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अमिताभ बच्चन ने माना लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कविता बच्चन जी की नहीं

प्रिय दोस्तो!
ख़ुशी की बात है कि स्वयं अमिताभ बच्चनजी ने मान लिया कि ”लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती…” कविता उनके बाबूजी की नहीं बल्कि सोहन लाल द्विवेदी की है। उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद।
एक बात आज स्पष्ट हो गयी
ये जो कविता है
‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ‘
ये कविता बाबूजी की लिखित नहीं है
इस के रचयिता हैं
सोहन लाल द्विवेदी ….

इस कविता के मूल रचयिता पं. सोहन लाल द्विवेदी को उनका अधिकार दिलाने के लिए देवमणि पाँडेय सतत् संघर्षशील रहे हैं उन्होंने इस मुद्दे को कई बार उठाया..श्री पाँडेय द्वारा शुरु की गई इस मुहिम को व्यापक जनसमर्थन भी मिला..पूर्व में इस विषय को लेकर लिखा गया श्री देवमणि पाण्डेय का लेख

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती I
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती II

ये कविता किसकी है ? इसे महाकवि निराला की रचना भी कहा गया और इंटरनेट पर डॉ.हरिवंशराय बच्चन की रचना के रूप में भी प्रचारित किया गया। स्वयं अमिताभ बच्चन ने इसे अपने ‘बाबूजी’ की रचना बताया है और स्वयं इसका पाठ भी किया है। इस लिए काफ़ी लोग मानते हैं कि यह उन्हीं की रचना है। मगर किसी को ये मालूम नहीं है कि ये कविता डॉ.हरिवंशराय बच्चन के किस काव्य संकलन में शामिल है। जहाँ तक मेरी जानकारी है ये कविता बच्चन साहब के किसी भी संकलन में शामिल नहीं और इसकी शैली भी उनसे मेल नहीं खाती।

फ़िलहाल वर्ष 2007-2008 से यह रचना महाराष्ट्र के छठी कक्षा के पाठ्यक्रम में बिना रचनाकार के नाम के प्रकाशित है। अगर ये कविता डॉ.हरिवंशराय बच्चन की है तो आदरणीय अमिताभ बच्चन महाराष्ट्र सरकार से यह माँग क्यों नहीं करते कि इसके साथ डॉ.हरिवंशराय बच्चन का नाम जोड़ दिया जाए।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार सच्चाई ये है कि इसके वास्तविक रचनाकार का नाम सोहनलाल द्विवेदी है। मैंने मुम्बई वि.वि.के सेवानिवृत्त हिंदी विभागाध्यक्ष एवं महाराष्ट्र पाठ्य पुस्तक समिति के अध्यक्ष डॉ.रामजी तिवारी से पिछले साल फोन पर सम्पर्क किया था। उन्होंने बताया था कि लगभग 20 साल पहले श्री अशोक कुमार शुक्ल नामक सदस्य ने सोहनलाल द्विवेदी की यह कविता वर्धा पाठ्यपुस्तक समिति को लाकर दी थी। ये शायद किसी पत्रिका में प्रकाशित थी। तब यह कविता छ्ठी या सातवीं के पाठ्यक्रम में शामिल की गई थी। समिति के रिकार्ड में रचनाकार के रूप में सोहनलाल द्विवेदी का नाम तो दर्ज है मगर एक रिमार्क लगा है कि ‘पता अनुपलब्ध है।’ इसके कारण कभी इसकी रॉयल्टी नहीं भेजी गई। कहीं यह चर्चा भी हुई थी कि सोहनलाल द्विवेदी इसे काव्य-मंचों पर पढ़ते थे। हैरत की बात यह है कि अब इसके रचनाकार का नाम क्यों हटा दिया गया।

कानपुर के पास बिंदकी (ज़िला फ़तेहपुर) के मूल निवासी सोहनलाल द्विवेदी का नाम ऐसे कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने एक तरफ़ तो आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय भागीदरी की और दूसरी तरफ देश और समाज को दिशा देने वाली प्रेरक कविताएं भी लिखीं। मुम्बई में चाटे क्लासेस ने अपने विज्ञापनों में अनेक बार इस कविता को प्रकाशित किया मगर कभी भी उन्होंने कवि का नाम नहीं दिया। मैंने गाँधी को नहीं मारा फ़िल्म में भी इस कविता का सार्थक फ़िल्मांकन किया गया। अगर हम इस कविता के साथ सोहनलाल द्विवेदी का नाम जोड़ सकें तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
अमिताभ बच्चन के फेसबुक पेज पर देखिये उनकी स्वीकारोक्ति
कृपया इस कविता को बाबूजी, डॉ हरिवंश राय बच्चन के नाम पे न दें … ये उन्होंने नहीं लिखी है
https://www.facebook.com/AmitabhBachchan/posts/1153934214640366
संपर्क

देवमणि पांडेय
शायर-फ़िल्म गीतकार (मुम्बई)
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