Friday, March 29, 2024
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फिल्मी चकाचौंध के बाद फ़ुटपाथ पर 30 साल

74 वर्षीया केशवलाल ने फिल्मकार वी शांताराम और संगीतकार कल्याणजी आनंदजी जैसे दिग्गजों के साथ काम किया, बावजूद इसके 30 सालों तक दर दर की ठोकरें खाने के बाद हाल ही में उन्हें अपने लिए छत मिली है.

श्रीलंका के कोलंबो में जन्मे केशवलाल के माता-पिता फौज मे मनोरंजन का काम करते थे और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब वे भारत पहुंचे तो इस परिवार ने मुंबई में जड़ें जमा लीं.

केशवलाल को शुरू से ही गाने बजाने का शौक था, हारमोनियम कमर में लटकाए वो मुंबई की सड़कों पर काम तलाशने निकल जाया करते थे.

ऐसे ही एक दिन वो मुंबई की फ़िल्मसिटी के पास गा रहे थे, कि फ़िल्मकार वी शांताराम ने उन्हें देखा और कहा "क्या तुम मेरी अगली फ़िल्म के लिए हारमोनियम बजाओगे?"

केशवलाल ने 'नागिन' के अलावा कई और फिल्मों के संगीत में भी अपना योगदान दिया, लेकिन उन्हें मुंबई कुछ रास नही आई.
वे कहते हैं, "शादी के बाद मेरी पत्नी की ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई थी और उस समय मुंबई की हालत भी कुछ ठीक नही थी, आए दिन ख़ून ख़राबा और चोरी-चकारी की ख़बर सुनकर मैंने मुंबई छोड़ने का फ़ैसला किया".

केशवलाल करीब 40 वर्ष की उम्र में पुणे पहुंचे लेकिन पैसे की कमी के कारण उन्हें सड़क पर ही दिन काटने पड़े और गुज़ारा सड़कों पर हारमोनियम बजाकर चल रहा था.

पिछले साल इसी तरह जब वे एक अख़बार के कार्यालय के बाहर हारमोनियम बजा रहे थे तभी एक सज्जन ने उनसे कहा, "आप बहुत अच्छा बजाते हैं, क्या आप हमारे कार्यक्रम में आकर प्रस्तुति देंगे ?"
पुणे के मंगेशकर सभागृह मे हुए एक कार्यक्रम ने जैसे केशवलाल को एक नया जीवनदान दिया. उस कार्यक्रम मे उपस्थित कुछ दर्शकों में से कुछ को जब यह मालूम पड़ा कि केशवलाल के पास रहने के लिए घर तक नहीं है तो उन्होंने घर की व्यवस्था की.
उस कार्यक्रम में दर्शक रहे पराग ठाकुर ने बीबीसी को बताया "हमें उनके बारे मे जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक इंसान जिसमें इतना हुनर भरा है और इतने बड़े संगीतकारों के साथ काम कर चुका है वो इतने वर्षों से फ़ुटपाथ पर ही कैसे रह रहा है."
हारमोनियम की सहारा

केशवलाल के पास अब रहने को छत है और वे पुणे मे वारजे स्थित एसआरए सोसाइटी मे एक कमरे के मकान में अपनी पत्नी सोनी बाई के साथ रहते हैं.

केशवलाल आज भी रोज सुबह अपनी पत्नी के साथ घर से निकलकर सड़क पर ही हारमोनियम बजाते हैं. वे कहते है "मुझे आज भी अलग-अलग जगह जाकर लोगों को गाने सुनना पसंद है, अगर कोई मुझे बुला लेता है तो मे उनके यहां चला जाता हूं और वो जो भी ख़ुशी-ख़ुशी इनाम के तौर पर देते हैं वो मैं ले लेता हू".
साभार-http://www.bbc.co.uk/hindi से 

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