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अमर बलिदानी पांडुरंग जी
आर्यों कि इच्छा थी कि शहीद कि शवयात्रा बड़े सम्मान इ साथ निकाली जावे किन्तु निजाम शव देने को तैयार नहीं हो रहा था , यहाँ तक कि वह पार्थिव शरीर को आर्यों को दिखाना भी नहीं चाहता था |
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महान ऋषि दधिची की पत्नी सती प्रतिथेयी
सब पेड़ , पौधे ,वनस्पतियां ही नहीं जंगल के अन्य प्राणी भी प्रतिक्षण प्रतिथेयी से वार्तालाप करते रहते थे , बातचीत करते रहते थे ।
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हैदराबाद सत्याग्रह के शहीद बुंदेलखंड के नन्हू सिंह जी
नन्हू सिंह जी का जन्म बुन्देलखंड निवासी गणेश सिंह जी के यहाँ हुआ , जो अत्यंत धार्मिक प्रवृति के धनी व्यक्ति माने जाते थे | नन्हू सिंह जी इन दिनों महाराष्ट्र के अमरावती नगर में मजदूरी करते हुए अपने जीवन का किसी प्रकार निर्वाह कर रहे थे |
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वेद की व्याख्या करने वाली ब्रह्मविचरणी विश्ववारा
कुछ इस प्रकार की ही अवस्था में हम एक बहुत बड़े ऋषि अत्रि के सम्बन्ध में पाते हैं । उनके प्रभाव व प्रयास का परिणाम हुआ कि उनकी सुपुत्री ने वेद पर अत्यधिक कार्य किया और उसने
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आन पर मर मिटने वाली बुंदेलखंड की सारन्धा
यह सब दृश्य देख मुगल सेना के सब सैनिक स्तब्ध रह गये । इसे देख सब ने कहा की रानी हम सब आप के दास हैं । सारंधा ने कहा कि " यदि हमारे पुत्रों में से कोई जीवित हो तो हमारा शव उन्हीं को दे देना ।
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मुन्शी कन्हैयालाल अलखधारी
मुन्शी जी ने आर्य समाज के प्रसार तथा वेद प्रचार के लिए अनेक ग्रन्थ लिखे । मुन्शी जी का समग्र साहित्य " कुलियात अलखधारी " शीर्षक के अन्तर्गत प्रकाशित हुआ ।
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महानी नारी विद्युत लता का बलिदान
इस प्रकार के शब्द बोलते बोलते विद्युल्लता ने अपनी कमर से कटार निकाल झटपट उसे अपनी छाती में भोंक लिया ।
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वीर नारी ब्रह्मवासिनी घोषा
इस कन्या ने सब प्रकार से ज्ञान में पारंगत होने का निश्चय किया ओर कुछ ही समय में वह अपने उद्देश्य में सफ़ल भी हो गई ।
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उदारता व दान की प्रतिमूर्ति गार्गी
गार्गी चाहती तो इस सभा में जहां उसने अपनी विद्वत्ता की धाक जमाई थी, वहां याग्यवल्क्य को पराजित बता कर सर्वोतम विद्वान् के पद पर आरूढ हो सकती थी किन्तु नहीं जैसी वह उदार व
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देश की रक्षा के लिए विषपान करने वाली राजकुमारी कृष्णकुमारी
इस गरलपान की घटना को सुनकर समग्र मेवाड के लोगों में इस राजकुमारी के लिए सम्मान बढ गया । सब के मुख से यह ही निकल रहा था कि " राजकुमारी ! तूंने गरल नहीं, सुधा-पान किया