Thursday, March 28, 2024
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खिलौनों से बच्चों को विज्ञान सिखा रहे हैं अरविंद जी

इसी गणतंत्र दिवस पर ‘पद्मश्री’ से सम्मानित देश के अनूठे विज्ञान शिक्षक अरविंद गुप्ता को बच्चों की दुनिया से अथाह लगाव है। पुणे के बाल विज्ञान केन्द्र में काम करने वाले गुप्ता खिलौनों के ऐसे आविष्कारक हैं, जिन्होंने विज्ञान को बच्चों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। वे बीते तीन दशकों से कबाड़ और रोजमर्रा की अनुपयोगी वस्तुओं से खिलौने बनाकर बच्चों को विज्ञान के विभिन्न सिद्धान्तों को रोचक व रचनात्मक तरीके से सिखा रहे हैं। नवोन्मेषी विज्ञान अध्यापक के रूप में लोकप्रिय अरविंद की वेबसाइट पर खिलौने बनाकर विज्ञान की शिक्षा देने वाले सैकड़ों वीडियो मौजूद हैं। इस विज्ञान शिक्षक ने कई पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें उनकी ‘लिटिल टॉयज-अमेजिंग एक्टिविटीज’ और ‘साइंस इन स्क्रैप’ जैसी लोकप्रिय किताबों का हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित अरविंद ने आईआईटी कानपुर से विज्ञान में स्नातक किया है। बच्चों के मनोविज्ञान को भलीभांति समझने वाले अरविंद कहते हैं, ‘‘किसी बात को समझने से पहले बच्चों को अनुभव की जरूरत होती है। इसके लिए उनका ठोस चीजों से खेलना और प्रयोग करना अनिवार्य है। इस अनुभव में चीजों को देखना, सुनना, छूना, चखना, सूंघना, श्रेणियों में बांटना व क्रमबद्ध रखना आदि तरीके शामिल होते हैं। बच्चों के विकास के सारे सिद्धान्त इस पद्धति की पैरवी करते हैं।’’

बकौल अरविंद, उन्होंने भारत के तकरीबन तीन हजार स्कूलों का दौरा करने के दौरान महसूस किया कि गांवों के गरीब छात्रों से लेकर शहरों के सुविधा सम्पन्न स्कूलों के बच्चे भी विज्ञान के नीरस व उबाऊ पाठ्यक्रम से परेशान हैं। इस विचार ने उन्हें इस दिशा में कुछ नया व सार्थक करने को प्रेरित किया; कुछ ऐसा कि जिससे बच्चे सरलता से विज्ञान के सिद्धांतों को हृदयंगम कर सकें। वे छात्रों को बेकार पड़े सामान से सृजन की सीख देते हैं। वह कहते हैं कि अगर बच्चों को कोई वैज्ञानिक नियम किसी खिलौने के भीतर नजर आता है तो वे उसे बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। घरों में इस्तेमाल होने वाली सामान्य व कबाड़ की वस्तुओं का भी वैज्ञानिक प्रयोगों में इस्तेमाल किया जा सकता है। अपना इस हुनर को बांटने के लिए वे अब सैकड़ों स्कूलों का दौरा करने के साथ 18 भाषाओं में छह हजार से ज्यादा लघु फिल्में बना चुके हैं। वे दूरदर्शन पर विज्ञान आधारित लोकप्रिय कार्यक्रम ‘तरंग’ की मेजबानी भी कर चुके हैं। अरविंद की वेबसाइट पर शिक्षा, पर्यावरण, विज्ञान, गणित और बच्चों की सर्वोत्तम उपलब्ध पुस्तकें हैं जिनके माध्यम से कोई भी जिज्ञासु आसानी से विज्ञान के सूत्रों को आसानी से सीख सकता है। उनके वीडियो करीब 20 भाषाओं में रूपांतरित किये जा चुके हैं और लगभग 56 करोड़ लोग इन्हें देख चुके हैं। बच्चों को खेल-खेल में विज्ञान सिखाने वाले अरविंद को यूनेस्को, यूनिसेफ, अंतरराष्ट्रीय खिलौना अनुसंधान संघ, बोस्टन साइंस सेंटर, वॉल्ट डिजनी इमेजिनिंरिंग और रिसर्च सेंटर जैसे विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय संगठनों से मान्यता मिल चुकी है।

साभार- http://www.panchjanya.com से

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