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इतिहास के वे सुनहरे पन्ने जो हमें पढ़ाये ही नहीं गए
दिनेश जी के साथ मैं फिर तंजावुर वापस आया। तंजावुर के राजा भोसलें जी का सरस्वती महल देखना था। यह महल साधारण सा है। तामझाम नहीं है। बिलकुल नाम के अनुसार ही सरस्वती का निवासस्थान है।
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विनाशपर्वः अंग्रेजों का ‘न्यायपूर्ण’ शासन..?
गोरखपुर जिले का राजस्व, पूरा वसूलने पर, उन दिनों छह से आठ लाख रुपये वार्षिक होता था. किन्तु कर्नल हैनेवे ने सन १७८० में, बड़ी निर्दयता से इस जिले से १४,५६,०८८ रुपये वसूले. अर्थात प्रतिवर्ष के राजस्व से लगभग दोगुना.
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25 साल में सैकड़ों साल का जीवन जी लिया बिरसा मुंडा ने
बिरसा मुंडा यह अद्भुत व्यक्तित्व हैं. कुल जमा पच्चीस वर्ष का ही छोटासा जीवन उन्हे मिला. किन्तु इस अल्पकालीन जीवन में उन्होने जो कर दिखाया, वह अतुलनीय हैं. अंग्रेज़ उनके नाम से कांपते थे. थर्राते थे. वनवासी समुदाय, बिरसा मुंडा जी को प्रति ईश्वर मानने लगा था.
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जर्मनी के इस प्राचीन किले में भी सुरक्षित है आयुर्वेद की गौरवगाथा
हाईडलबर्ग जर्मनी का एक छोटा सा शहर है. इसकी जनसंख्या केवल डेढ़ लाख है. परन्तु यह शहर जर्मनी में वहां की शिक्षा पद्धति के ‘मायके’ के रूप में प्रसिद्ध है, क्योंकि यूरोप का पहला विश्वविद्यालय सन १३८६ में इसी शहर में प्रारम्भ हुआ था.
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हिन्दुत्व का जयघोष..!
सुकुमावती सुकर्णपुत्री ने यह निर्णय काफी सोच समझकर, अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ चर्चा करने के बाद लिया हैं. उनका हिन्दू धर्म का गहन अध्ययन हैं.
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बाबर का महिमामंडन करने वाले द एंपायर का पुरजोर विरोध करें
बाबर जैसे क्रूर और पाशवीक मानसिकता के व्यक्ति के महिमामंडन का विरोध होना ही चाहिए। इस मेगा सिरीज के पीछे एक सोची समझी साजिश हैं.
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कितना बड़ा रहस्य छुपा है सोमनाथ मंदिर के बाण स्तंभ में
‘इतिहास’ बडा चमत्कारी विषय हैं. इसको खोजते खोजते हमारा सामना ऐसे स्थिति से होता हैं, की हम आश्चर्य में पड जाते हैं. पहले हम स्वयं से पूछते हैं, यह कैसे संभव हैं..? डेढ़ हजार वर्ष पहले इतना उन्नत और अत्याधुनिक ज्ञान हम भारतीयों के पास था, इस पर विश्वास ही नहीं होता..!