Thursday, March 28, 2024
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एक पत्थर की वजह से नष्ट हो सकता है ये खूबसूरत शहर

डिस्कवरी चैनल पर हर गुरूवार रात नौ बजे "स्ट्रिप द सिटी" में भूगर्भ की ऎसी दिलचस्प दुनिया से रूबरू हो सकते हैं, जो आम तौर पर हमारे शहरों में छुपी हुई है। पेरिस वास्तुशिल्प संबंधी आश्चर्य और विशेष्ा तरह की कला के लिए विख्यात है। लेकिन यह शहर खतरे में क्यों है, क्यों बर्बाद होता जा रहा है? इसकी वजह, शहर के नीचे 200 मील तक फैली दरारयुक्त सुरंग है। भू-भौतिकी विज्ञानी जानते हैं कि पेरिस टाइम बम पर सवार है।
चट्टान है वजह
पेरिस के खात्मे के पीछे चूने के पत्थर की वह चट्टान है, जिससे यह शहर बना है। यहां तीन चौथाई इमारतें इससे ही बनी हैं। चूने का पत्थर आदर्श निर्माण सामग्री है, जो टिकाऊ होने के साथ बनाने में आसान है। यह संगमरमर से चार गुना मजबूत भी होता है। 4.5 करोड़ साल पहले पेरिस गर्म व छिछले सागर के भीतर था। लाखों वर्षो बाद अवसाद व सूक्ष्म जीवांशों की परत समुद्र की सतह पर जमने लगी। जैसे-जैसे ये परत मोटी होती गई, उसने चट्टान का रूप ले लिया। समुद्र सूख गया, पर पेरिस की मशहूर चट्टान बची रही। अब चूने के पत्थर की यह मोटी परत शहर की सतह के 60 फीट नीचे तक चली गई है। शहर के नीचे यह दस फीसदी दूरी तक फैली है। समस्याएं तब बढ़नी शुरू हुई, जब शहर की इमारतें जमीन के भीतर दबी पुरानी सुरंगों पर बनाई गई, जो अपने ऊपर की नई दुनिया के दबाव में पहले ही दम तोड़ रही हैं।
ओल्ड लेडी ऑफ पेरिस
जैसे-जैसे शहर का विकास हुआ, वास्तुकारों को इमारतों का विकास करने की जरूरत पड़ी। अस्थायी तल पर टावरों और गगनचुंबी इमारतों का निर्माण करना, आपदा को बुलावा देना है। "ओल्ड लेडी ऑफ पेरिस" के तौर पर विख्यात एफिल टावर को 1889 की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के लिए डिजाइन किया गया और बनाया गया था। शुरूआत में इसे सिर्फ 20 साल तक ही बनाए रखने की योजना थी, लेकिन अपने निर्माण के 125 साल बाद भी यह शहर की सबसे खास इमारत है। एक हजार फीट से भी ज्यादा ऊंची इस इमारत को लगभग 40 साल तक दुनिया के सबसे ऊंचे ढांचे का तमगा हासिल रहा। इस टावर को जमीन से जोड़ना, इसके डिजाइनर गुस्तेव एफिल के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।
खतरा बरकरार
पेरिस जर्जर सुरंगों की भूलभुलैया पर स्थित है। इंजीनियर यहां की सड़कों को धंसने से बचाने के लिए लगातार कोशिश में रहते हैं, लेकिन पेरिस की लोकप्रिय सड़कों के नीचे एक और खतरा बरकरार है। आज के पेरिस का ज्यादातर हिस्सा सदियों से दलदली भूमि था। हजारों साल पहले सिएंन नदी की प्राचीन धारा इस इलाके में बहती थी। इसके किनारों से पानी रिस कर जमीन की तली में पहुंचता है। मिट्टी की एक अभेद्य सतह ने पानी को जमीन में गहराई तक जाने से रोक दिया

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