Friday, March 29, 2024
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अरविंद तुकांत कोश से घर बैठे कवि बन कविता लिखिए

अपने जून मेँ छपने वाले अरविंद तुकांत कोश के बारे मेँ उस की अपनी भूमिका मेँ से कुछ अंश दे रहा हूँ. प्रकाशक है मेरी अपनी कंपनी – अरविंद लिंग्विस्टिक्स प्रा लि, ई-28 (प्रथम तल), कालिंदी कालोनी, नई दिल्ली – 110065 – संपर्क मीता लाल)

अरविंद तुकांत कोश वाचिक कविता करने वालों के काम का तो है ही, प्रयोगवादी छंदमुक्त कविता, रेडियो जिंगल, टीवी विज्ञापनों और फ़िल्म गीतकारों को भी उपयोगी होगा. जेबी आकार में है, तो यह आप जेब में रखे रह सकते हैं. जब जहां मन में उचंग उठे किताब खोलिए, सत्तावन हज़ार तुकें आप के सामने होंगी. यह तुक तो देगा ही नई से नई अकल्पित तुक पेश कर के नए भाव जगाने में भी सहायक होगा.

1. इस की शब्दावली समावेशी है – हिंदी, उर्दू, संस्कृत, अरबी, फ़ारसी, देशज, तद्भव, इंग्लिश – सभी के शब्द शाने बशाने मिलेंगे, जो हमारीदैनिक बोलचाल का हिस्सा बन गए हैं (इंग्लिश शब्द तिरछे लिखे हैं).

2. कुछ उक्तियां और मुहावरे भी इस में मिलेंगे जो कविता को रोचक बनाने में सहायक होंगे.

3. कम प्रचलित शब्दों के अर्थ उन के बाद ब्रैकेट में दिए गए हैं.

कुछ उदाहरण–

टेकुआ (ओटनी), टेसुआ, ठलुआ (निठल्ला), ठिलुआ (निठल्ला), डबुआ (कुल्हड़), डमरुआ, डौआ (काठ का चमचा), ढबुआ (मचान का छप्पर),

एक, एकाएक, केक, पैनकेक, टेक, गिव ऐंड टेक, नेक, अनेक, मेक, इलाक़ा, शलाका, अग्निशलाका, शाका (पंचांग), ठहाका,

कुंदन, चंदन, हरिचंदन (कल्पवृक्ष, चांदनी), गोपीचंदन (द्वारिका की सफ़ेद मिट्टी), वनचंदन (देवदारु), नंदन, सुमित्रानंदन (लक्ष्मण),यशोदानंदन (कृष्ण), उमानंदन (गणेश), कौशल्यानंदन (राम), अदितिनंदन (आदित्य), देवकीनंदन (कृष्ण), दशरथनंदन (राम), शिवनंदन (गणेश, स्कंद)…
फिकैती (लाठीबाज़ी), डकैती, हटैती (माल, सामान), लठैती (लाठीबाज़ी, लट्ठमलट्ठा), भंडैती (भांड़गीरी), लड़ैती (लाड़ली),

जोती (ज्योति), तोती, धोती, पोती, लीपापोती, कपोती, पड़पोती, मोती,

चुकौती (भुगतान), चखौती (चखाचखी),

छुटौती (फिरौती, मूल्य में छूट), कटौती, हटौती (कंकाल), कठौती (काठ की कूंडी),

छुड़ौती (अपहृत व्यक्ति, फिरौती), हड़ौती (कंकाल), बुढ़ौती (बुढ़ापा), सगुनौती (शुभाशुभ कथन), चुनौती (ललकार)जून से टलते टलते टलते यह कोश अब 8 अगस्त से मिलेगा.

सत्तावन हज़ार तुकोँ का अभूतपूर्व कविमित्र संकलन – अरविंद तुकांत कोश.

सब की सूचनार्थ निवेदन है कि इसी प्रेरणा अशोक जी से मिली थी, औऱ प्रस्तुति भी उन्हीं की लिखी है, 8 अगस्त को इस का विमोचन भी वही करेँगे.

356 पेज – कीमत कुल रु 195.00

अरविंद कुमार

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