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स्वामी विवेकानंद औऱ वामपंथी बौद्धिक जगत की खोखली दलीलें
हिन्दुत्व का विचार स्वीकार्यता पा रहा है ,भारत की बहुसंख्यक चेतना में हिन्दुत्व का स्वत्व औऱ गौरवभाव सुस्थापित हो रहा है तब एक प्रायोजित अभियान स्वामीजी के विरुद्ध खड़ा करने का प्रयास
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सुशासन और संवर्ग के तराजू पर दिल्ली के नतीजे
यह समझने की अपरिहार्यता है कि भारत अब "इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा "के दौर से काफी आगे निकल चुका है।
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दुरभिसंधि: 5 ट्रिलियन का लक्ष्य और खैरात की सियासत
निर्मम सच यही है कि हमारी राजव्यवस्था भी यही चाहती है कि भारत में गरीबी बनी रहे।मुफ्तखोरी से ऐसे समाज और वर्ग का निर्माण होता रहे जो सदैव खैरात के लिए ताकता रहे।यह स्थिति
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नए भारत के विरुद्ध खड़े वाममार्गी बुद्धिजीवी
इस पूरे मामले में गांधी और संविधान की दुहाई दी जा रही है विरोध प्रदर्शन को तार्किक साबित करने के लिये लेकिन गांधी विचार में राष्ट्रीय सम्पति को नुकसान पहुँचाने की अनुमति किसने दी है
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संसदीय सियासत में नई इबारत औऱ व्याकरण गढ़ते अमित शाह
यह भी रोचक बात है कि अमित शाह के चुनावी चक्रव्यूह में कई बार शिकस्त खा चुके राजनीतिक दल उनकी प्रशासनिक जादूगीरी में भी एक के बाद एक उलझते जा रहे है।
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गीता और गांधी के जरिये समाज को जोड़ रहे हैं आईपीएस अधिकारी राजाबाबू सिंह
यूपी के बांदा जिले में जन्में भारतीय पुलिस सेवा के इस अधिकारी की चर्चा इन दिनों मप्र भर में न केवल सोशल पुलीसिंग के लिये हो रही है बल्कि गीता और गांधी के वैचारिक अधिष्ठान को समाज मे मैदानी स्तर पर स्थापित करने के लिये भी हो रही है।
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अमित शाह अंग्रेजी राज के अवशेषों के खात्मे की तैयारी मेंं
गृहमंत्री अमित शाह ने भारत की मौजूदा आईपीसी और सीआरपीसी में आमूल चूल परिवर्तन के मसौदे पर काम करना शुरू कर दिया है।लख़नऊ में आयोजित47वी पुलिस साइंस कांग्रेस के समापन समारोह में उन्होंने इस आशय की घोषणा की है।
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बीजेपी का वैचारिक अधिष्ठान और हर राज्य में सरकार बनाने की जिद
सवाल यह है कि क्या भारत के हर प्रदेश में सरकार स्थापित करना ही बीजेपी रूपी संसदीय विचार का एकमेव लक्ष्य था?1951 में जनसंघ की आवश्यकता के अक्स में सत्ता कभी ध्येय नही थी।
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स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा को आईएएस से मुक्त किया जाए
आपसी संबोधन से शुरू यह सत्याग्रह गांधीवादी रास्ते पर ही बना रहे तो बेहतर होगा क्योंकि देश के गरीब आदमी का स्वास्थ्य आज भी बहुत खराब है और आईएएस किसी मर्ज का इलाज 70 साल में नही कर पाए है यह भी तथ्य है।
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अफसरशाही की शरणस्थली बनी सूचना अधिकार की सुविधाएं
असल में सरकार भी नही चाहती है कि इस कानून को जमीन पर लागू किया जाए क्योंकि जबाबदेही सरकार के किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नही हो सकती है।यह पिछले 70 सालों में