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और उस पौधे ने उस वैज्ञानिक की बात का जवाब दे ही दिया
एक वैज्ञानिक ने एक अदभुत काम किया इधर। कैक्टस का एक पौधा, जिसमें कांटे ही कांटे होते हैं और जिसमें कभी बिना कांटे की कोई शाखा नहीं होती, एक अमरीकन वैज्ञानिक उस पौधे को बहुत प्रेम करता रहा। लोगों ने तो समझा कि पागल है, क्योंकि पौधे को प्रेम करना! अरे आदमी को ही प्रेम […]
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अर्ध्दनारीश्वर का रहस्य
शिवलिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रतिमा पृथ्वी पर कभी नहीं खोजी गई। उसमें आपकी आत्मा का पूरा आकार छिपा है। और आपकी आत्मा की ऊर्जा एक वर्तुल में घूम सकती है, यह भी छिपा है। और जिस दिन आपकी ऊर्जा आपके ही भीतर घूमती है और आप में ही लीन हो जाती है, उस दिन शक्ति […]
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जब टाल्सटाय आत्म हत्या करने पहुँच गए
अब ऐसे व्यक्तियों को भगवान का साक्षात्कार करना कितना सरल हो सकता है। कवि हृदय चाहिए, कल्पनाशील मन चाहिए। और फिर ऐसी तरकीबें हैं कि कल्पनाशील मन को और कल्पनाशील बनाया जा सकता है। जैसे उपवास करके! अगर लंबा उपवास किया जाए,
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ध्यान की परम अवस्था का प्रतीक है शिवलिंग
जो लोग भी जीवन के परम रहस्य में जाना चाहते हैं, उन्हें शिव के व्यक्तित्व को ठीक से समझना ही पड़ेगा। और देवताओं को हमने देवता कहा है, शिव को महादेव कहा है।
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विश्राम की कला ही परमात्मा तक ले जा सकती है
ऐसी हड़बड़ी में कैसे तुम स्वयं को पा सकोगे? क्योंकि स्वयं को पाने के लिए एक स्थिति चाहिए जैसे कहीं नहीं जाना, कुछ नहीं करना, सिर्फ आंख बंद करके बैठे रहना है, अपने में डूबना है।
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गीता का वो अद्भुत रहस्य जो आज तक किसी ने नहीं बताया
यह जो अर्जुन को दिखाई पड़ा विराट, अप्रमेय, जिसकी बुद्धि कभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकती थी, अनुमान भी नहीं कर सकती थी, सोच भी नहीं सकती थी, जिसकी तरफ कोई उपाय न था, वह उसे दिखाई पड़ा है।
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गाँधी ने भी कई भूलें की और हम उन्हें महान मानते रहे
महापुरुष ऊंचाइयों पर चलते हैं, उन ऊंचाइयों पर, जहां आने वाली पीढ़ियां हजारों सालों तक चलेंगी। लेकिन इतना आगे चलने में महापुरुष भी न जाने हजारों साल पहले ही कितनी भूलें कर डालता है
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कृष्ण भारत का अतीत भी है और भविष्य भी
मनुष्य के मन ने सदा चाहा कि वह चुनाव कर ले। उसने चाहा कि स्वर्ग को बचा ले और नर्क को छोड़ दे। उसने चाहा कि शांति को बचा ले, तनाव को छोड़ दे।
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मोह का अर्थ क्या होता है?
मोह का अर्थ होता है मेरा, ममत्व; जो मुझे मिल गया है, वह छूट न जाए। लोभ का क्या अर्थ होता है? लोभ का अर्थ होता है. जो मुझे अभी नहीं मिला है, वह मिले। और मोह का अर्थ होता है. जो मुझे मिल गया है, वह मेरे पास टिके। ये दोनों एक ही पक्षी के दो पंख हैं। उस पक्षी का नाम है तृष्णा, वासना, कामना।
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शिव हैं शाश्वत का प्रतीक
शिव को अपनी प्रिया देवी के साथ देखो। वे दो नहीं मालूम होते, एक ही हैं। यह एकता इतनी गहरी है कि प्रतीक बन गई है। ध्यान की पहली विधि शिव प्रेम से शुरू करते हैं: प्रिय देवी, प्रेम किए जाने के क्षण में प्रेम में ऐसे प्रवेश करो जैसे कि वह नित्य जीवन हो।