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तीस्ता के बाद अब फोर्ड फाउंडेशन की भी जाँच

गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए जमा किए गए फंड में गबन के आरोपों का सामना कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के बाद अब गुजरात सरकार ने उनके मुख्य फाइनैंसर और अमेरिकी एनजीओ फोर्ड फाउंडेशन को निशाने पर ले लिया है। गुजरात सरकार का कहना है कि फोर्ड फाउंडेशन भारत के आंतरिक मामलों में सीधे दखल दे रहा है और देश में सांप्रदायिक सौहार्द को खराब करने के लिए काम कर रहा है।
 
गुजरात सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग ट्रस्ट और सिटिजन्स फॉर जस्टिस ऐंड पीस के खिलाफ फेमा के उल्लंघन के आरोपों की जांच की अपील की है। गुजरात सरकार ने इन एनजीओ को फोर्ड फाउंडेशन का प्रॉक्सी ऑफिस करार दिया है। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद ने विदेश में देश की छवि को नुकसान पहुंचाया। गुजरात सरकार की चिट्ठी पर कार्रवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सीतलवाड़ के एनजीओ के खातों की जांच के लिए अपनी टीम भेजी थी। टीम ने जांच पूरी कर ली है और वह जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
 
गुजरात के गृह विभाग ने फोर्ड फाउंडेशन पर यह आरोप भी लगाया है कि उसने भारतीय न्यायिक व्यवस्था में दखल देने और भारतीय सेना को बदनाम करने की कोशिश की। यह भी आरोप है कि उसने सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के घोषित उद्देश्य के खिलाफ काम किया। इसमें यह आरोप भी लगाया गया है कि फाउंडेशन ने सीतलवाड़ के एनजीओ को एक धर्म आधारित और मुस्लिम समर्थक अपराध संहिता की पैरवी के लिए उकसाया। गुजरात सरकार ने फोर्ड फाउंडेशन पर यह आरोप लगाया कि उसने बेबाक तरीके से एक धर्म (इस्लाम) का इस तर्क के साथ समर्थन किया कि इससे धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को मदद मिलेगी।
 
गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. आर. अलोरिया ने कहा कि हमने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक महीना पहले पत्र लिखा था और अब उसके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, 'इस मामले में फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट, 2010 का उल्लंघन पाया गया तो कार्रवाई शुरू करने से पहले एनजीओ से सफाई मांगेंगे।'
 
क्या है मामला?
 
गुजरात सरकार की ओर से लगाए गए प्रमुख आरोप हैं…
 
सबरंग ट्रस्ट और सबरंग कम्युनिकेशन ऐंड पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (एससीपीपीएल) को फोर्ड फाउंडेशन से 5.4 लाख अमेरिकी डॉलर यानी करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये मिले। सवाल इस बात को लेकर है कि एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (एससीपीपीएल) को कैसे भारत में सांप्रदायिकता और जातीय भेदभाव से निपटने के लिए 2.9 लाख डॉलर अनुदान के रूप में मिले।
 
एक प्रॉजेक्ट के लिए मिले ढाई लाख अमेरिकी डॉलर में से 80% ऑफिस के खर्चों पर खर्च किए गए। एससीपीपीएल को मिले 2.9 लाख डॉलर में से भी 75 % ऑफिस पर खर्च किए गए।
 
अपने अनुदान से पाकिस्तानी मानवाधिकार संगठन के लोगों की भारत यात्रा करवाकर फोर्ड फाउंडेशन ने अपनी सीमा का उल्लंघन किया। इसके अलावा देश की सांप्रदायिक स्थिति पर अतिरेकपूर्ण विचारों को प्रसारित करवाया।
 
एससीपीपीएल को यह कहने की इजाजत देना कि सेना और नौसेना में कार्यरत और रिटायर हो चुके अधिकारी आतंक को बढ़ावा दे रहे हैं, भारतीय सेना के लिए मानहानि को बढ़ावा देना है।
 
तीस्ता सीतलवाड़ ने खुद कहा था कि सबरंग ने गुजरात दंगों के दौरान के 5 लाख कॉल रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया था। फोर्ड फाउंडेशन ने ऐसी गैरकानूनी और अनाधिकृत गतिविधि पर आपत्ति क्यों नहीं जताई?
 
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से