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हिंदी के हत्यारे हैं हिंदी की खाने वाले फिल्मी दुनिया के लोग
इस क्रम में तीसरा उदाहरण सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का है. एक रिएलिटी टीवी शो की एंकरिंग करते हुए बच्चन साहब ने साहित्यिक हिंदी को बोलचाल की भाषा बना दिया था.
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‘अपना खाका लगता हूँ, एक तमाशा लगता हूँ’ लिखने वाले जॉन एलिया को कितने लोग जानते हैं
जॉन एलिया ने अपने बारे में लिखा है, ‘अपना खाका लगता हूं, एक तमाशा लगता हूं.’ यह एक परिचय भले जॉन एलिया ने सिर्फ एक बार लिखा लेकिन आज की तारीख में यह सैकड़ों फेसबुक और ट्विटर यूजर्स के इंट्रो/बायो में बार-बार लिखा मिलेगा.