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अश्विनी उपाध्याय ने कहा, आंदोलन की सफलता को बदनाम करने की साजिश

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और पीआईएल मैन के नाम से प्रसिद्ध अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने आज ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) की वर्षगांठ पर जंतर मंतर पर ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ (Bharat Jodo Andolan) शुरू किया और 1860 में बने इंडियन पीनल कोड, 1861 में बने पुलिस ऐक्ट, 1863 में बने रिलिजियस एंडोमेंट ऐक्ट और 1872 में बने एविडेंस एक्ट सहित सभी 222 अंग्रेजी कानूनों को खत्म करने तथा भारत में समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान कर संहिता, समान दंड संहिता, समान श्रम संहिता, समान पुलिस संहिता, समान न्यायिक संहिता, समान नागरिक संहिता, समान धर्मस्थल संहिता और समान जनसंख्या संहिता लागू करने की मांग की.

भारत जोड़ो अभियान के संयोजक अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जब तक घटिया 222 अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे तब तक जातिवाद भाषावाद क्षेत्रवाद अलगाववाद कट्टरवाद मजहबी उन्माद माओवाद नक्सलवाद तुष्टीकरण और राजनीति का अपराधीकरण कम नहीं होगा. जब तक घटिया 222 अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे तब तक चोरी, लूट, झपटमारी, घूसखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी, कमीशनखोरी, मुनाफाखोरी, मानव तस्करी, नशा तस्करी, चंदन तस्करी, हवाला, कारोबार, कालाधन और बेनामी संपत्ति कम नहीं होगी. जब तक घटिया अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होगा तब तक रोहिंग्या बांग्लादेशी घुसपैठ और साम, दाम, दंड, भेद द्वारा धर्मांतरण समाप्त नहीं होगा.

देश भर से हजारों की संख्या में आये लोगों को संबोधित करते हुए उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजों ने भ्रष्टाचार और अपराध कम करने तथा भारत के लोगों को न्याय देने के लिए नहीं बल्कि अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए घटिया कानून बनाया था. अंग्रेजों ने कानून बनाते समय किसी भारतीय से विचार विमर्श नहीं किया था. न तो घटिया कानूनों को बनाते समय कोई सार्वजनिक बहस हुई थी और न तो आम जनता से कोई सुझाव लिया गया था. अंग्रेजों ने सभी कानून केवल अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए बनाया था. 1860 का आईपीसी भारत में अपराध कम करने के लिए नहीं बल्कि तिलक और लाला लाजपत राय को लाठियों से पीटने, वीर सावरकर जैसे देशभक्तों को आजीवन कारावास देने तथा भगत सिंह सुखदेव राजगुरु को फांसी देने के लिए बनाया था.

उपाध्याय ने कहा कि 1861 का पुलिस ऐक्ट महा घटिया है. इस घटिया कानून के कारण पुलिस पहले अंग्रेजों की गुलामी थी और अब सत्ताधारी पार्टी की गुलाम है. 1990 में कश्मीर में दिनदहाड़े हत्या हुई थी, बहन बेटियों के साथ बलात्कार हुआ था, खुलेआम घर जलाया गया था और पलायन करने के लिए मजबूर किया गया था लेकिन पुलिस ने हवाई फायरिंग भी नहीं किया. आज तक कश्मीर के गुनाहगारों को सजा भी नहीं हुई. 1990 में कश्मीर के महा नरसंहार का मूल कारण 1861 में बना घटिया पुलिस ऐक्ट है. जो कुछ 1990 में कश्मीर में हुआ था वह सब कुछ दिन पूर्व बंगाल में भी हुआ लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही क्योंकि 1861 में बना पुलिस ऐक्ट बंगाल में भी लागू है.

उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजों ने 1863 में रिलिजियस एंडोमेंट ऐक्ट बनाकर हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख के धर्मस्थलों पर कब्जा कर लिया और वह कानून आज भी चल रहा है. आज भारत के 4 लाख मंदिरों पर सरकार का कब्जा है लेकिन एक भी मस्जिद, चर्च, मजार या दरगाह सरकार के कंट्रोल में नहीं है, इसीलिए अंग्रेजी कानूनों को बदलना नितांत आवश्यक है.

उपाध्याय ने कहा कि डॉक्टर अच्छा है लेकिन दवा घटिया है, वैद्य अच्छा है लेकिन जड़ी बूटी खराब है, मिस्त्री अच्छा है लेकिन बिल्डिंग मटेरियल घटिया है, सर्जन अच्छा है लेकिन आपरेशन के इंस्ट्रूमेंट बेकार है इसीलिए अपेक्षित परिणाम नहीं आ रहा है. देश को जोड़ने के लिए सभी 222 अंग्रेजी कानूनों को समाप्त करना तथा एक देश-एक पाठ्यक्रम, एक देश-एक शिक्षा बोर्ड, एक देश-एक दंड संहिता, एक देश-एक कर संहिता, एक देश-एक पुलिस संहिता, एक देश-एक मजदूर संहिता, एक देश-एक न्यायिक चार्टर, एक देश-एक सिटीजन चार्टर, एक देश-एक नागरिक संहिता और एक देश-एक चिकित्सा संहिता लागू करना नितांत आवश्यक है. जब हम 2020 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाए, उस समय भारत में एक भी अंग्रेजी कानून नहीं होना चाहिए क्योंकि जब तक नया कानून नहीं बनेगा तब तक नया भारत नहीं बनेगा.

