-
सब कुछ समाया है शिव के विराट व्यक्तित्व में
तो अगर लड़की के पिता को शिव में बुरा—ही—बुरा दिखायी पड़ा हो, तो कोई हैरानी की बात नहीं है। लेकिन भीतर जो श्रेष्ठतम, शुद्धतम शुभत्व है, वह भी था।
-
शिव और शक्ति का परम मिलन
ईसाई धारणा में सूर्य और चंद्र का मिलन एकदम अस्वीकृत है। चाहे वे वर्जिन मेरी का आदर करते हैं.. निश्चित ही यह एक द्वितीय श्रेणी की पदवी है, क्योंकि ट्रिनिटी में उसके लिए कोई स्थान नहीं है।
-
नानक को जो दिखाई दिया वो उनके पिता नहीं देख पाए
तुम जबर्दस्ती नमाज पढ़ लो, तुम जबर्दस्ती ध्यान कर लो, तुम जबर्दस्ती पूजा-प्रार्थना कर लो, क्या तुम कर रहे हो इसका कोई मूल्य नहीं है।
-
दशहरा, राम और रावण पर ओशो की दृष्टि
निश्चित ही, रावण ब्रह्मज्ञानी था। और रावण के साथ बहुत अनाचार हुआ है। और दक्षिण में जो आज रावण के प्रति फिर से समादर का भाव पैदा हो रहा है,
-
उस बूढ़े बैल ने भी मौत को मात दे दी
एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं।
-
आत्महत्या कौन करता है…
आल्वेयर कामू ने कहीं कहा है, और बहुत ठीक ही कहा है, 'आत्महत्या एकमात्र आध्यात्मिक समस्या है।’तुम आत्महत्या क्यों नहीं करते?
-
गुरु कहे वो करो,गुरु करे वो न करो, गुरु विश्वास का जलता दिया
होशिन के गुरु के संबंध में एक घटना है। इस आश्रम में काफी भिक्षु थे। नियम तो यही है बौद्ध भिक्षुओं का कि सूरज ढलने के पहले एक बार वे भोजन कर लें। लेकिन इस गुरु के संबंध में एक बड़ी अनूठी बात थी, कि वह सदा सूरज ढल जाने के बाद ही भोजन करता।
-
ओशो की गहन दृष्टि में शिव सूत्र और उनके निहितार्थ
जीवन—सत्य की खोज दो मार्गों से हो सकती है। एक पुरुष का मार्ग है—आक्रमण का, हिंसा का, छीन—झपट का। एक सी का मार्ग है—समर्पण का, प्रतिक्रमण का।
-
निर्विकल्प समाधि
एक फकीर एक वृक्ष के नीचे ध्यान करता है। रोज एक लकड़हारे को लकड़ी काटते ले जाते देखता है।
-
परमात्मा को जानना है तो मंदिर के विज्ञान को समझना होगा
एक मित्र ने पूछा है कि यदि ध्यान से समाधि में जाया जा सकता है और समाधि से परमात्मा को जाना जा सकता है तो फिर आजकल के मंदिरों में जाना व्यर्थ है? और उन्हें हटा देना चाहिए?