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इस बार अवकाश यूँ मनाए
‘घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये – निदा फाजली वाकई एक बालक को खुश कर देना किसी पूजा , नमाज या अरदास से कम नहीं है […]
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भय बिनु होय न प्रीत ….?
भारतीय संस्कृति में अक्षर ब्रह्म स्वरूप माने जाते हैं। इसलिये साहित्य कालजयी तथा चिरंजीवी होता है। लेकिन यह भी सत्य है कि समय के साथ – साथ कई कारणों से इसका स्वरूप परिवर्तित होता जाता है। कहते हैं कि एक बात चार्- पाँच व्यक्तियों तक पहॅुंचते – पहॅुंचते पूरी तरह बदल जाती है। ज़ाहिर है […]
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बातें हैं बातों का क्या ………
आज आप से बातें करने का बड़ा मन हो रहा है, वो भी खूब सारी बातें, ढेर सारी बातें। लेकिन कहां से शुरू करूँ, कैसे करूँ …अरे यह भी कोई बात हुई…बातें तो कहीं से, किसी भी बात से प्रारम्भ की जा सकती हैं । हाँ ,एक बार शुरू हो जाये तो फिर बाते हैं […]