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स्वामी दयानन्द और महात्मा ज्योतिबा फुले
वेदों के अद्वितीय विद्वान और समाज सुधारक महर्षि दयानन्द सरस्वती जुलाई, 1875 में पूना गये थे और वहां आपने 15 व्याख्यान दिये थे जो आज भी लेखबद्ध होकर सुरक्षित हैं। सत्यशोधक समाज के संस्थापक महात्मा ज्योतिबा फुले महर्षि दयानन्द के व्याख्यान सुनने आते थे। दोनों परस्पर प्रेमभाव व मित्रता के संबंधो में बन्ध गये। पूना […]
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‘आर्यसमाज का एक शताब्दी पूर्व दिल्ली में दलितोद्धार का अपूर्व ऐतिहासिक कार्य’
महाभारत युद्ध के समाप्त होने के बाद देश निरन्तर पतन की ओर अग्रसर होता रहा जिस कारण नाना प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक अन्धविश्वास एवं कुरीतियां प्रचलित हुईं।
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एक विस्मृत वैदिक ऋषि-भक्त शास्त्रार्थ महारथीः पं. गणपति शर्मा’
पं. गणपति शर्मा जी का जन्म राजस्थान के चुरु नामक नगर में सन् 1873 में श्री भानीराम वैद्य जी के यहां हुआ था।
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महत्वपूर्ण पुस्तक ‘आर्य सिद्धान्त विमर्श’ का नवीन संस्करण उपलब्ध
आर्य सिद्धान्त विमर्श पुस्तक में जो निबन्ध दिये गये हैं वह शीर्ष विद्वानों द्वारा लिखित उच्च कोटि के लेख वा ज्ञान-सामग्री है। इससे पाठकों के ज्ञान व उल्लास में वृद्धि होगी। प्रकाशक महोदय ने इस ग्रन्थ को प्रकाशित कर इसके संरक्षण सहित जिज्ञासु पाठकों को अलभ्य सामग्री उपलब्ध कराने का महनीय कार्य किया है।
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पं. चमूपति के भाषण के बाद सैकड़ों लोगों ने धर्मपरिवर्तन का विचार त्याग दिया
एक आदर्श आचार्य के रूप में आपने अपने शिष्यों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। हमने आपके जिन ग्रन्थों को पढ़ा है, उससे हम भी अपने आप को आपका शिष्य ही मानते हैं। आपका व्यक्तित्व कितना महान था,
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1921 में मालाबार में हिंदुओं के साथ हुए नृशंस नर संहार की भुली बिसरी गाथा
‘मालाबार और आर्यसमाज’ पुस्तक के मूल लेखक महात्मा आनन्दस्वामी जी हैं। पुस्तक का नाम ‘1921 मालाबार और आर्यसमाज’ दिया गया है। वर्तमान में प्रकाशित यह पुस्तक मूल पुस्तक का दूसरा संस्करण है।
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वैदिक अंग्रेजी साहित्य पर अंग्रेजी में नए ग्रंथ ‘फाउण्टेन आफ वैदिक विज़डम का प्रकाशन
हमें विश्वास है कि यह पुस्तक अंग्रेजी जानने वाले पाठकों के लिए उपयोगी होगी। इसे पढ़कर वह वेदों के महत्व को जान सकेंगे। वेद ईश्वरीय ज्ञान है तथा सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। इस तथ्य का अनुभव भी इस पुस्तक में दी गई मन्त्र की व्याख्याओं को पढ़कर होता है।