ट इस पर गौर करे क्योंकि ये पूरी दुनिया के 120 करोड़ हिंदुओं की जान और माल का सवाल है और ये दुनिया के करोड़ों गैर मुसलमानों की जान का भी सवाल है और इंसानियत का भी प्रश्न है

मैंने ये कतई नहीं कहा कि सड़कों पर उतर जाओ… लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस तो की ही जा सकती है । हम सभी लोग इस बात के लिए विश्व हिंदू परिषद का आभार प्रकट करते हैं कि जब पश्चिम बंगाल में हिंदुओं का कत्लेआम ममता दीदी के राज में हो रहा था तब उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रेस रिलीज जारी करके इसके खिलाफ आवाज उठाई थी… कम से कम इतना ही हुआ…. इसके लिए भी आभार प्रकट करते हैं… सरकार से तो बहुत अपेक्षाएं लोगों की रहीं जो संवैधानिक विवशताओं वश पूरी नहीं हो सकीं ।

आज तमाम इस्लामी संगठन फौरन अपना मांगपत्र लेकर प्रेस वार्ताओं के लिए तैयार रहते हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या इस्लाम पर जो आरोप लग रहे हैं उसकी सफाई हिंदुओं के नेतृत्व की तरफ से नहीं मांगी जानी चाहिए

मेरा विश्वहिंदू परिषद से ये विनम्र आग्रह है कि वसीम रिजवी ही नहीं… तमाम दुनिया के स्कॉलर्स ने इस्लाम पर जो आरोप लगाए हैं उसकी सफाई मुल्ला मौलवियों और आलिमों से मांगनी चाहिए । विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अगर चाहें तो जमात ए उलेमा के अध्यक्ष को पत्र लिखकर सीधे भी उनसे सफाई मांग सकते हैं और सवाल पूछ सकते हैं

ये बहुत जरूरी है क्योंकि आप विश्व हिंदू परिषद हैं और आपके ऊपर हिंदुओं का भरोसा है… उस भरोसे के लिए आपको इस वसीम रिजवी प्रकरण में जरूर एक्टिव होना चाहिए इससे उन सभी लोगों को मनोबल भी बढ़ेगा जो इंसानियत के दुर्दांत शत्रुओं के खिलाफ अपने प्राणों का संकट मोल लेकर संघर्ष कर रहे हैं।

(लेखक हिंदुओं के लिए जन जागरण का कार्य कर रहे हैं)

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार