आप यहाँ है :

आध्यात्म और संस्कृति का अनूठा संगमः वाराणसी का गंगा महोत्सव

आस्था, विश्वास और श्रद्धा की त्रिवेणी गंगा के किनारे रोशनी से जगमगाते आध्यात्मिक गतिविधियों के नगर वाराणसी के रोशनी से जगमग करते अस्सी घाट, अगरबत्ती सुगंधित धुएँ से भरी हवा, लयबद्ध रात्रि मंत्र, शास्त्रीय वैदिक गंगा आरती, मंत्रोच्चारण और रंगोली,

गंगा में तैरते अखंख्य प्रज्वलित दीप और फूलों की सुनहरी थालियाँ, गीत – संगीत की अलबेली छटा और विविध लोकानुरंजन कार्यक्रम पांच दिवसीय गंगा उत्सव भारत की आध्यात्म और संस्कृति के प्रदर्शन के साथ किसी स्वर्गलोक से कम नहीं है।

उत्तरप्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस प्रतिष्ठित उत्सव को हर साल देव दीपावली के अवसर पर भव्य रूप में मनाया जाता है, जिसके साक्षी होते हैं लाखों घरेलू और विदेशी पर्यटक। उत्सव के दौरान वाराणसी के गंगा घाटों की अद्भुत और अनुपम छवि और भारतीय संगीत एवं नृत्यों को बढ़ावा देते सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धुनों के साथ मिश्रित गंगा महोत्सव का माहौल एक अविस्मरणीय अनुभव होता है सैलानियों के लिए।

भारतीय संगीत के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, पंडित छन्नूलाल मिश्रा, गिरिजा देवी, बाल मुरली कृष्णन, भीमसेन जोशी, बिरजू महाराज, अमजद अली खान, विलायत खान, जिला खान, सुजात खान और जाकिर हुसैन,
दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना का शहनाई वादन, रुचि मिश्रा का कथक, सम्यक पराशरी का बांसुरी वादन, राजीव कुमार मलिक का शास्त्रीय गायन, विशाल कृष्णा का कथक नृत्य, राहुल रोहित मिश्रा का शास्त्रीय गायन तथा आसाम की कृष्णाक्षी कश्यप ने सतरिया नृत्य जैसी हस्तियों ने उत्सव में अपने स्वरों का जादू बिखेर कर इसे बुलंदियों तक ले जाने का काम किया है।

हस्तशिल्प की दुनिया और हस्तशिल्प प्रेमियों के लिए अर्बन हाट, सांस्कृतिक संकुल, चौका घाट पर 10 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेला भी इस उत्सव की अपनी शान है। इसमें भारत के 20 से अधिक राज्यों के हस्तशिल्प कारीगर अपने उत्कृष्ट हस्तशिल्प का प्रदर्शन करने के लिए भाग लेते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है जहां खरीदार सीधे उत्पादकों के साथ बातचीत करते हैं, बारीकियों को समझते हैं और मन पसंद के उपहार और स्मृति चिन्ह खरीदते हैं।

उत्सव में युवाओं को शामिल करने के लिए कठपुतली शो, फिल्म स्क्रीनिंग, पेंटिंग, पॉटरी और नेस्ट मेकिंग वर्कशॉप, बुक स्टॉल जैसी कई गतिविधियां भी शामिल की जाती हैं। गंगा मैराथन, देशी नौका-दौड़ और भारतीय शैली की कुश्ती आदि पारंपरिक खेलों का आयोजन भी उत्सव की रोमांचकारी परंपराएं हैं। उत्सव के दौरान सैलानी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के खान-पान फूड स्टॉल पर भारत के प्रामाणिक व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं।

मान्यता है कि देव दीपावली के दिन भगवान गंगा में स्नान करने के लिए स्वर्ग से उतरते हैं। वैदिक भजनों के बीच गंगा नदी के तट को मिट्टी के दीयों या दीयों से जलाया जाता है। गंगा के घाट एक रहस्यमय रूप धारण करते हैं। इस पवित्र दिन पर पुरुष और महिलाएं मंत्रों का उच्चारण करते हुए और सूर्य नमस्कार या भगवान सूर्य को नमन करते हुए नदी में एक पवित्र डुबकी लगाते हैं। यही इस अवसर का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है।

गंगा के तट पर जल तरंग गायन सबसे अलग है! जब चीनी मिट्टी के कटोरे को पानी से ट्यून से मधुर संगीत सुना जा सकता है। कई सांस्कृतिक और लोक कलाकार 5 दिनों तक उत्सव की हर शाम की शोभा बढ़ाते हैं। वार्षिक कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली पर गंगा महोत्सव के अंतिम दिन को “देवताओं की दीपावली” भी कहा जाता है। महोत्सव के अंतिम दिन, मिट्टी के दीये, फूलों की पंखुड़ियाँ और रंगोली बनाई जाती हैं,और शाम को आतिशबाजी और मंत्रों के जाप के साथ उत्सव समाप्त होता है। गंगा महोत्सव वाराणसी शहर की स्थापना के बाद से प्रतिवर्ष मनाया जाता आ रहा है।

इस प्रकार गंगा उत्सव आध्यात्म,कला, संस्कृति, संगीत, ज्ञान, संवाद, हस्तशिल्प और विविध खेलों का एक रोमांचक मिश्रण बन जाता है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर सर्वाधिक दर्शनीय स्थल है। समीप ही बौद्ध धर्म का प्राचीन विख्यात स्थल सारनाथ पार्यर्को के आकर्षण का केंद्र है। भारत माता मंदिर में अविभाज्य भारत का मानचित्र मौजूद है। हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी की शान है। यहां ठहरने और भोजन की सभी प्रकार की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

वाराणसी पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 24 किलोमीटर (लगभग) पर स्थित है। यह प्रमुख भारतीय कस्बों और शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वाराणसी रेल और बस सेवाओं से भी देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है।

(लेखक ऐतिहासिक, पुरातत्व पर्यटन व संस्कृति से जुड़े विषयों पर नियमित लेखन करते हैं)

image_pdfimage_print


Leave a Reply
 

Your email address will not be published. Required fields are marked (*)

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

सम्बंधित लेख
 

Get in Touch

Back to Top