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आकांक्षी जिला कार्यक्रम से देश के विकास को मिल रही है रफ्तार

भौगोलिक दृष्टि से भारत एक विशाल देश है। वर्ष 1947 के बाद से पिछले 74 वर्षों के दौरान देश के कई इलाके विकास की दृष्टि से बहुत पिछड़ गए थे। इन इलाकों में भी विकास को गति प्रदान करने एवं इन अति दुर्गम एवं पिछड़े इलाकों में निवास कर रहे नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम को प्रारम्भ किया गया था। इन पिछड़े जिलों को ही आकांक्षी जिले का नाम दिया गया क्योंकि इन जिलों में विकास की अपार सम्भावनाएं मौजूद थीं। यदि भारतीय अर्थव्यवस्था को वर्ष 2024-25 तक 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक ले जाना है तो देश के विकास में पिछड़े जिलों की भागीदारी को भी सुनिश्चित करना ही होगा। इसी कड़ी में देश की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करते हुए भारतीय संसद में कहा था कि देश के अत्यंत दुर्गम और पिछड़े जिलों के निवासियों के जीवन की गुणवता में सुधार लाने के उद्देश्य से महत्वांकाक्षी आकांक्षी जिला कार्यक्रम योजना को बहुत कम समय में ही साकार किये जाने के गम्भीर प्रयास किए जा रहे हैं और इन प्रयासों में देश को सफलता भी मिली है। देश में कुल 112 पिछड़े जिलों को आकांक्षी जिला कार्यक्रम में शामिल किया गया था। आकांक्षी जिले आज देश के विकास में गतिरोधक बनने के बजाय देश के विकास में गतिवर्धक की भूमिका अदा कर रहे हैं क्योंकि इन जिलों में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, जल की उपलब्धता, ऊर्जा, वित्तीय स्थिति और आधारभूत ढांचा आदि क्षेत्रों में अच्छी खासी प्रगति हुई है।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम को सफलता पूर्वक लागू करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी गई थी। नीति आयोग द्वारा पिछड़े जिलों की विभिन्न मानकों पर निष्पादन की समीक्षा की गई एवं जिन जिन जिलों का निष्पादन बहुत कमजोर पाया गया था, उन्हें आकांक्षी जिला कार्यक्रम में शामिल किया गया था। इस प्रकार प्रारम्भ में 112 पिछड़े जिलों का चयन इस कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया था। नीति आयोग द्वारा केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, राज्य सरकारों, जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, स्थानीय विधायक, स्थानीय पंचायतों एवं स्थानीय निवासियों को साथ लेकर इस कार्यक्रम को लागू करने की योजना बनाई गई। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना की निगरानी करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी गई। राज्य सरकारें इस कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य प्रेरक की भूमिका अदा कर रही हैं। कुल मिलाकर आकांक्षी जिला कार्यक्रम को एक टीम द्वारा लागू किया गया है।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम को प्रारम्भ करने के पीछे मूल भावना यह थी कि देश में ऐसे कई दुर्गम स्थानों के जिले हैं जहां निवास कर रहे लोगों ने अभी तक देश के आर्थिक विकास का स्वाद ही नहीं चखा है और ये जिले केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए गए विभिन्न मानकों में अति पिछड़े पाए गए थे। अतः इन पिछड़े जिलों में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया गया था। जिला कलेक्टर एवं स्थानीय प्रशासन को इस योजना को जिला स्तर पर लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम को लागू किए जाने के बाद से इन जिलों में कई परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए हैं। पिछले 4 वर्षों के दौरान आकांक्षी जिलों में जन धन खातों को खोलने की गति 4 से 5 गुना तक बढ़ी है। इन जिलों के ग्रामीण इलाकों में आधारभूत ढांचा के विकास में गति आई है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों की विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक योजनाओं का लाभ इन जिलों में रहने वाले लोगों तक पहुंचाया गया है। प्रत्येक परिवार को शौचालय उपलब्ध कराया गया है। इन जिलों के लगभग प्रत्येक गांव में बिजली उपलब्ध करा दी गई है। उक्त वर्णित 112 आकांक्षी जिलों को बेहतरीन रोड उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि गावों को शहरों से जोड़ा जा सके। इस कार्यक्रम के लिए बनायी गई योजना पर 1 लाख करोड़ रुपए खर्च कर हाइवे का निर्माण किया जा रहा है ताकि इन जिलों के ग्रामीण इलाकों को शहरों से जोड़ा जा सके। पहले जहां केवल 24 लाख घरों में ही नल से जल की सुविधा उपलब्ध थी वहीं पिछले 28 माह के दौरान 112 आकांक्षी जिलों के सवा करोड़ घरों तक नल से जल की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है एवं इस प्रकार केंद्र सरकार ने एक अहम पड़ाव पूरा कर लिया है। अब बाकी बचे हुए दो करोड़ घरों में नल से जल की सुविधा उपलब्ध कराए जाने पर बहुत तेजी से कार्य किया जा रहा है। इन 112 आंकाक्षी जिलों में जल जीवन मिशन की 100 प्रतिशत कवरेज के लिए मार्च 2023 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जबकि पूरे देश में 100 प्रतिशत कवरेज का लक्ष्य मार्च 2024 निर्धारित हुआ है। उक्त सफलताओं के चलते इन आकांक्षी जिलों में निवास कर रहे लोगों में ऊर्जा का संचार हुआ है एवं सरकार की विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक योजनाओं को जन आंदोलन का रूप मिल गया है।

आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम को लागू करने में जिला कलेक्टर की अहम भूमिका रही है। नीति आयोग द्वारा चुने गए जिला अधिकारियों के बीच इस कार्यक्रम को सफलता पूर्वक लागू करने के उद्देश्य से आपस में प्रतिस्पर्धा कराई गई एवं इन जिलाध्यक्षों को नवाचार लागू करने हेतु भी प्रोत्साहित किया गया। इससे प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा हुआ एवं कई जिलों ने इस कार्यक्रम को लागू करने में अतिरिक्त उत्साह दिखाया। इस कार्यक्रम की सफलता के लिए वैसे तो समाज के प्रत्येक वग को जोड़ा गया है परंतु खासतौर पर युवाओं को जोड़ने की विशेष कोशिश की गई है।

पूर्व के समय में भारत के विकास में पिछड़े जिलों का योगदान नहीं के बराबर रहता आया है परंतु आकांक्षी जिला कार्यक्रम को प्रारम्भ किए जाने के बाद से इन जिलों का भी देश के विकास में योगदान होने लगा है क्योंकि इन जिलों के नागरिकों को उपलब्ध करायी गई आधारभूत एवं मूलभूत सुविधाओं के बाद इन जिलों में आर्थिक गतिविधियों की गति भी तेज हुई है। अतः इस प्रकार अब पिछड़े जिले भी विकास की दौड़ में शामिल हो गए हैं।

युनाईटेड नेशनस (UN) ने अपने एक प्रतिवेदन में भारत में लागू किए गए आकांक्षी जिला कार्यक्रम की मुक्त कंठ से सराहना की है एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसे अपनाने की सिफारिश की है। UN ने इसे स्थानीय क्षेत्र के विकास का सफल मॉडल बताया है।

प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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