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इस ख़बर पर उनका दर्द
फरवरी के बाद होंगे।" कालू भिया ने पत्नी को बताया कि अभी कुछ दिन पहले चुनाव होने की खबर पढ़कर उन्होंने पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए
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“चिठ्ठी न कोई संदेश…”
उस जमाने की फिल्मों में भी ख़त या पत्र को लेकर कई गीत बने जो लोकप्रिय भी हुए, उनमें से कुछ गीत तो सदाबहार हैं जो आज भी गुनगुनाते लोग मिल जाएँगे।
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तुलसी के काव्य में राम की भक्ति के अलावा भी बहुत कुछ है
गोस्वामी तुलसीदास जी के कृतित्व पर अभी बहुत कुछ लिखा जा सकता है,स्थिति यह है कि "जिन खोजा तिन पाइया", आप उनके साहित्य का जितना गहराई से अध्ययन करेंगे, उतना नित नए ज्ञान कोष से परिपूर्ण होते जाएँगे।
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किसम-किसम के लोग
किस्में तो ओर भी है पर उपरोक्त लिखी कुछ किस्मों के अलावा साहित्यकारों,कवियों,कलाकारों,ज्ञानियों,परम ज्ञानियों को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता है। यह लघु शोध पत्र केवल साधारण मनुष्यों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
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ऑनलाइन: तब और अब
आज हमें ऑनलाइन होने के लिए मोबाइल, लेपटॉप, कंम्प्यूटर इत्यादि साधनों की आवश्यकता पड़ती है परंतु उन मनीषियों ने तो अपने तपोबल,योगबल साधना से अपने शरीर को ही ऑनलाइन कर रखा था,
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“अतिथि! तुम कब आओगे…?”
बेवज़ह कई-कई दिनो तक जमे रहने वाले हे अतिथि! सानंद रहने वाला घर, बुद्धिमान बच्चे, मनभावन पत्नी,अच्छे व सच्चे मित्र, ईमानदार नौकर, नित्य अतिथियों का आदर-सत्कार, ईश्वर की आराधना,
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नववर्ष की ग़ज़ल : सन् से पहले आया संवत भूल गए ?
मर्यादित गौरवशाली विक्रम संवत सूर्य उदय के साथ मनाते साल नया ।
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कब तक मात खाओगे मियां…!
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित 25 आतंकी संगठनों को पालने से अच्छा है आप अपने देश की भावी पीढ़ी के भविष्य की चिंता करें।
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मजेदार चुनावी दोहे
जनमानस ख़ामोश है,विश्लेषक हैरान। किसको देंगे वोट ये,प्रत्याशी हलकान।। बिजली,राशन मुफ़्त में,बनवा दिए मकान। वोटों की ख़ातिर किये,कितने कन्यादान।।