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दीपक महान
 

  • शाब्दिक बलात्कार

    शाब्दिक बलात्कार

    विद्वान कहते हैं कि चुप रहने पर अगर कोई आपको मूर्ख समझ भी लें तो भी ये उस क्षण से कहीं बेहतर है जब कि आपके मुखरित होने से आपकी मूर्खता पूर्णतः प्रदर्शित हो जाए. यानी चुप रहने में ही बुद्धीमत्ता है और मनुष्य को वाणी का प्रयोग बहुत सोच समझ और संभल कर करना चाहिए क्यूंकि यही उसके व्यक्तित्व को समाज में यथोचित सम्मान दिलाती है. अन्याय के खिलाफ मौन रखने के अलावा चुप रहना कभी गलत नहीं होता और इसीलिए दार्शनिक अरस्तु ने मौन को मनुष्य की अमूल्यवान शक्ती कहा है.

  • सदाबहार देव कर्मयोगी आनंद

    सदाबहार देव कर्मयोगी आनंद

    आज से छह वर्ष पहले, देव आनंद के निधन से फ़िल्मी दुनिया के उस युग का समापन हुआ जिस युग में मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम और नैतिकता जैसे आदर्श फिल्मों का आधार हुआ करते थे तथा लोग परिवार संग फिल्मों का लुत्फ़ उठाया करते थे. बेशक य़े कहना गलत ना होगा कि उस बेमिसाल युग के रूमानी प्रेम, सकारात्मकता और आशा का अगर कोई अनुपम प्रतीक था तो वो थे हंसमुख और हरदिल अज़ीज़ देव आनंद.

  • आतंकवाद के लिए अमरीका भी कम गुनाहगार नहीं

    आतंकवाद के लिए अमरीका भी कम गुनाहगार नहीं

    अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए विनाशकारी हमले को आज सोलह साल का समय बीत गया है. इस घटना को मीडिया ने इतनी बार दिखाया है कि य़े वाक्या हमारे मानस पटल पर अंकित हो चुका है और हालांकि विश्व में कई आंतकवादी घटनाएं लगभग रोज़ घटित हो रहीं हैं

  • आनंद और आध्यात्मिकता के प्रतीक : कृष्ण

    आनंद और आध्यात्मिकता के प्रतीक : कृष्ण

    The symbol of happiness and spirituality: Krishna

  • गीतों के मसीहा और इन्सानियत की आवाज़

    गीतों के मसीहा और इन्सानियत की आवाज़

    जब मोहम्मद रफी साहब हम सब को छोड़ कर बहुत कम उम्र में चले गये तो लगता था हम और हमारा संगीत तन्हा हो गये हैं।

  • निर्मम बैंक व्यवस्था

    निर्मम बैंक व्यवस्था

    कंप्यूटर युग में, जब हर शाम भारतीय रिज़र्व बैंक को सम्पूर्ण बैंकिंग उद्योग के आंकड़े मिल जाते हैं, ऐसे में नोट्बंदी के छह महीने बाद सरकार की ये दलील कि पुराने नोट अभी भी गिने जा रहे हैं

  • आम आदमी : व्यवस्था का मोहरा

    आम आदमी : व्यवस्था का मोहरा

    हमारे देश में जिसे देखो आम आदमी की चिंता से ग्रसित है. नेता हो या अभिनेता, सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी, मिल मालिक हों या साहूकार, डाक्टर हो या कसाई, हर कोई आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारने में प्रयासरत है.

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