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डॉ. मयंक चतुर्वेदी
 

  • लोक का अर्थ, मंथन की परंपरा और राष्‍ट्रीय आयोजन

    लोक का अर्थ, मंथन की परंपरा और राष्‍ट्रीय आयोजन

    मंथन भारत का आधारभूत तत्‍व है, इसलिए विमर्श के बिना भारत की कल्‍पना भी की जाएगी तो वह अधूरी प्रतीत होगी। यहां लोकतंत्र शासन व्‍यवस्‍था की सफलता का कारण भी यही है कि वेद, श्रुति, स्‍मृति, पुराण से लेकर संपूर्ण भारतीय वांग्‍मय, साहित्‍य संबंधित पुस्‍तकों और चहुंओर व्‍याप्‍त संस्‍कृति के विविध आयमों में लोक का सुख, लोक के दुख का नाश, सर्वे भवन्‍तु सुखिन: और जन हिताय-जन सुखाय की भावना ही सर्वत्र दृष्‍टि‍गत होती है।

  • सुरेश प्रभु की सक्रियता ने यात्रियों में विश्वास पैदा किया

    सुरेश प्रभु की सक्रियता ने यात्रियों में विश्वास पैदा किया

    निश्चित ही इसे राजनीति के सुखद बदलाव का आरंभ भी माना जा सकता है। जब कोई राजनेता अपने क्षेत्र विशेष या अपने मंत्रालय से संबंधित कार्यों में सिर्फ कागजी कार्य और सहयोग प्रदान नहीं कर रहा|

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