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आर्यों ने छुआछूत मिटाई

ये घटना घरोंडे की आज से लगभग 70 -80 साल पुरानी है। स्वामी भीष्म जी के पास आश्रम में पं. चन्द्रभानु जी व 16 विद्यार्थी थे। वें एक कुवें पर पानी लेने गए। स्थानीय लोगों ने कुवें पर नहीं चढ़ने दिया। बोले की स्वामी भीष्म के पास हरिजन के लड़के भी रहते हैं। हमारा धर्म भ्रष्ट कर दिया। लेकिन विद्यार्थियों के संस्कार पक्के हो चूके थे। उन्होंने कहा तुम सुंघ कर पहचान लो जो हरिजन के हों उन्हें मत चढ़ने देना लेकिन वे टस से मस न हुए। वें विद्यार्थी स्वामी जी के पास आए और उन्हें सारी घटना बताई। स्वामी जी ने कहा कि भाई हमारे यहां सबके द्वार खुले हैं। वहां मकान में आँगन था। कुईं खोदने का आदेश दिया। शाम तक कुईं खोद कर तैयार कर दी। पानी बड़ा मीठा था। आस पास तथाकथित अछूतों के सैकड़ों घर थे। स्वामी जी छत पर चढ़ गए और लगे आवाज लगाने – भाई, हमारी कुईं से सब हरिजन पानी भर लो। अगले दिन उस कुईं की काठी नीचे उतारने के लिए स्वामी भीष्म जी और स्वामी रामेश्वरानंद जी ने आपस में हाथ पकड़कर कोठी का चक्कर कटाया, कोठी सही फिट हो गई। उस दिन के बाद सभी हरिजन उस कुई से पानी भरने लगे।
स्त्रोत :- पं. चन्द्रभानु आर्योपदेशक व्यक्तित्व कृतित्व
लेखक :- सहदेव समर्पित (जींद)