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दाग़ देहलवी का अंदाज़े बयाँ कुछ और ही था
प्रेम के हर अंदाज को अपने शब्द देनेवाला यह शायर उसे हर रंग में अपनी शायरी में पिरोता रहा. मिलना - खो जाना जिसके लिए उस तरह का अर्थ रखते ही नहीं थे. वह तो उसी का हो गया था
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रामवृक्ष बेनीपुरी : ऐसा कलम का जादूगर जिसका साहित्य हमेशा उचित सम्मान से वंचित रहा
यह काफी अफसोस की बात है कि रामवृक्ष बेनीपुरी के जीते-जी और उनके बाद भी इन कहानियों का उस तरह मूल्यांकन नहीं हुआ. समकालीनों द्वारा उनके ऊपर न लिखे जाने की एक दुविधा
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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ : कवि जो सत्ता के करीब रहकर भी कभी जनता से दूर नहीं हुआ
दुख और तकलीफों के पहाड़ों के बीच उनकी हुंकार और ओज अब कहीं खोने लगी थी. अपने समय का यह सूर्य अब अस्ताचल में डूबने को ही था. ‘हारे को हरिनाम’ की वह पराजित, दुविधाओं और द्वन्द से भरी आवाज कहीं से भी नहीं लगती कि इसी आवाज ने कभी हुंकार-भरकर जनजन के आक्रोश को स्वर दिया था और उसमें नई शक्ति का संचार किया था.
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मजदूरी, बस कंडक्टरी और खिलौने बेचने से लेकर फिल्मी गीतकार बनने वाले हसरत जयपुरी की रोमांचक दास्तान
इस दौर में हसरत के शब्द जैसे चुक गए थे. ‘राम तेरी गंगा मैली’ का शीर्षक गीत उनके हाथ नहीं आया.
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मनोहर श्याम जोशी : जिन्होंने हिंदी धारावाहिकों का चेहरा बदल दिया था
अगर आज मनोहर श्याम जोशी ज़िंदा होते और उनसे उनके लेखन की विविधता पर सवाल करते हुए यह पूछा जाता कि इसमें से कौन से असली वाले मनोहर श्याम जोशी हैं तो शायद
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गोपाल राम गहमरी : एक जासूसी लेखक जिसको पढ़ने के लिए लोगों ने हिंदी सीखी
गोपालराम गहमरी के मौलिक जासूसी उपन्यासों की संख्या ही 64 है. अनूदित उपन्यासों को भी मिला दें तो यह 200 के करीब पहुंच जाती है.
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सड़क पर चलते हुए गीत गाकर भी उस गीत को अमर कर दिया केएल सहगल ने कविता
जब केएल सहगल ने सड़क पर चलते हुए एक गीत गाया और वो भी उनके बाकी गीतों की तरह मास्टरपीस कहलाया। लाख कोशिशों के बावजूद केएल सहगल के वक्त के दूसरे पार्श्वगायक उनकी बराबरी न कर सके और अगली पीढ़ी के मुकेश, किशोर और रफी जैसे गायक भी उनकी ही नकल करके स्थापित हुए जब […]