-
पापा पुलिस में थे और पुस्तकों को गहनों की तरह सम्हालकर रखते थे
अराजक स्त्री, धर्म की विरोधी स्त्री, परिवार और समाज की विरोधी स्त्री, परपुरुषों के साथ अवैध संबंधों को ही असली स्वतंत्रता का नाम देने वाली स्त्री कुल मिलाकर एक आत्महंता स्त्री (जिसके जीवन में कुछ उल्लेखनीय नहीं सिवाय अवैध, अतृप्त प्रेम के) को ही यहाँ साहित्य की मुख्य धारा में आधुनिक नायिका माना जाता रहा है।
-
विपश्यना:स्त्री संघर्ष, सशक्तीकरण और त्रासदी की कथा…
स्त्री सशक्तिकरण का यह ताना-बाना परिवार से बाहर नहीं परिवार के साथ उसको लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करने से बनता है। संबंधों में मां,पिता,पति, बच्चों, मित्र और परिवेश से भरे पूरे समाज से निर्मित होता है।
-
नए युगबोध का दस्तावेज
इस तरह इस किताब में, नए युगबोध का ऐसा कोई विषय नहीं जो अछूता हो; अपनी पुस्तक में लेखक ने नए भारत से हमें मिलवाया है, नए भारतबोध के साथ। किताब पढ़कर एक आम पाठक शायद आखिर में यही सोचे कि पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में कैसी किताबें पढ़ाई जानी चाहिए
-
मोदीजी ने सत्ता के कई मिथकों को बदल डाला
शब्दों के ब्रम्ह की तरह रचयिता होने में कोई संदेह नहीं।पशुत्व से देवत्व की ओर जो हमें ले जाती है वो भाषा ही है।