Saturday, April 20, 2024
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आचार्य विद्यासागरजी की प्रेरणा से बनाए कमरे, मरीजों को निःशुल्क मिलेंगे

भोपाल। राजधानी में होटलों में ठहरने के लिए अमूनन कमरे का न्यूनतम किराया 1500 रुपए प्रति दिन है। यदि एसी रूम की बात की जाए तो यह राशि दोगुनी तक हो जाती है। लोगों ने इस समस्या को देखते हुए जैन समाज ने आचार्यश्री विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से जैन मंदिरों में मुसाफिरों के ठहरने के लिए कमरों का निर्माण कर दिया है। इनमें सिर्फ स्वेच्छा शुल्क देकर किसी भी समाज का व्यक्ति ठहर सकता है। यहां कैंसर जैसे असाध्य रोगी से स्वेच्छा शुल्क भी नहीं लिया जाता। वह इलाज होने तक निशुल्क कमरे में रह सकता है।

श्री जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु ने बताया कि आचार्यश्री की प्रेरणा से टीटी नगर स्थित जवाहर चौक के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर और पुराने शहर स्थित झिरनों के मंदिर में मुसाफिरों के ठहरने की सुविधा शुरू कर दी गई है। जवाहर चौक स्थित मंदिर के ट्रस्टी सुनील जैन पटेल ने बताया कि मंदिर में 22 कमरे हैं। इनमें से 10 एसी रूम हैं। एक कमरे में दो व्यक्तियों के ठहरने की सारे इंतजाम हैं। कमरों के साथ अटैच लेट-बाथ भी है।

यहां आने वालों के लिए सामाजिक बंधन नहीं है, लेकिन शराब, मांसाहार पूरी तरह प्रतिबंधित है। मुसाफिर स्वेच्छा से जो भी दान देता है, मंदिर प्रबंधन उसकी रसीद भी देता है। पटेल के मुताबिक यहां रुकने वाले लोग 300 से 500 रुपए तक स्वेच्छा से दे जाते हैं। यह राशि मंदिर की सहयोग राशि में जुड़ जाती है। असाध्य रोग के मरीजों से किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता। इसी तरह पुराने शहर स्थित झिरनों के मंदिर में भी यह सुविधा शुरू कर दी गई है। वहां 10 कमरों में से 5 वातानुकूलित हैं। इस 321के अतिरिक्त आधुनिक सुविधाओं वाले 10 कमरों का निर्माण अंतिम चरण में है।

मंगलवारा जैन मंदिर में 32 कमरे बनकर तैयार

ट्रस्ट के सोशल मीडिया से संबद्ध पंकज प्रधान ने बताया कि मंगलवारा जैन मंदिर में चार मंजिल इमारत बनकर तैयार है। इसमें ऊपर की दो मंजिलों में 32 कमरे बनकर तैयार हैं। सर्वसुविधायुक्त इन कमरों को जल्द ही मुसाफिरों के इस्तेमाल के लिए खोल दिया जाएगा। गौरतलब है कि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने अपने चातुर्मास के दौरान समाज के लोगों को मंदिरों में आम लोगों के लिए ठहरने, विद्यार्थियों के लिए छात्रावास, सात्विक भोजनशाला खोलने की प्रेरणा दी थी। समाज ने आचार्यश्री की प्रेरणा को अमल में लाना शुरू कर दिया है।

साभार- दैनिक नईदुनिया से

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