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जहाँ बलिदान हुए भाई सती दास , भाई मती दास और भाई दयाला वहाँ इफ्तार चल रहा है
वो बढ़ खालसा गांव आज भी वहीं है। उस हवेली में , जहां दादा कुशाल सिंह दहिया ने अपना शीश दिया आज एक भव्य गुरुघर स्थापित है । हर साल दादा कुशाल सिंह दहिया की याद में मेला भरता है ।