-
कुमायूँ के फलों के कटोरे में यह चांद सा पुष्प बिखेर रहा है अपनी रूहानी रौशनाई
उन चार सफेद पंखुड़ियों वाले पुष्प को देखकर मेरी आँखें चमक उठी, जिनके मध्य में मानो किसी महारानी का ताज हो, पुंकेशर की बनावट हूबहू इंग्लैंड की महारानी के ताज से मेल खाती थी,
-
वृक्षों की खाल उधेड़ता आदमी…
उत्तराखण्ड देवभूमि में लगभग 2000 मीटर तक की ऊंचाई तक चिर पाइन यानी भारतीय चीड़ के जंगल मिल जाएंगे, ऊंचे ऊंचे ये दरख़्त नोकदार पत्तियां और भूरे लाल रंग के तने के साथ, आप को बताऊं ये केवल चीड़ के वृक्ष नही हैं बल्कि हमारे इतिहास का आईना भी हैं,
-
नष्ट हो रही हैं ब्रिटिश-भारत के कुमायूं में बनी कारवाँ सराय
ये जो जलाना-शहर फाटक-डोल-रामगढ़-खुटानी भीमताल मार्ग पर धर्मशाला है जसूली शौक्याणी का इसके निकट पूरनागिरी माता मंदिर के निकट 67 वर्ष पुरानी एक इमारत हैं
-
सुकुसुम एक जापानी वनस्पति अब खिलखिला रही है भारतवर्ष में
रंग बदलने की यह क्षमता भी इस प्राजाति मे यूँ ही नही है, इस गुण के लिए इस वनस्पति ने स्वयं में शिव तत्त्व का समावेश किया है, याद ही होगा आप सभी को भगवान शिव के गले मे विष धारण करने की कथा
-
भारत के जंगल में मिले मोगली बच्चों की रोमांचक गाथाएँ
ब्रिटिश अफसर विलियम स्लीमन ने उत्तर भारत खोजे थे कई वुल्फ बॉय- कतरनिया घाट में मिली वन दुर्गा ही नहीं है अकेली, जानवरों संग पले मानव-बच्चों के दर्जनों है उदाहरण-
-
बनाना एग्रो रिजॉर्ट टीकापुर नेपालः केले की खेती के साथ साथ पर्यटन का भी व्यवसाय
सुदूर पश्चिम नेपाल देश के कैलाली जनपद के टीकापुर में एक जगह ऐसी है जो आप के मन को कौतूहल से भर देगी, ग्रामीण इलाके में केले के बागानों के मध्य एक रिजॉर्ट, जी हाँ यह शायद भारत-नेपाल या शायद दुनिया में पहली जगह होगी जहां किसान टूरिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं, वह भी एक केले की प्रजाति की दम पर, ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक जगहें हैं जहाँ टूरिज्म की व्यवस्था हैं, किन्तु कृषि के साथ वह भी सिर्फ केले को आधार पर यह पर्यटन व्यसाय अनूठा और अप्रतिम हैं, कहते हैं रचनात्मकता कहीं
-
आलू के बारे में क्या जानते हैं आप!
इतिहास में आलू की पैदाइश दक्षिण अमरीका के पेरू में बताई जाती है, सुदूर बोलीविया में भी आर्कियोलॉजी के अन्वेषण में आलू के चिन्ह मिले, जहाँ तकरीबन 10000 वर्ष पूर्व से इंका इन्डियन इस कन्द को उगाते थे, १५वीं सदी में जब स्पेन ने पेरू पर हमला किया और वहां काबिज़ हुए, तो उनका आलू जैसे पौष्टिक कन्द से परिचय हुआ, और यही से इस आलू का सफर शुरू हुआ जो पहले योरोप पहुंचा और फिर अफ्रीका और एशिया, जहाँ तक भारत की बात है तो यह आलू सत्रवहीं सदी में पुर्तगालियों द्वारा भारत लाया गया,
-
अवध की तमाम कहानियों को संजोएँ है कठना नदी
तराई की जलधाराएं जो पूरी दुनिया में अद्भुत और प्रासंगिक हैं, क्योंकि इन्ही जलधाराओं से यहाँ के जंगल हरे भरे और जैव विविधिता अतुलनीय रही
-
तालाबों की व्यथा-कथा तालाब जीवन ऊर्जा के पावर हाउस है
कहानियाँ तो हमेशा हमारा अतीत कहती हैं, वर्तमान दिखलाती है, और भविष्य का संकेत भी देती है, कहांनियां सिर्फ इतिहास नही कहती!
-
ब्रिटिश इण्डिया का एक स्मारक जहाँ मौजूद है पुस्तकों का खजाना- विलोबी मेमोरियल लाइब्रेरी
यह है मेरी अध्ययन स्थली, विलोबी मेमोरियल हॉल, 1934 के आस पास स्थानीय मुअज्जिज लोगों ने यह भवन डिप्टी कलेक्टर विलियम डगलस विलोबी की हत्या के तकरीबन एक दशक बाद उसकी स्मृति में बनवाया, मौजूदा समय में इसका नाम बदल दिया गया है, जबकि किसी भी मेमोरियल ट्रस्ट व् उसके द्वारा निर्मित भवन आदि के नाम को बदलना कानूनी व् नैतिक तौर पर कहाँ तक उचित है यह विमर्श का मुद्दा है!?