-
प्याज प्रभु की आरती
मंहगा प्याज हर युग में, बिना धर्म की हानि हुए, अवतरित होता रहा है। सन् 2003 में मैंने अपनी व्यंग्य रचना ‘ सुन बे प्याज’ में एक आरती लिखी थी।
मंहगा प्याज हर युग में, बिना धर्म की हानि हुए, अवतरित होता रहा है। सन् 2003 में मैंने अपनी व्यंग्य रचना ‘ सुन बे प्याज’ में एक आरती लिखी थी।