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ममता बनर्जी को भाजपा से मात्र 60 लाख वोट ज्यादा मिले हैं
जो बुद्धिजीवी बंगाल में हो रही हिंसा पर चुप है , उसे कोई अधिकार नहीं है कि वो आगे किसी भी सांप्रदायिक हिंसा पर अपनी कलम उठाए।
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आरएसएस की समाज सेवा पर मीडिया वाले बात क्यों नहीं करते
आम तौर पर अगर कोई पत्रकार किसी का इंटरव्यू लेने जाता हैं तो वो सीधा व्यक्ति विशेष से प्रश्न करना शुरू कर देता है जिसका साक्षात्कार लेना हो। अभी हाल में मेरा पहला अनुभव रहा है आरएसएस के मीडिया प्रभारी से बातचीत का। मेरे इंटरव्यू के पहले उन्होंने मेरे बारे में जानना चाहा। किसी भी पत्रकार के लिये यह थोड़ा कष्टदायक या उसके अहं को ठेस पहुंचाने वाला अनुभव होगा, जहां पहले उसके विषय में जानकारी ली जाये। शायद यही कारण है कि पत्रकारों को आरएसएस जरा कम पसंद आती हैं।