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डॉक्टर आनंद कुमार, वरिष्ठ नौकरशाह आर वी एस मणि, लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी, सामाजिक कार्यकर्ता भाई प्रीत सिंह और अनिल चौधरी, आध्यात्मिक गुरु स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, कालका पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्र नाथ, स्वामी यतींद्रानंद गिरी और महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान उपस्थित रहे.

‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि ये विरोध प्रदर्शन अंग्रेजों के जमाने के उन कानूनों को लेकर था, जिनका इस्तेमाल कर के ब्रिटिश भारतीयों पर अत्याचार करते थे और वो आज भी अस्तित्व में हैं।

दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ नारेबाजी के आरोप के मामले में FIR दर्ज की है। ये विरोध प्रदर्शन रविवार (8 अगस्त, 2021) को हुआ था। पुलिस ने IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा-153A (विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया है। अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को ख़त्म करने की माँग करते हुए उक्त विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि रैली निकालने के लिए आयोजकों ने पुलिस से अनुमति नहीं ली थी, इसीलिए पुलिस द्वारा FIR में IPC की धारा-188 (जानबूझ कर प्रशासन द्वारा जारी किए गए आदेश की अवहेलना करना) और कोरोना दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए आपदा प्रबन्धन अधिनियम, 2005 (DDMA Act) की धारा-51 भी लगाई गई है। इस रैली का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया था।

अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली पुलिस को जानकारी दी है कि इस रैली में कुछ असामाजिक तत्व घुस गए थे, जिन्होंने इस कार्यक्रम को बदनाम करने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि वो दोपहर 12:15 बजे ही कार्यक्रम स्थल से निकल गए थे। नई दिल्ली जिले के DCP दीपक यादव ने बताया कि मामला दर्ज करने के बाद जाँच की जा रही है। इस रैली में सैकड़ों लोग शामिल थे। मुस्लिम विरोधी नारेबाजी का भी आरोप है।

‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि ये विरोध प्रदर्शन अंग्रेजों के जमाने के उन कानूनों को लेकर था, जिनका इस्तेमाल कर के ब्रिटिश भारतीयों पर अत्याचार करते थे। उन्होंने कहा कि चूँकि ये कानून अभी भी मौजूद हैं, इसीलिए इस विरोध प्रदर्शन में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ की माँग की गई, ताकि देश में सभी नागरिकों के लिए समान कानून हो। उन्होंने बताया कि उन्हें किसी भड़काऊ नारेबाजी की जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि जिस रैली में 5000 लोग थे, अगर वहाँ किसी कोने में 5-6 लोगों ने कुछ आपत्तिजनक नारेबाजी कर भी दी तो हम इससे खुद को अलग करते हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि यहाँ और भी बड़ी संख्या में लोग आने वाले थे। अश्विनी उपाध्याय ने इससे खुद को अलग करते हुए दिल्ली पुलिस से निवेदन किया कि वो वीडियो के समय, जगह और प्रमाणिकता की जाँच करे। साथ ही उन्होंने वीडियो में आपत्तिजनक नारेबाजी कर रहे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की।

हालाँकि, अश्विनी उपाध्याय ने ये भी कहा कि जो लोग इस वीडियो को उनके नाम पर शेयर कर के फैला रहे हैं, उनके खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। अश्विनी उपाध्याय दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता भी रहे हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को लिखित शिकायत देकर मजहबी उन्माद फ़ैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का निवेदन किया है। उन्होंने कहा कि जब तक 1860 की IPC, 1861 का पुलिस एक्ट और 1872 का एविडेंस एक्ट लागू रहेगा, मजहबी उन्माद काबू में नहीं आएगा।

उन्होंने दिल्ली पुलिस को भेजे गए पत्र में लिखा है, “सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति उन्मादी भाषण दे रहा है। कुछ लोग मुझे बदनाम करने के लिए मेरा नाम लेकर यह वीडियो ट्विटर फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर शेयर कर रहे हैं जबकि वीडियो में दिख रहे लोगों को न तो मैं जानता हूँ, न तो इनमें से किसी से मिला हूँ और न तो इन्हें बुलाया गया था। कानून बहुत ही घटिया और कमजोर है इसीलिए प्रसिद्धि पाने के लिए भी कई बार लोग उन्मादी वीडियो जारी करते हैं।”