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निर्मला डोसी
 

  • मेघ बरस रहे थे बाहर, भीतर बरस रहे थे आखर

    मेघ बरस रहे थे बाहर, भीतर बरस रहे थे आखर

    25 जून 1998 में मुंबई जैसे महानगर में, गांवों में जमने जैसी ही चौपाल की परंपरा का श्रीगणेश हुआ था राजेंद्र गुप्ता जी के आंगन में। पेड़ के नीचे चबूतरा और उसके चारों तरफ हरियाली छायी थी।

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