-
तिलक, टीका और आज्ञाचक्र
लेकिन वैज्ञानिक जानते है प्रकृति कोई भी चीज व्यर्थ निर्मित नहीं करती। भूल होती है, एकाध आदमी के साथ हो सकती है।
-
धर्म अर्थात सन्नाटे की साधना
वासना, काम जीवन है। जीवन का पर्याय है काम। और काम का खो जाना है मृत्यु। इसलिए इन दोनों को एक साथ रखा है।
-
मौत के पहले जो सोचते हैं वो कैसे फलित होता है
पैदा होने के बाद भी आपको कुछ पता नहीं है, क्या हुआ। जब आप गर्भ से बाहर आ रहे थे, आपको कुछ भी पता है? अगर आप बहुत कोशिश करेंगे पीछे लौटने की, तो तीन साल की उम्र,
-
मौन की भाषा
जीवन की वीणा तो सिर्फ मौन से ही स्पर्शित होती है। जो भी कहने योग्य है वह मौन से कहा जा सकता है। यह क्यों मौन पर जोर दे रहा है? लाओत्से का जोर सदा इस बात पर है कि जो सूक्ष्म है
-
मृत महापुरुषों की आत्मा से संपर्क कैसे करें ?
गांधी जैसे आदमी मर नहीं जाते! लेकिन समझ में नहीं आता लोगों को कि ऐसे लोगों को भी मरा हुआ मान लेते हैं। और उसका कारण है,
-
नानक गृहस्थ भी हैं, संन्यासी भी
अक्सर लोग ऐसा सोचते हैं। सोचने का कारण है क्योंकि संन्यासी स्त्री को छोड़कर भागते हैं तो अगर किसी को गृहस्थ बनाना हो, तो स्त्री से बाँध दो।
-
महात्मा गांधी का बेटा हरिलाल मुसलमान क्यों हो गया?
अगर मुझे दुःख होता है कि मेरा बेटा शराब पीता है। तो यह मेरा मोह है कि में उसे मेरा बेटा मानता हूं। इसलिए दुःख पाता हूं।
-
पतंजलि के ध्यान और जापानी ध्यान झाझेन में क्या अंतर है?
हमेशा इस बात का स्मरण रहे कि तुम्हें स्वयं ही, तुम्हारे अपने व्यक्तित्व को ही, तुम्हारे स्वभाव को ही निर्णायक बनना है।
-
कृष्ण जन्म के वो रहस्य, जो हम समझ ही नहीं पाए
हजारों लोग लिखते हैं। जब हजारों लोग लिखते हैं तो हजार व्याख्याएँ होती चली जाती हैं। फिर धीरे-धीरे कृष्ण की जिंदगी किसी व्यक्ति की जिंदगी नहीं रह जाती। कृष्ण एक संस्था हो जाते हैं, एक इंस्टीट्यूट हो जाते हैं।
-
बुध्दि को यंत्र मत बनाईये
ध्यान का इतना ही अर्थ है कि यह मस्तिष्क फिर से तुम्हारे खून की चाल के साथ चले, तुम्हारे हृदय की धड़कन के साथ धडके।